रबर का बुलेट प्रूफ बांध, एक बूंद पानी नहीं होगा बर्बाद Gorakhpur news
गोरखपुर में हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के खाद कारखाना में देश का पहला रबर बांध तैयार हो रहा है।
गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। पानी की बर्बादी रोकने के लिए हवा भरे रबर का बांध, वह भी बुलेट प्रूफ। सुनकर आपको आश्चर्य होगा, लेकिन यह सोलह आने सच है। गोरखपुर में निर्माणाधीन हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के खाद कारखाना में देश का पहला ऐसा रबर बांध तैयार हो रहा है। इस बांध के सहारे चिलुआताल का पानी रोका जाएगा और जरूरत पडऩे पर खाद कारखाना को उसकी आपूर्ति दी जाएगी। अब तक पानी से भरे रबर के बांध ही दक्षिण भारत में बनाए गए हैं।
65 मीटर लंबा, दो मीटर ऊंचा है बांध
चिलुआताल में बना रबर बांध 65 मीटर लंबा और दो मीटर ऊंचा है। इसमें आधे घंटे में हवा भरी जा सकती है। जरूरत के अनुसार हवा कम की जा सकती है या पूरी तरह निकाली जा सकती है।
दक्षिण कोरिया की तकनीक
रबर बांध दक्षिण कोरिया की तकनीक पर बना है। इसमें रबर के नौ लेयर हैं। यह पूरी तरह बुलेट प्रूफ है। इसके निर्माण में तकरीबन 28 करोड़ की लागत आ रही है।
1450 घन मीटर प्रति घंटा चाहिए पानी
खाद कारखाना को प्रति घंटा 1450 घन मीटर पानी की आवश्यकता होगी। खाद कारखाना प्रबंधन ने चिलुआताल में 20 लाख घन मीटर पानी स्टोर करने की व्यवस्था की है। रबर बांध की मदद से पानी चिलुआताल में हमेशा भरा रहेगा। यदि पानी कम होगा तो रबर बांध की हवा निकाल कर नदी से आने वाला पानी इकट्ठा किया जाएगा।
बढ़ी है चिलुआताल की गहराई
रबर बांध बनाने से पहले प्रबंधन ने चिलुआताल की गहराई बढ़ाई है। इसके लिए दो मशीनें लगाई गई थीं। खोदाई से निकली मिट्टी को ताल के तीन तरफ डाला गया है। बाढ़ के समय बांध की हवा निकाल दी जाएगी।
रबर बांध का काम तेजी से चल रहा है। इससे खाद कारखाना जरूरत के अनुसार पानी लेने में सक्षम हो जाएगा। रबर बांध पर गोलियों का भी असर नहीं होगा। यह भारत का पहला हवा भरा रबर बांध है। - प्रवीन कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर, रबर बांध