जलवायु परिवर्तन में गोरखपुर अतिसंवेदनशील
जलवायु परिवर्तन में गोरखपुर अतिसंवेदनशील है। यही कारण है कि गोरखपुर में क्लाइमेट सेल का गठन किया गया है। अन्य जिलों में भी गठन होगा।
गोरखपुर, जेएनएन। उप्र राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अवकाश प्राप्त ले. जनरल रविंद्र प्रताप शाही ने कहा है कि दुनिया की ज्वलंत समस्याओं में जलवायु परिवर्तन प्रमुख है। इसी की वजह से हम सभी को न केवल आपदाओं की मार झेलनी पड़ रही है, बल्कि भारी जन-धन की क्षति भी हो रही है। तापमान में वृद्धि के चलते फ्लू, वायरल बुखार, डेंगू और इंसेफ्लाइटिस जैसी बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं।
जिला आपदा प्रबंध प्राधिकरण के अंतर्गत क्लाइमेट सेल के गठन व क्रियान्वयन संबंधी एक दिवसीय कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए उपाध्यक्ष ने कहा कि गोरखपुर जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष्य में अतिसंवेदनशील है। ऐसे में यह प्रदेश का पहला जनपद है जहा क्लाइमेट सेल का गठन किया गया है। ऐसी उपयोगी कार्यशाला का आयोजन हर जनपद में कर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाएगा।
जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन ने कहा कि जनपद में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए प्राधिकरण के तहत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर क्लाइमेट सेल का गठन हुआ है। यहां पर मौसम की निगरानी, पूर्वानुमान तथा पूर्व सूचना प्रणाली विकसित कर संभावित आपदाओं के प्रभावों को न्यून किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि क्लाइमेट सेल की संचालन प्रक्रिया को मजबूत करने, इसके विस्तार एवं विशेषज्ञों के विचार विमर्श के लिए कार्यशाला का आयोजन हुआ है। यहां प्राप्त होने वाले बिंदुओं सुझावों का समावेश कर क्लाइमेट सेल- गोरखपुर घोषणा पत्र 2018 जारी किया जाएगा।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व विधान जायसवाल ने कहा कि क्लाइमेट सेल को क्रियाशील किए जाने के लिए प्राधिकरण स्तर पर आटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित किया गया है। सेल संबंधी कार्यो को निस्तारित कने के लिए यूनीसेफ से सहयोग से विशेषज्ञों की सेवाएं ली जा रही हैं। आपदा प्रबंध प्राधिकरण के परियोजना निदेशक बलवीर सिंह, अदिति उमराव, यूनीसेफ लखनऊ की डा उर्वशी चन्द्रा ने कार्यशाला में अपने विचार व सुझाव रखे। इस अवसर पर समस्त विभागों के अधिकारी व पदाधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन गौतम गुप्त ने किया।