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बीआरडी कांड में डा. राजीव व डा. कफील के खिलाफ चार्जशीट दाखिल

विवेचक अभिषेक कुमार सिंह ने 93 गवाहों के मौखिक साक्ष्य तथा दस्तावेजी साक्ष्यों से प्राप्त सुबूतों के आधार पर डा. राजीव मिश्र व डा. कफील अहमद खान के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 24 Nov 2017 11:04 PM (IST)Updated: Sat, 25 Nov 2017 09:25 AM (IST)
बीआरडी कांड में डा. राजीव व डा. कफील के खिलाफ चार्जशीट दाखिल
बीआरडी कांड में डा. राजीव व डा. कफील के खिलाफ चार्जशीट दाखिल

गोरखपुर (जेएनएन)। सीएम योगी आदित्यनाथ की कर्मस्थली गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में तीन दर्जन से अधिक बच्चों की मौत प्रकरण में तत्कालीन प्राचार्य डा. राजीव मिश्र एवं डा. कफील अहमद खान के खिलाफ आज को चार्जशीट दाखिल की गई है। विवेचक ने अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम राकेश धर दूबे की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। 

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विवेचक अभिषेक कुमार सिंह ने इस मामले में 93 गवाहों के मौखिक साक्ष्य तथा अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों से प्राप्त सुबूतों के आधार पर डा. राजीव मिश्र के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 308, 120 बी, एवं 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा डा. कफील अहमद खान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 308, 120 बी में आरोप पत्र दाखिल किया है। डा. कफील अहमद के खिलाफ दर्ज 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, धारा 66 आईटी एक्ट, एवं 15 इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट के मामले में कोई साक्ष्य न पाते हुए इन धाराओं में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है। इस मामले के अन्य आरोपियों के खिलाफ पूर्व में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है।

इन धाराओं में दर्ज था मुकदमा 

मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डाक्टर केके गुप्ता ने हजरतगंज लखनऊ में भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 308, 120 बी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 धारा 66 आईटी एक्ट, 15 इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट में दर्ज कराई थी। मामला गोरखपुर से जुड़ा होने के कारण विवेचना यहां स्थानांतरित कर दी गई थी। 

डा. राजीव व डा. पूर्णिमा का मोबाइल फोन अवमुक्त 

विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण राकेश धर दूबे ने डा. राजीव मिश्र व डा. पूर्णिमा शुक्ला से लिए गए उनके मोबाइल फोन को उनके लड़के पूरक मिश्र के पक्ष में अवमुक्त करने का आदेश दिया है। मोबाइल पुलिस ने गिरफ्तारी के समय अभियुक्तों के कब्जे से लिया था।

पूर्व प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा भी घिरे

मेडिकल कालेज प्रकरण में पूर्व प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा समेत पांच और स्वास्थ्यकर्मी जांच के घेरे में आ गए हैं। कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में विवेचक ने इनकी भूमिका संदिग्ध बताई है। सभी लोग आक्सीजन सप्लाई के लिए निकली निविदा कमेटी के सदस्य रहे हैं। पुष्पा सेल्स से अनुबंध में हुई गड़बड़ी के जिम्मेदार हैं। कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में पुलिस का कहना है कि ऑक्सीजन टेंडर प्रक्रिया के लिए टेंडर कमेटी के सदस्य बीआरडी मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा, सीएमओ डा. एआर सिंह, चिकित्साधिकारी डा. एके श्रीवास्तव, मुख्य कोषाधिकारी विनोद और वित्त नियंत्रक नीरज कुमार ने टेंडर प्रक्रिया पूरी की। 

इस जांच में पाया गया कि आईनाक्स कंपनी जो सीधे तौर पर ऑक्सीजन का उत्पादन करती है, उससे सीधे अनुबंध न करके पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड को बिचौलिया बनाकर अनुबंध किया गया। जो घोर अनियमितता है। साथ ही तत्कालीन एसआइसी डा. एके श्रीवास्तव द्वारा अपने कार्यकाल में आक्सीजन का कोई लागबुक नहीं बनाया गया। 

टेंडर प्रक्रिया में नहीं हुई है कोई गड़बड़ी : पूर्व प्राचार्य

पूर्व प्राचार्य डा. केपी कुशवाहा का कहना है कि आक्सीजन सप्लाई की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। एक्सपर्ट की टीम दो बार इसकी आडिट कर चुकी है। तीन बार टेंडर निकलने के बाद भी किसी कंपनी ने आवेदन नहीं किया। चौथी बार में पुष्पा सेल्स समेत तीन कंपनियों ने फार्म भरा। मानक पूरा करने के बाद पुष्पा सेल्स को आक्सीजन सप्लाई का टेंडर मिला था। टेंडर कमेटी डीएम की देखरेख में गठित हुई थी।


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