फोरलेन के इस तिराहे पर संभलकर चलिए, यहां हर माह होते हैं चार हादसे Gorakhpur News
कोनी मोड़ तिराहे पर गोरखपुर जाने वाले वाहन चालकों को लखनऊ की तरफ से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देते। लखनऊ से आने वाले वाहन चालकों को भी गोरखपुर से जाने वाले वाहन नहीं दिखतेे।
गोरखपुर, जेएनएन। जगदीशपुर-कोनी फोरलेन तिराहा हादसे का केंद्र बन गया है। औसतन यहां हर माह चार हादसे होते हैं। इसकी वजह विशेषज्ञ व स्थानीय लोग मोड़ पर सही इंजीनियरिंग का इस्तेमाल न होना बताते हैं। हादसे का प्वाइंट होने के बाद भी यहां पेट्रोलिंग टीम नजर नहीं आती। अगल-बगल कभी एबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां भी नहीं दिखतीं। 2015 में मोड़ के डिजाइन में बदलाव का आदेश जारी हुआ, लेकिन अमल नहीं हुआ।
यहां मुड़ने पर वाहन दिखाई ही नहीं पड़ते और हो जाता है हादसा
कोनी मोड़ तिराहे पर गोरखपुर जाने वाले वाहन चालकों को लखनऊ की तरफ से आने वाले वाहन दिखाई नहीं देते। यही स्थिति लखनऊ से आने वाले वाहन चालकों को भी गोरखपुर से जाने वाले वाहन नहीं दिखते। दूसरे मानक से अधिक कर्व भी यहां हादसे की वजह बनती है। ठंड में विजिविलटी कम होने पर हादसे की आशंका बढ़ जाती है। सड़क का सुपर एलिवेशन (एक तरफ ऊंचा व एक तरफ नीचा) होना भी हादसे की वजह है।
कोनी समेत 25 स्थानों पर होते हैं ज्यादा हादसे
2019 में अधिकारियों ने हादसों की सर्वे रिपोर्ट तैयार की है। इसमें 25 स्थानों पर सबसे ज्यादा हादसे होने की बात सामने आई। कुछ स्थानों को ब्लैक स्पॉट चिह्नित किया गया है, जिसमें सोनबरसा, कोनी तिराहा, कस्बा पीपीगंज, रामनगर कडज़हां, जंगल धूसड़ से पिपराइच, चौरीचौरा से भोपा बाजार, बेलो सिधावल, मरचहवा बाबा तिराहा, देवीपुर, रामपुर बुजुर्ग, चवरिया खुर्द, बोकटा, खजांची चौराहा, चौमुखा, भीटी रावत, कसीहार, बगहावीर मंदिर, बोकटा, दाना-पानी होटल, भीटी रावत, रावतगंज, फुटहवा इनार, निबियहवा ढाला और नौसड़ तिराहा शामिल है।
होगी टेक्निकल जांच
एनएसआइ के परियोजना निदेशक श्रीप्रकाश पाठक का कहना है कि कोनी फोरलेन तिराहा पर हो रहे हादसे की टेक्निकल जांच कराई जाएगी। जो भी गड़बड़ी मिलेगी, उसे दूर कराने का प्रयास किया जाएगा। हादसे रोकने के लिए पूर्व में लिए गए निर्णय की जानकारी नहीं है।