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सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कहा, पूजा-पाठ तक सीमित न रहें मन्दिर व मठ Gorakhpur News

गोरखपुर दौरे पर आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मठ एवं मन्दिरों को केवल पूजा पाठ तक ही सीमित नहीं होना चाहिए।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 02:22 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 02:22 PM (IST)
सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कहा, पूजा-पाठ तक सीमित न रहें मन्दिर व मठ Gorakhpur News
सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कहा, पूजा-पाठ तक सीमित न रहें मन्दिर व मठ Gorakhpur News

गोरखपुर, डा. राकेश राय। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि मठ एवं मन्दिरों को केवल पूजा पाठ तक ही सीमित नहीं होना चाहिए अपितु लोक कल्याणकारी कार्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय भावना के कार्यो में भी उन्हें सबसे आगे रहना चाहिए। भारत में संतों की परम्परा बहुत ही समृद्धशाली और प्राचीन है। अपने आध्यात्मिक चेतना से संत-समाज राष्ट्र को सुषुप्ता अवस्था से जागृत अवस्था में लाने के लिए सदैव प्रयत्‍नरत रहा है। संतों की यह परंपरा न केवल मनुष्य अपितु जीवमात्र का मार्ग प्रशस्त करती है।

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मुख्यमंत्री गुरुवार को गोरखनाथ मन्दिर के  दिग्विजयनाथ सभागार में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 125वीं जयंती व 50वीं पुण्यतिथि और महंत अवेद्यनाथ की जन्मशताब्दी व 5वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह के उद्घाटन सत्र में  राष्ट्रीय पुनर्जागरण और सन्त समाज विषय पर आयोजित संगोष्ठी को सबोधित कर रहे थे।

लोक कल्‍याण में संत समाज सबसे आगे

योगी ने कहा कि जब भी लोक-कल्याण की बात आती है तो संत-समाज सबसे आगे रहता है। महर्षि विश्वामित्र एवं वशिष्ट के लोक कल्याणकारी कार्यों का उल्लेख करते हुए श्री महंत जी ने कहा कि जब रावण जैसे आतंकवादी आर्यावर्त को नष्ट करने के लिए तत्पर हो रहे थे। उस समय देश के दो शक्तिशाली राष्ट्र मिथिला और अयोध्या को इस बात की चिंता नहीं थी। सर्वप्रथम महर्षि विश्वामित्र को चिंता व्याप्त हुई और उन्होंने अपने दृष्टि से जान लिया कि अब मिथिला और अयोध्या को एक होना है तथा राम को आगे आकर राष्ट्र की रक्षा करनी है। इसलिए उन्होंने यज्ञ के बहाने से श्रीराम और लक्ष्मण को आगे लाकर राष्ट्र रक्षा का कार्य किया। यह परम्परा अनवरत बनीं रहे इसके लिए संत परम्परा ने शास्त्रों की सरल व्याख्या कर समाज को एक करने का काम किया।

महाभारत में है संपूर्ण संसार

एक तरफ महर्षि विश्वामित्र ने राम के चरित्र का उपयोग किया तो दूसरी तरफ महर्षि वाल्मीकि ने उनके चरित्र को अपने रामायाण में निरूपित कर समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया। महर्षि वेदव्यास ने भारत की परम्परा को दुनिया के सामने रखते हुए कहा कि महाभारत में जो भी कुछ है वही सम्पूर्ण संसार में है। अर्थात् संपूर्ण संसार का अध्ययन महाभारत का अध्ययन करने से हो जायेगा।

शंकराचार्य ने पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ा

शंकराचार्य को याद करते हुए उन्होंने कहा कि एक सन्यासी को लगा कि भारत कई टुकड़ों मे बटा है तो वह केरल से निकलकर भारत के चारों कोनों में पीठ स्थापित कर भारत को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया। संत समाज ने समाज के सभी वर्गो को समान भाव से देखकर जातिवादी कुरीतियों पर गहरा प्रहार किया।

समाज सेवा के लिए स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने लिया सन्‍यास

एक प्रेरक प्रसंग का जिक्र करते हुए योगी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जब सन्यास लेना चाह रहे थे तो स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि मनुष्य का जीवन केवल अपने लिए ही नहीं होता अपितु वास्तविक सन्यास समाज की सेवा में है। उनके इस मूल मंत्र को लेकर उन्‍होंने भारतीय आध्यात्म और संस्कृति की परम्परा का लोक कल्याणकारी पाठ पूरी दुनिया को पढ़ाया। यह दुर्भाग्य की बात है कि जिस 11 सितम्बर को स्वामी विवेकानन्द ने पूरी दुनिया को आध्यात्म और शान्ति का संदेश दिया उसी 11 सितंबर को वर्ड ट्रेड सेन्टर पर आतंकी हमला हुआ।


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