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सीएम ने कलश स्थापित कर की मां शैलपुत्री की आराधना

शाम सवा पांच बजे गोरक्षपीठाधीश्वर ने कलश भरने के लिए शोभा यात्रा निकालने को मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ को अपने हाथ से त्रिशूल सौंपा। प्रधान पुजारी की अगुवाई में साधु-संतों के साथ कलश शोभा यात्रा मां आदिशक्ति के जयघोष के साथ भीम सरोवर पहुंची।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 09:33 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 09:33 PM (IST)
सीएम ने कलश स्थापित कर की मां शैलपुत्री की आराधना
कलश स्‍थापना के बाद आरती करते मुख्‍यमंत्री।

गोरखपुर, जेएनएन। शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर शनिवार को गोरखनाथ मंदिर स्थित अपने आवास में स्थापित शक्तिपीठ में वैदिक मंत्रो'चार के बीच कलश स्थापना की। स्थापना के लिए कलश परिसर में मौजूद पवित्र भीम सरोवर से भरा गया। करीब दो घंटे तक चले आनुष्ठानिक कार्यक्रम में उन्होंने कलश स्थापना के बाद मां भगवती के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की।

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मुख्यमंत्री शनिवार की सुबह बलरामपुर जिले के देवीपाटन शक्तिपीठ में मां आदिशक्ति की आराधना के बाद दोपहर बाद करीब दो बजे गोरखनाथ मंदिर पहुंचे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मंदिर के शक्तिपीठ में कलश स्थापना की तैयारी पहले ही कर ली गई थी। शाम सवा पांच बजे गोरक्षपीठाधीश्वर ने कलश भरने के लिए शोभा यात्रा निकालने को मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ को अपने हाथ से त्रिशूल सौंपा। प्रधान पुजारी की अगुवाई में साधु-संतों के साथ कलश शोभा यात्रा मां आदिशक्ति के जयघोष के साथ भीम सरोवर पहुंची। वहां वैदिक मंत्रोच्‍चार के बीच कलश भरा गया और फिर सरोवर की परिक्रमा की गई। कलश भरने की प्रक्रिया सम्पन्न करने के बाद योगी कमलनाथ भरा कलश लेकर वापस शक्तिपीठ पहुंचे, जहां गोरक्षपीठाधीश्वर योगी ने उनसे लेकर पहले त्रिशूल को स्थापित किया और फिर गौरी-गणेश को प्रतिष्ठित करने के बाद कलश स्थापना की परंरपरागत आनुष्ठानिक प्रक्रिया सम्पन्न की। अनुष्ठान का कार्य मंदिर के प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी वैदिक के नेतृत्व में सम्पन्न कराया गया।

अद्भुत था अस्त्र-शस्त्र के निकली शोभा यात्रा का दृश्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कलश भरने के लिए शोभा यात्रा निकालने को जैसे ही योगी कमलनाथ को अनुमति दी, वह त्रिशूल लेकर साधु-संतों के साथ निकल पड़े। साधु-संत भी अपने हाथ में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए थे। आगे-आगे योगी कमलनाथ और उनके पीछे अस्त्र-शस्त्र लिए अन्य साधु-संत। साथ में घंटा-घडिय़ाल, शंख और नाथ पंथ के विशेष वाद्ययंत्र नागफनी की गूंज। भव्यता की रही-सही कसर मां आदिशक्ति के जयकारे से पूरी हो रही थी। यह अद्भुत दृश्य मौजूद सभी में उत्साह के साथ भक्तिभाव का संचार कर रहा था। 


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