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कोरोना को मात दे चुके लोगों पर अब मोतियाबिंद का अटैक, मरीजों की बढने लगी संख्‍या

एक निजी अस्पताल में 20 मरीज आंख गडऩे लाली व पानी गिरने की समस्या लेकर पहुंचे थे। इनमें से पांच में मोतियाबिंद की शुरुआत हो चुकी है। इसमें महराजगंज जनपद के अलावा गोरखपुर के सिंघडिय़ा व रुस्तमपुर के पुरुष तथा चौरीचौरा व सहजनवां की दो महिलाएं शामिल हैं।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 12:05 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 07:03 PM (IST)
कोरोना को मात दे चुके लोगों पर अब मोतियाबिंद का अटैक, मरीजों की बढने लगी संख्‍या
मोतियाबिंद के मरीजों के संबंध में फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। जिन मरीजों को मोतियाङ्क्षबद नहीं था, कोरोना पाजिटिव होने के बाद वे इस बीमारी के शिकार हो गए हैं। एक निजी अस्पताल में आए 30 फीसद पोस्ट कोविड मरीजों में मोतियाङ्क्षबद की शिकायत मिली है। बाबा राघव दास बीआरडी मेडिकल कालेज में पहुंचे मरीजों में 12 से 15 फीसद में यह शिकायत सामने आई है। हालांकि अभी शुरुआत है। डाक्टरों ने फालोअप के लिए बुलाया है। यदि ज्यादा दिक्कत बढ़ी तो छह माह बाद उनका आपरेशन हो सकता है।

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निजी अस्‍पतालों समेत बीआरडी में आंख के मरीजों की संख्‍या बढ़ी

एक निजी अस्पताल में 20 मरीज आंख गडऩे, लाली व पानी गिरने की समस्या लेकर पहुंचे थे। इनमें से पांच में मोतियाबिंद की शुरुआत हो चुकी है। इसमें महराजगंज जनपद के अलावा गोरखपुर के सिंघडिय़ा व रुस्तमपुर के पुरुष तथा चौरीचौरा व सहजनवां की दो महिलाएं शामिल हैं। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज के पोस्ट कोविड ओपीडी में आंख में लाली, गडऩ व पानी गिरने की समस्या लेकर 112 मरीज पहुंचे। इनमें से 15 में मोतियाबिंद मिला है। सभी की उम्र 40 से 45 वर्ष के बीच है। पूछने पर पता चला कि उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था और गंभीर रूप से बीमार पड़े थे। संक्रमण के दौरान उनका आक्सीजन स्तर 70 से 80 फीसद के बीच था। ठीक होने में लगभग एक माह का समय लगा। डाक्टरों के मुताबिक आमतौर पर 55 वर्ष की उम्र के बाद ही मोतियाङ्क्षबद की शुरुआत होती है। लेकिन इन मरीजों की जान बचाने के लिए 20 दिन से अधिक स्टेरायड दिया गया था। सभी का शुगर लेवल चार से पांच सौ एमजी तक पहुंच गया था। बाद में शुगर नियंत्रित हो गया लेकिन उसकी वजह से मोतियाबिंद की शुरुआत हो गई है।

सबसे ज्यादा आ रही एलर्जी की समस्या

सबसे ज्यादा मरीज एलर्जी की समस्या लेकर नेत्र रोग विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे हैं। इनमें पोस्ट कोविड व नान कोविड दोनों तरह के मरीज हैं। सबसे ज्यादा संख्या आनलाइन क्लास लेने वाले ब'चों की है। इसमें छह वर्ष के ब'चों से लेकर 22 साल तक के युवा शामिल हैं। डाक्टरों के मुताबिक सभी ब'चों के पास लैपटाप नहीं है, इसलिए वे मोबाइल पर क्लास ले रहे हैं। आंखों में सूखापन आ रहा है। इसके अलावा मास्क लगाने से सांस आंख तक जाती है, उसकी वजह से भी आंखों के आंसू सूख जा रहे हैं। इस वजह से पानी गिरने की समस्या आ रही है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. रजत कुमार का कहना है कि पोस्ट कोविड मरीजों में स्टेरायड के अधिक सेवन से शुगर का स्तर बढ़ा और उसकी वजह से मोतियाबिंद की शुरुआत हो गई हैं। आनलाइन क्लास लेने वाले ब'चों को हर आधे घंटे के बाद दो-चार मिनट का ब्रेक लेना बहुत जरूरी है। संभव हो तो 60 फीसद आनलाइन व 40 फीसद आफलाइन क्लास शुरू कर देना चाहिए। बीआरडी मेडिकल कालेज में नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. रामकुमार जायसवाल का कहना है कि पोस्ट कोविड मरीजों में मोतियाङ्क्षबद की समस्या आ रही है। लेकिन इसके कारणों के बारे में अभी स्पष्ट रूप से कुछ कह पाना संभव नहीं है। अध्ययन चल रहा है। शुगर लेबल बढऩा एक कारण हो सकता है। जिन्हें मोतियाङ्क्षबद शुरू हुआ है। उनका फालोअप किया जा रहा है। जरूरत पडऩे पर आपरेशन किया जाएगा।


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