गोरखपुर में बनी फिल्म 'सस्पेंडेड' पर सेंसर बोर्ड की मुहर, देश भर में होगी रिलीज Gorakhpur News
दो घंटे की इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक तो प्रदीप सुविज्ञ हैं ही पटकथा और सिनेमेट्रोग्राफी भी उन्हीं की है। फिल्म का निर्माण तो पूरी तरह से गोरखपुर में हुआ ही है सभी कलाकार भी गोरखपुर के ही हैं।
गोरखपुर, डा. राकेश राय। लक्ष्य के प्रति समर्पण और अपनी कल्पना को साकार रूप देने की जिद व जज्बा हो तो चुनौतियां भी पनाह मांगती हैं। इसकी मिसाल हैं मशहूर रंगकर्मी प्रदीप सुविज्ञ, जिन्होंने धन और संसाधनों की तंगी के बावजूद पूर्वांचल के सांस्कृतिक इतिहास में एक सुनहरा पन्ना जोडऩे में सफलता पाई है। 'सस्पेंडेड' नाम से उन्होंने पहली ऐसी हिंदी फीचर फिल्म बनाई है, जिसकी पूरी शूटिंग गोरखपुर मेंं हुई है। फिल्म को सेंसर बोर्ड का प्रमाण पत्र हासिल हो चुका है, अब इसे देश भर के सिनेमा हालों में रिलीज करने की तैयारी है। सामाजिक सरोकार से जुड़ी इस फिल्म को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भेजने की योजना भी प्रदीप बना रहे हैं।
मशहूर रंगकर्मी प्रदीप सुविज्ञ ने बनाई है गोरखपुर में तैयार पहली हिंदी फीचर फिल्म
दो घंटे की इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक तो प्रदीप सुविज्ञ हैं ही, पटकथा और सिनेमेट्रोग्राफी भी उन्हीं की है। फिल्म का निर्माण तो पूरी तरह से गोरखपुर में हुआ ही है, सभी कलाकार भी गोरखपुर के ही हैं। यहां तक की फिल्म की डबिंग, बैकग्राउंड म्यूजिक और गीतों की रिकार्डिंग भी पूर्वांचल के मशहूर संगीतकार केके सिंह के स्थानीय स्टूडियो में हुई है। एडिटिंग, साउंड मिक्सिंग और कलर करेक्शन प्रदीप ने मुंबई में कराया है। एडिटिंग राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एडिटर असीम सिन्हा ने की है। असीम सिन्हा मशहूर फिल्म निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल के चहेते एडिटर हैं। कलर करेक्शन बालीवुड के मशहूर कलर कोआर्डिनेटर मलय रे और साउंड मिक्सिंग देवव्रत शालिया ने किया है। फिल्म के गीत काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय के आचार्य वशिष्ठ अनूप ने लिखे हैं। गोरखपुर के मशहूर शायर महेश अश्क की एक गजल को भी फिल्म में शामिल किया गया है।
'सस्पेंडेड' के मुख्य कलाकार
नवनीत जायसवाल, रतन सिन्हा, शिवानी यादव, रविशंकर खरे , संजय रैना, अशोक महर्षि, अनूप स्वामी, मीनाक्षी पाण्डेय, अजीत सिन्हा, तन्वी सिंह, एस रफत, राजकिशोर, मुन्ना खान ,मीठी रवि अवस्थी , रवीन्द्र रंगधर, आसिफ जहीर, रचना धुलिया, अमर श्रीवास्तव, अर्पिता।
हास्य के साथ व्यवस्था प्रहार है 'सस्पेंडेड'
'सस्पेंडेड' हास्य-व्यंग्य से पूर्ण फिल्म है। यह एक ऐसे संवेदनशील और ईमानदार सरकारी कर्मचारी की कहानी है, जो मजबूरी में भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा बन तो जाता है लेकिन भीतर से वह इसे कभी स्वीकार नहीं कर पाता। उसकी अंतर्रात्मा हमेशा उसे धिक्कारती रहती है। इसे लेकर वह चिंतित रहता है और अंत में बीच का रास्ता निकालने में सफल होता है पर उसकी चुनौतियां समाप्त नहीं होती हैं।
प्रेमचंद व फिराक की समृद्ध साहित्यिक परम्परा वाले शहर में सिनेमा को उसका प्रतिष्ठित मुकाम दिलाने की एक कोशिश 'सस्पेंडेड' माध्यम से मैंने की है। यह फिल्म उन तमाम कलाकारों को समॢपत है, जो फिल्मों में काम करने का सपना लेकर मुम्बई गए और अपनी आंखों में सूख चुके आंसुओं के साथ घर वापस लौट आए। जीवन के पांच साल मैंने इस फिल्म को दिए हैं ताकि आने वाली पीढ़ी को बता सकूं कि उम्मीद अभी बाकी है। - प्रदीप सुविज्ञ, निर्माता-निर्देशक।