प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा का नाम मतदाता सूची में शामिल करने पर केस
सिद्धार्थनगर जनपद में पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम चल रहा है।भैंसहिया गांव मतदाता सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिवराज चौहान माया मुलायम लादेन बराक ओबामा सोनम कपूर अनिल कपूर पंखा चेक फलाने उनके बाप जैसे नाम दर्ज थे।
गोरखपुर, जेएनएन। निर्वाचन संबंधित कार्यों में डीएम की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। सबसे आखिरी पायदान पर बीएलओ होता है। मतदाता सूची गड़बड़ी मामले में बीएलओ पारस नाथ यादव के ऊपर जिम्मेदारों ने भवानीगंज थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया, लेकिन वरिष्ठों को उनकी गलती की क्या सजा मिलेगी यह तय नहीं है।
सिद्धार्थनगर जनपद में पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम चल रहा है। अभी अंतिम सूची का प्रकाशन नहीं हुआ है। इसी बीच डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के भैंसहिया गांव की सूची में तीन दिन पूर्व गड़बड़ी उजागर हो गई। सूची में देश ही नहीं अमेरिका के राजनेता का नाम दर्ज मिला। और तो और आतंकी, निर्जीव वस्तुओं व सिने स्टार का नाम शामिल था।
जागरण के खबर प्रकाशन के बाद प्रशासन हरकत में आया तो जांच शुरू हुई। गुरुवार आनफानन में रिपोर्ट तैयार कर तत्कालीन बीएलओ पर भवानीगंज थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया गया। 2015 की मतदाता सूची में गड़बड़ी थी। उस समय बीएलओ रहे परस नाथ यादव बेसिक शिक्षा विभाग के प्रेरक थे। प्रेरक पद समाप्त होने से बेरोजगार हो घर की खेती बारी संभालते हैं। उनका दावा है कि पिछले चुनाव की सूची में ऐसे कोई नाम थे ही नहीं। बताया कि उनके पास उन कागजातों की प्रति आज भी है जो उन्होंने सर्वे उपरांत जमा किया। गांव के लोगों में राम अंजोरे, मुक्तिनाथ, रामसनेही जो पंचायत चुनाव में सक्रिय रहते हैं ने भी स्वीकार किया कि पुरानी सूची में ऐसा कुछ नहीं था जो नई सूची में है। मामले में अन्य जिम्मेदारों पर क्या दोष साबित होता है यह महत्वपूर्ण है। बहरहाल एसडीएम डुमरियागंज त्रिभुवन ने कहा कि बीएलओ पर मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। जांच अभी चल रही है।
सूची में थे यह नाम
भैंसहिया गांव मतदाता सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिवराज चौहान, माया, मुलायम, लादेन, बराक ओबामा, सोनम कपूर, अनिल कपूर, पंखा, चेक, फलाने, उनके बाप, जैसे नाम दर्ज थे।
इन प्रश्नों के जवाब नहीं
फर्जी सूची मामले में बीएलओ पर कार्रवाई कर प्रशासन अपनी पीठ भले ही थपथपा रहा, लेकिन कई अनुत्तरित प्रश्नों के जवाब नहीं हैं। प्रशासन के अनुसार अगर सूची 2015 की है तो पांच वर्ष में यह त्रुटि दुरुस्त क्यों नहीं हुई, जबकि लोकसभा के चुनाव पिछले पंचायत चुनाव के बाद हुए, उस दौरान भी मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम चलाया गया था। अभी पंचायत चुनाव के अंतिम सूची का प्रकाशन नहीं हुआ तो यह रोजगार सेवक के हाथ कैसे लग गई। सबसे महत्त्वपूर्ण की जिस सूची को आधार बनाकर मुकदमा दर्ज कराया गया उस पर स्पष्ट लिखा है कि ' पंचायत निर्वाचक नामावली 2020' तो यह सूची पुरानी कैसे।