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खेती का बदल रहा नजरिया, चिकित्‍सा अधिकारी छत पर उगा रहे सब्जी Gorakhpur News

खेती का नाम आते ही दिलो-दिमाग में बड़ा खेत ट्रैक्टर आदि की तस्वीर सामने आने लगती है लेकिन अब खेती के प्रति जहां लोगों का रूझान बढ़ रहा है। इसके नजीर बने हैं पूर्व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसके सिंह।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 12:10 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 12:10 PM (IST)
खेती का बदल रहा नजरिया, चिकित्‍सा अधिकारी छत पर उगा रहे सब्जी Gorakhpur News
छत पर लगाए गए आम के पेड़ व बैगन की देखरेख करते पूर्व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा.एसके सिंह। जागरण

नीरज श्रीवास्तव, गोरखपुर : खेती का नाम आते ही दिलो-दिमाग में बड़ा खेत, ट्रैक्टर आदि की तस्वीर सामने आने लगती है, लेकिन अब खेती के प्रति जहां लोगों का रूझान बढ़ रहा है, वही इसे करने का तरीका भी बदल रहा है। इसके नजीर बने हैं महराजगंज जिले में पूर्व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसके सिंह। वह खेत में नहीं बल्कि छत पर सब्जी और फल उगा रहे हैं। पूरा परिवार इसी सब्जी का खाने में इस्तेमाल करता है। वह बाजार की सब्जी नहीं खाते हैं। मूलत: देवरिया जनपद के रामपुर कारखाना विकास खंड के सिधुआ ग्राम निवासी पूर्व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसके सिंह वर्ष 2001 में ही महराजगंज के परतावल में बस गए।

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तीन हजार स्‍क्‍वायर फ‍िट में बो रहे सब्‍जी

पर्यावरण से लगाव के कारण खेती के लिए भूमि नहीं होने पर भी वह बीते 10 वर्षों से छत पर तीन हजार स्कवायर फिट में लौकी, नेनुआ, करेला, भिंडी, टमाटर, बैगन, कुनरू आदि हरी सब्जी के साथ आम, अमरूद, पपीता, अंगूर व नींबू का पेड़ भी लगाए हैं। वह बिना खाद के किचन के वेस्ट से कंपोस्ट तैयार कर सब्जी, फल उगा लोगों को स्वस्थ समाज का संदेश भी दे रहे हैं। जिसका उन्हें अच्‍छा परिणाम भी मिल रहा है। उनका मानना है कि बाजार की रासायनिक दवा से तैयार सब्जी से बेहतर अपने घर पर उगाई गई सब्जी है। जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। डा. सिंह और उनकी पत्नी सुभद्रा देवी नियमित इसकी देखभाल करती हैं।

ऐसे होती है खेती

तीन हजार स्कवायर फिट छत पर चारों तरफ छत की जमीन से एक फुट ऊपर लोहे की एंगिल के सपोर्ट पर सीमेंटेड स्लैब की ढलाई कराई गई है। इसके दोनों तरफ तीन-तीन फिट का दीवार खड़ाकर नहर के हौज की तरह बनाया गया है। इसमें मिट्टी की भराई कर सब्जी और पेड़ लगाया गया है। इस विधि से छत की भूमि तक पानी नहीं पहुंच पाता है और छत सुरक्षित रहता है।

थर्माकोल में तैयार करते हैं कंपोस्ट

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसके सिंह किचन के वेस्ट से कंपोस्ट तैयार करते हैं। वह किचन से निकले वेस्ट को एक थर्माकोल के डिब्बे में एकत्र करते हैं। धीरे-धीरे आवश्यकता के अनुसार उसमें नमी के लिए पानी डालते रहते हैं। दस से पंद्रह दिनों में वह कंपोस्ट खेत में डालने लायक तैयार हो जाता है, जिसका वह अपनी खेती में प्रयोग करते हैं।

रासायनिक खाद के उपयोग से सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों की हो जाती है कमी

पूर्व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसके सिंह ने कहा कि रासायनिक खाद के उपयोग से खेत की मिट्टी में अम्ल की मात्रा बढ़ने के साथ जिंक और बोरान जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसका दुष्प्रभाव मिट्टी के साथ मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। भूमि की उपचाऊ शक्ति कम हो जाती है और मनुष्य में बाल झड़ने के साथ ही शरीर का विकास भी थम सकता है, यह कुपोषण का कारण भी बनता है।


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