इंस्टेंट लोन के नाम पर हो रही ठगी, आपको ही नहीं रिश्तेदारों को भी पीड़ा दे रहा फोन का लोन
instant loan इंटरनेट मीडिया पर इस समय त्वरित ऋण (इंस्टेंट लोन) के नाम पर जमकर ठगी हो रही है। फोन पर लिंक भेजकर साइबर ठग लोन अप्रूव करते हैं उसके बाद शुरू हो जाता है ब्लैकमेलिंग का खेल।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। इंटरनेट मीडिया पर यदि कहीं त्वरित ऋण (इंस्टेंट लोन) का संदेश दिख रहा है तो उस लिंक और एप से सावधान रहें। यह मैसेज जालसाजों का हो सकता है। इस समय सर्वाधिक ठगी त्वरित ऋण के नाम पर हो रही है। इससे सिर्फ आप ही नहीं, बल्कि आपके परिचित भी परेशान होंगे। आपको ब्लैकमेल करने के लिए जालसाज कृत्रिम रूप से आपकी छवि को बदनाम करके आपके परिचितों को भेजेगा। उसके बाद मनोवैज्ञानिक रूप से इतना दबाव पड़ेगा कि आप जालसाज की बात मानने के लिए तैयार हो जाएंगे।
ऐसे हो रही ठगी
इस समय सर्वाधिक साइबर ठगी इंस्टेंट लोन के नाम पर हो रही है। साइबर थाने पर आने वाली छह से सात शिकायतों में रोजाना दो से तीन मामले इसी से जुड़े होते हैं। आपने गूगल पर लोन को लेकर कोई जानकारी मांगी तो आपके फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम पर त्वरित ऋण से जुड़े संदेश दिखने लगते हैं। उसके बाद जैसे ही कोई उस मैसेज के लिंक व एप को टच करता है। उसके फोन की संपर्क की सूची, माइक्रोन, मेमोरी को एप व लिंक एक्सेस कर लेता है और उसका डेटा जालसाज के पास पहुंच जाता है। जालसाज उससे आधार कार्ड, फोटो, बैंक खाते की जानकारी लेकर तीन से चार हजार रुपये सप्ताह भर के लिए दे देता है। सप्ताह भर बाद जैसे ही वह ऋण लौटाने की कोशिश करता है जालसाज उससे दो से तीन गुनी रकम की मांगता है। रकम नहीं देने पर जालसाज उसकी फोटो को आपत्तिजनक बनाकर, उसके विषय में अभद्र टिप्पणी लिखकर उसके परिचितों को भेजता है। परिचितों को वह फोन भी करता है। इसके बाद अवैध वसूली का सिलसिला शुरू हो जाता है।
अभियंता के बेटे ने 23 बार डाउनलोड किया एप
जालसाजों के झांसे में आकर 12वीं के एक छात्र ने 23 बार एप को डाउनलोड कर लिया। छात्र शाहपुर थाना क्षेत्र के पादरी बाजार का रहने वाला है। उसके पिता सहारनपुर रेलवे में अभियंता के पद पर तैनात हैं। महिला मित्र को प्रभावित करने के लिए उसने त्वरित ऋण के जरिये तीन हजार रुपये लोन ले लिया। रुपये लौटाने के लिए जैसे ही उस पर दबाव पड़ा, दूसरा एप डाउनलोड करके रकम लौटाने लगा। इस तरह उसने 23एप डाउनलोड कर लिया। उसके बाद जालसाजों ने उसके घरवालों, रिश्तेदारों, मित्रों को उसके विषय में गंदे-गंदे मैसेज करना शुरू कर दिया। अंत में उसके अभिभावकों ने साइबर थाने से संपर्क साधा और किसी तरह से ब्लैकमेलिंक रुकी।
लोगों को ऐसे संदेशों से बचना चाहिए। इससे त्वरित भले तीन से चार हजार रुपये का ऋण मिल जाएं, उसके बाद जालसाज ब्लैकमेल करने लगते हैं। इस समय साइबर थाने पर रोजाना दो से तीन शिकायतें इस तरह की आ रही हैं। लोगों को इससे बचने की जरूरत है। - उपेंद्र सिंह, उपनिरीक्षक साइबर थाना।