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ट्रेनों में पटरी पर नहीं लौटी खानपान की सुविधा, एनईआर की 70 में से सिर्फ दस ट्रेनों में लग रही पेंट्रीकार

गोरखपुर होकर गुजरने वाली एनईआर की 70 में से स‍िर्फ दस ट्रेनों में ही कैटर‍िंग की व्‍यवस्‍था हो पाई। इसके अलावा 17 में ट्रेन साइड वेंडिंग की व्यवस्था है। अन्‍य 43 ट्रेनों के यात्र‍ियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 11:41 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 11:41 AM (IST)
ट्रेनों में पटरी पर नहीं लौटी खानपान की सुविधा, एनईआर की 70 में से सिर्फ दस ट्रेनों में लग रही पेंट्रीकार
एनईआर की 70 में से सिर्फ दस ट्रेनों में ही खान-पान की व्‍यवस्‍था शुरू हो पाई है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कोविड काल के बाद नियमित एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया। अधिकतर ट्रेनों में जनरल टिकट पर यात्रा की अनुमति भी मिल गई है। लेकिन अभी तक खानपान की सुविधा पटरी पर नहीं लौटी है। पूर्वोत्तर रेलवे की महज दस ट्रेनें ही पेंट्रीकार के साथ चल रही हैं। अन्य 17 में ट्रेन साइड वेंडिंग (रास्ते में मिलनी वाली पैक्ड सामग्री) की व्यवस्था है। शेष 43 गाड़ियों में अवैध वेंडरों का कब्जा है। पूर्वोत्तर रेलवे में 70 एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं।

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अन्‍य गाड़ियों में अवैध वेंडरों का कब्जा है, बेचते हैं लोकल ब्रांड का पीने का पानी

मुख्यालय गोरखपुर से चलने वाली पूर्वोत्तर रेलवे की प्रमुख गोरखधाम और हमसफर एक्सप्रेस में भी आज तक पेंट्रीकार की व्यवस्था नहीं हो पाई। सफर के दौरान यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। साइड वेंडिंग के वेंडर मनमाने ढंग से नाश्ता और खाना परोसते हैं। एक तो मानक और गुणवत्ता सही नहीं होती, ऊपर से खानपान का बिल भी नहीं देते। 15 का रेल नीर 20 रुपये में बेचते हैं। यात्री ठगे जाते हैं। लखनऊ-बरौनी सहित जिन ट्रेनों में साइड वेंडिंग भी नहीं है, उनमें लोकल वेंडर चलते हैं। मनमाना कीमत वसूलते हैं। शिकायत करने पर वेंडर मारपीट पर ऊतारू हो जाते हैं। रेलवे और आइआसीटीसी के संबंधित लोग भी संज्ञान नहीं लेते हैं।

गोरखधाम और हमसफर एक्सप्रेस ट्रेनों में भी आज तक नहीं लग सकी है पेंट्रीकार

हालांकि रेलवे प्रशासन ने सफर में ई कैटरिंग (आनलाइन डिमांड पर मिलने वाली खानपान की सामग्री) की सुविधा उपलब्ध कराई है। आइआरसीटीसी ने गोरखपुर के भी दो रेस्टोरेंट को नामित किया है। लेकिन इसे जानकारी का अभाव कहें या सिस्टम की खामी। यात्रियों को ई कैटरिंग नहीं भा रही है। जानकारों का कहना है कि गोरखपुर से बनकर दिल्ली जाने वाली ट्रेनों के अधिकतर यात्री घर से खाना खाकर निकलते हैं या टिफिन लेकर चलते हैं। ट्रेनें एक ही रात में गंतव्य तक पहुंच जाती हैं।इसके चलते कोई फर्म पेंट्रीकार चलाने के लिए तैयार नहीं होती है। ऐसे में मुंबई, जम्मूतवी और सिकंदराबाद रूट पर चलने वाली लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों में ही पेंट्रीकार की व्यवस्था हो पाई है।

गोरखपुर से बनकर चलने वाली इन ट्रेनों में पेंट्रीकार

12511/12, 12589/90, 12591/92 कोचीन एक्सप्रेस

15097/98 और 12587/88 अमरनाथ एक्सप्रेस

22537/22538 कुशीनगर एक्सप्रेस

15018/15017 दादर एक्सप्रेस

15045/15046 गोरखपुर-ओखा एक्सप्रेस

गोरखपुर से बनकर चलने वाली इन ट्रेनों में साइड वेंडिंग

12555/12556 गोरखधाम एक्सप्रेस

12571/72 और 12595/96 हमसफर

12531/32 गोरखपुर-लखनऊ इंटरसिटी

12597/98 गोरखपुर-सीएसटी अंत्योदय

15047/48 और 15049/50 पूर्वांचल एक्सप्रेस

15001/02 और 15005/06 देहरादून एक्सप्रेस

15003/04 चौरीचौरा एक्सप्रेस।


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