मौज-मस्ती के लिए अपराध की दुनिया में पड़ रहे बच्चों के कदम Gorakhpur News
हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिसमें चोरी छिनैती वाहन लिफ्टिंग आदि घटनाओं में नाबालिग भी शामिल मिले।
गोरखपुर, सतीश कुमार पांडेय। पेशेवर अपराधियों को पकडऩे वाली पुलिस अब जरायम की दुनिया में किशोरों के बढ़ते कदम से परेशान है। हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें चोरी, छिनैती, वाहन लिफ्टिंग आदि घटनाओं में नाबालिग भी शामिल मिले।
दरअसल, नशे की बढ़ती लत व आधुनिकता की चकाचौंध में महंगे शौक पूरा करने के लिए किशोर आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में जुट गए हैं। शहर में जरायम की दुनिया में किशोरों के उतरने का ट्रेंड भविष्य के लिए खतरनाक माना जा रहा है। हालांकि इसे रोकने में पुलिस से ज्यादा भूमिका परिजनों की है। पुलिस तफ्तीश में यह बात सामने आई है कि अधिकतर किशोर महंगे मोबाइल, रेसर बाइक, फैशनेबल चश्मे, ब्रांडेड कपड़े और जूते पहनकर स्टाइल मारने के लिए अपराध के दलदल में धंस रहे हैं। चोरियों से इनकी शुरुआत करने वाले किशोर आगे चलकर लूटपाट और छिनैती जैसी संगीन वारदात को अंजाम देने लगते हैं।
बाल संप्रेक्षण गृह में रखे गए हैं 198 अपचारी
सूर्यकुंड स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में रखे गए 198 किशोर की कहानी भी इससे अलग नहीं है। इसमें 80 गोरखपुर, 26 देवरिया, 50 महराजगंज और 42 कुशीनगर के रहने वाले हैं। इसमें से एक दर्जन अपचारी हत्यारोपित हैं।
हाल के दिनों में हुई घटनाएं
- 11 जुलाई : गोरखनाथ पुलिस ने महिला की वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने वाले 13 वर्षीय किशोर को गिरफ्तार किया।
- 12 जुलाई : खोराबार पुलिस ने चोरी के 13 मोबाइल के साथ दो किशोरों को पकड़ा। चोरी के मामले में वह पहले भी जेल जा चुके हैं।
- 12 जुलाई : गुलरिहा पुलिस ने चोरी के गहने व सामान के साथ एक किशोर समेत दो को गिरफ्तार किया। महंगे शौक पूरा करने के लिए किशोर ने चोरी की थी।
- 13 दिसंबर 2018 : कोतवाली पुलिस ने शादी समारोह में चोरी करने वाले किशोर को गिरफ्तार किया था। भोपाल का रहने वाला किशोर अपनी मां के साथ रेलवे स्टेशन पर रहता था। महंगे शौक पूरा करने के लिए वह चोरी करता था।
परिजन इस बात का ध्यान रखें
- बच्चों की हर गतिविधि पर नजर बनाएं रखें।
- उनके द्वारा पैसों व अन्य चीजों की डिमांड करने पर वजह पूछें। ं
- संगति का असर बच्चों पर तेजी से पड़ता है। लिहाजा उनके दोस्तों का प्रोफाइल जानें।
- नशे की शुरुआती दौर में बच्चा गुमसुम रहता है। उसके व्यवहार पर नजर रखें।
- आक्रामक व चिड़चिड़ेपन का लक्षण दिखने पर मनोवैज्ञानिक की सलाह लें।
बच्चों को नियंत्रित करने में परिवार की भूमिका में कमी आयी है। युवा स्वस्थ्य मनोरंजन के साथ साधन (खेल-कूद) से दूर हो रहे हैं। नैतिक शिक्षा नहीं मिल रही है। कम समय में ज्यादा सफलता पाने सोच की वजह से वह अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं। सोशल मीडिया की बढ़ती दखल की भी एक बड़ी वजह है। - मानवेंद्र सिंह, विभागाध्यक्ष-समाजशास्त्र, गोरखपुर विश्वविद्यालय
हाल के दिनों में कई किशोर चोरी व लूट के मामले में पकड़े गए। पूछताछ में सामने आया कि मौज-मस्ती और महंगे शौक पूरा करने के लिए उन्होंने वारदात को अंजाम दिया था। इसे रोकने में पुलिस लगी है पर परिजनों को भी इस ओर ध्यान देना होगा। - डॉ. सुनील गुप्ता, एसएसपी।