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कपड़ा व्‍यवसाय : ग्राहकों की उम्मीदों पर खरा उतरा तो कारोबार का हुआ विकास

कपड़ा व्यापारी विकास जालान ने बताया कि कोरोना काल के दौरान शर्तों के साथ दुकान खोलने की जब छूट मिली तो ग्राहकों के मोबाइल नंबर पर संपर्क कर उन्हें जरूरत के कपड़े उपलब्ध कराया गया। वाट्सएप के जरिए फोटो भेज कर कपड़ों को पसंद करा जाता था।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 12:30 AM (IST)
कपड़ा व्‍यवसाय : ग्राहकों की उम्मीदों पर खरा उतरा तो कारोबार का हुआ विकास
महराजगंज जनपद के कपड़ा व्यापारी विकास जालान।

महराजगंज, जेएनएन। अगर आप धैर्यवान और आपकी वाणी मधुर है तो हर चुनौती और राह आपके लिए आसान हो जाती है। विषम परिस्थिति में आपका व्यवहार ही आपका साथ देता है। कपड़ा व्यापारी विकास जालान (विक्की) के साथ भी यही हुआ। कोरोना काल में व्यापार भले ही प्रभावित हुआ, लेकिन मुसीबत में ग्राहकों और अपने कर्मचारियों की कसौटी पर जो वह खरे उतरे, वही आज उनके लिए खाद बनकर काम कर रहा है, और कारोबार विकास कर रहा है।

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कपड़ा व्यापारी विकास जालान ने बताया कि कोरोना काल के दौरान शर्तों के साथ दुकान खोलने की जब छूट मिली, तो ग्राहकों के मोबाइल नंबर पर संपर्क कर उन्हें जरूरत के कपड़े उपलब्ध कराया गया। वाट्सएप के जरिए फोटो भेज कर कपड़ों को पसंद करा जाता था। इसके बाद डिलीवरी कर ऑनलाइन पेमेंट प्राप्त कर लिया जा रहा था। उस दौरान ग्राहक फैंसी आइटम पर कम बल्कि अपनी आवश्यकता से संबंधित कपड़ों की खरीदारी ही करते थे, लेकिन अब ग्राहक दुकानों तक पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्राहकों की संतुष्टि के लिए सदैव तत्पर रहता हूं। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में कम मुनाफे पर व्यापार करता हूं। ताकि कोई ग्राहक दुकान से वापस न लौटे। भुगतान के लिए स्वैप मशीन और गूगल-पे व फोन-पे की भी व्यवस्था की गई है।

संघर्षों से मिली पहचान

सिसवा से महराजगंज नगर में आकर पिता ओमप्रकाश जालान के 1969 में शुरू किए गए श्रीश्याम वस्त्रालय की कमान वर्ष 1990 में विकास जालान ने संभाली। तमाम उतार-चढ़ाव व संघर्ष के बाद अच्छी उपलब्धि प्राप्त हुई और व्यवसाय में एक पहचान मिली। दुकानदार और ग्राहक के साथ ही दुकान के कर्मचारियों का सहयोग मिला, जिसका प्रतिफल है कि दुकान दिन प्रतिदिन बढ़ता गया। पांच दशकों में ग्राहक और दुकानदार के रिश्ते मजबूत होते गए, यही कारण है कि कोरोना काल के दौरान दोनों एक दूसरे के सहयोगी के रूप में उभर कर सामने आए।

कर्मचारियों के बने रहे हमदर्द

कोरोना काल में व्यापार भले प्रभावित रहा, लेकिन किसी भी कर्मचारियों को यहां से नहीं निकाला गया। विकास ने बताया कि कर्मचारियों और ग्राहकों से कनेक्शन बनाए रखने के लिए उनसे मोबाइल के जरिये हालचाल लिया जाता रहा। साथ ही उन्हें आर्थिक तंगी का शिकार ना होना पड़े। समय-समय पर मदद भी की जाती रही। कुछ ग्राहक भी हैं, जिनकी मदद के लिए खड़ा रहा।

सुरक्षा के मद्देनजर ग्राहकों को देते हैं मास्क

कोरोना को लेकर ग्राहकों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।कोरोना से बचाव के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है। दुकान में प्रवेश करने वाले प्रत्येक ग्राहक का हाथ धुलवाया जाता है। अगर वह मास्क नहीं लगाया है, तो मास्क दिया जाता है। ताकि वह कोरोना से बचाव के लिए मास्क लगाने के प्रति जागरूक हो। कोरोना को लेकर कर्मचारियों को भी सतर्क रहने और मास्क लगाने का सुझाव दिया गया है। 

वाट्सअप से देख रहे डिजाइन, ई-मेल से कंपनियों को आर्डर

विकास बताते हैं कि साडिय़ों और शूट की विभिन्न वरायटी सूरत, मुम्बई, राजस्थान, अहमदाबाद और बंगलोर से मंगाई जाती है। कोरोना काल से पहले तो खुद जाकर डिजाइन और कपड़ा देखकर खरीदारी की जाती थी। लेकिन अब कंपनियां वाट्सएप और ईमेल के जरिये साडिय़ों व शूट की डिजाइन भेज देती हैं। जिसे पसंद कर आर्डर दिया जाता है और आनलाइन पमेंट कर दिया जाता है। आनलाइन व्यवस्था से काफी सहूलियत मिल जा रही है। भागदौड़ नहीं करना  पड़ रहा है। समय के साथ किराए भाड़े की बचत भी हो रही है।

सिल्क पर कढ़ाई की साड़ी की खास डिमांड

वर्तमान बाजार में सिल्क पर कढ़ाई वाली साड़ी महिलाओं और युवतियों की खास पसंद है। इसके अलावा प्रिंट बार्डर वाली साड़ी, कढ़ाई वर्क शूट, प्रिंट वर्क शूट की डिमांड है। विकास ने बताया कि सिल्क पर कढ़ाई वाली साड़ी 350 रुपये से 10 हजार रुपये तक है। जबकि प्रिंट बार्डर वाली साड़ी 250 से 1500 रुपये, प्रिंट वर्क शूट 400 रुपये से 4000 रुपये तक तथा कढ़ाई वाली शूट 200 रुपये से 800 रुपये तक उपलब्ध है। इसके अलावा शादी विवाह के लिए दुल्हन साड़ी और लहंगा भी उपलब्ध है।


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