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ग्राहकों की कसौटी पर खरा उतरने से चमका कारोबार, पुराने संबंध आए काम

रवि वर्मा कहते हैं कि कारोबार ठीक चल रहा था लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लाकडाउन हो जाने से दो महीने दुकान बंद हो गयी। कर्मचारियों को घर भेज देना पड़ा बहुत ही मुश्किल स्थिति हो गयी थी।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 12:30 AM (IST)
ग्राहकों की कसौटी पर खरा उतरने से चमका कारोबार, पुराने संबंध आए काम
कुशीनगर जिले के सराफा दुकानदार रवि वर्मा।

कुशीनगर, जेएनएन। किसी कारोबार की बुनियाद अगर पंरपराओं, ग्राहकों से मधुर रिश्ते और कुछ नया करने की चाहत पर टिकी हो तो उसकी सफलता संभव है। इस सफर में कभी मुश्किल आ भी जाए तो ग्राहकों के विश्वास से फिर से कामयाबी मिल सकती है। बस जरूरत होती है धैर्य रखने की।

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ग्राहकों से किया संपर्क

 तिलक चौक मेन रोड पर सराफा की दुकान किए रवि वर्मा कहते हैं कि कारोबार ठीक चल रहा था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लाकडाउन हो जाने से दो महीने दुकान बंद हो गयी। कर्मचारियों को घर भेज देना पड़ा, बहुत ही मुश्किल स्थिति हो गयी थी। कर्मचारियों को हर माह में निर्धारित वेतन देता रहा, उन्हें यह भी विश्वास दिलाता रहा कि जल्द ही स्थितियां सामान्य हो जाएंगी और इसके लिए अन्य तरीके भी निकाले जा रहे हैं। इसके बाद ग्राहकों को घर पर डिजाइन पसंद करने और आर्डर लेने का विचार बनाया। तीन सौ से चार सौ ग्राहकों के नंबर हैं। हमने उनसे फोन के माध्यम से संपर्क साधा, दुकान बंद रहने के दौरान भी उनसे बातचीत का क्रम जारी रखा ताकि आत्मीयता बनी रहे। ऐसा इसलिए भी किया कि अगर हमारे ग्राहक किसी समस्या में हैं और हम समाधान करने में सक्षम हैं तो उनकी मदद की जा सके। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए कार्ययोजना बनायी और इसका प्रतिफल हमें ग्राहकों के प्यार के रूप में मिला, जो किसी भी कारोबार की जान है।

बिजनेस सेंटर की तरह किया सोशल मीडिया का इस्तेमाल

सोशल मीडिया का इस्तेमाल बिजनेस सेंटर की तरह किया। लाकडाउन के दौरान कुछ ग्राहकों का फीडबैक आया कि हमें नए प्रोडक्ट के बारे में बताएं। यह भी कहे कि अगर डिजाइन पसंद आया तो हम शो-रूम पर आएंगे। ऐसे में उन्हें नए प्रोडक्ट, डिजाइन, सोने-चांदी के भाव से अपडेट करने का काम वाट््सएप पर किया। पहले जेवरात लाने के लिए दिल्ली, लखनऊ से मंगाते थे, इसके लिए उन्हें जाना पड़ता था, अब आर्डर पर कोरियर के जरिये माल मंगाने का काम किया जा रहा है।लॉकडाउन में और उसके बाद भी आवागमन की परेशानी थी। ऐसे में वीडियो काङ्क्षलग का सहारा लिया गया और जेवरात पसंद कर आर्डर दिया। इसके बाद माल की डिलिवरी हुई, जिसे ग्राहकों तक पहुंचाने का प्रयास रहा।डिजिटल पेमेंट की भी व्यवस्था रही, बहुत लोगों ने डिजिटल पेमेंट किया। ग्राहकों की सलाह, विश्वास, डिजिटल का साथ और मेहनत ने स्थितियों को फिर से उनके पक्ष में मोड़ दिया। रवि ने बताया कि अब मलमास खत्म हो गया है, अब शादी विवाह का समय आ रहा है, ऐसे में कारोबार बढऩे की उम्मीद है।ग्राहकों को नई डिजाइन के जेवरात उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों को आर्डर भेज दिया गया है, जो आने भी शुरू हो गए हैं। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई स्कीम चलायी जा रही है, इसका भी लाभ व्यवसाय में मिल रहा है।

दादा जी ने खोली थी दुकान

वह बताते हैं कि 1970 में दादा राम प्रसाद ने आरके ज्वेलर्स नाम से दुकान खोली, पिताजी राजेंद्र प्रसाद वर्मा भी उनके काम में हाथ बंटाते थे। उस समय दुकान काफी छोटी थी और ग्राहकों की संख्या भी सीमित थी। वर्ष 1990 से हम व हमारे दो भाई राकेश व दीपक भी बैठने लगे। इसके बाद धीरे-धीरे दुकान का विस्तार किया गया। क्वालिटी और दाम से ग्राहकों में विश्वास बनाया, जिससे उनकी संख्या बढ़ती गयी। कोरोना संक्रमण काल में शोरूम पर आने वाले ग्राहकों को शासन की गाइड लाइन के अनुसार हाथ सैनिटाइज कराया जाता है। फिजिकल डिस्टेंङ्क्षसग का पालन करते हुए दुकान को भी प्रतिदिन सैनिटाइजेशन किया जाता है। मास्क पहन कर न आने ग्राहकों को मास्क दिया जाता है, ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा कम रहे। ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले ग्राहकों को यह समझाया जाता है कि जब तक यह संकट का दौर चल रहा है। तब तक खुद के साथ औरों की सुरक्षा का ख्याल रखना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व बनता है। इसलिए अपने अगल-बगल के लोगों को भी जागरूक करना चाहिए।


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