दूसरी लहर में ज्यादा सुरक्षित रहे बच्चे व किशोर, इस उम्र के लोगों पर कहर बनकर टूटा था कोरोना संक्रमण
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में सर्वाधिक प्रभावित होने वालों में 21 से 40 तक के युवा व 41 से 70 साल तक के बुजुर्ग थे। 71 से 80 साल के बुजुर्गों तक भी संक्रमण पहुंचा लेकिन इनकी संख्या युवाओं से काफी कम थी।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बहुुत भयानक थी। बावजूद इसके इसका ताप बच्चों व किशोरों तक बहुत कम पहुंचा। सर्वाधिक प्रभावित होने वालों में 21 से 40 तक के युवा व 41 से 70 साल तक के बुजुर्ग थे। 71 से 80 साल के बुजुर्गों तक भी संक्रमण पहुंचा लेकिन इनकी संख्या युवाओं से काफी कम थी। 80 साल से अधिक के बुजुर्ग भी बहुत कम प्रभावित हुए।
80 साल से ऊपर के बुजुर्ग भी बहुत कम हुए संक्रमित
बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज मंडल का एकमात्र लेवल थ्री अस्पताल है। सर्वाधिक गंभीर मरीज इसी अस्पताल में भर्ती हुए। दूसरी लहर में इनकी संख्या 3943 थी। इसमें से 942 लोगों की मौत हो गई। मौतों में भी बच्चों व किशोरों की संख्या सर्वाधिक कम रही। संक्रमितों में शून्य से एक साल तक के 34 बच्चे भर्ती हुए। एक से 10 साल तक के 30 बच्चों को कोरोना ने गंभीर किया था। 11 से 20 वर्ष के किशोर व युवाओं की संख्या 81 रही। सर्वाधिक प्रभावित 21 से 30, 31 से 40, 41 से 50, 51 से 60 व 61 से 70 वर्ष उम्र के लोग हुए। इनकी संख्या हर आयु वर्ग में 545 से लेकर 817 के बीच रही। इन आयु वर्ग के लोगों की मौतें भी ज्यादा रही।
61 से 70 वर्ष के बीच मौतें ज्यादा
कोरोना से हुई मौतों की संख्या सबसे ज्यादा संख्या 61 से 70 वर्ष के बीच के लोगों की थी। इस आयु वर्ग के 690 लोग भर्ती हुए, इसमें से 233 लोगों की मौत हो गई। हालांकि संक्रमितों की संख्या के हिसाब से 71 से 80 वर्ष आयु वर्ग में ज्यादा मौतें हुईं। इस वर्ग में 324 में से 125 ने दम तोड़ दिया था। 41 से 50 व 51 से 60 वर्ष के बीच के लोगों की भी मृत्यु ज्यादा हुई। शून्य से 10 साल तक के 10 बच्चों व 11 से 20 वर्ष तक के किशोरों व युवाओं में चार की मृत्यु हुई।
उम्रवार संक्रमितों व मौत का आंकड़ा
उम्र वर्ष में संक्रमित मौत
00-01 34 06
01-10 30 04
11-20 81 04
21-30 545 41
31-40 579 107
41-50 770 175
51-60 817 216
61-70 690 233
71-80 324 125
80 प्लस 73 31
बच्चे व किशोर कोरोना से बहुत कम प्रभावित हुए। जो संक्रमित भी हुए उनमें ज्यादातर ठीक हो गए। समय से जो भी मरीज मेडिकल कालेज आ गए, उन्हें बचा लिया गया। मौत उन्हीं की हुई जिन्होंने लापरवाही की और देर से अस्पताल पहुंचे। - डा. गणेश कुमार, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कालेज।