गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर कैंट मई 2023 तक सैटेलाइट के रूप में विकसित हो जाएगा। आने वाले दिनों में गोरखपुर से बनकर चलने वाली नरकटियागंज, छपरा व वाराणसी रूट की अधिकतर इंटरसिटी, पैसेंजर व मेमू ट्रेनें कैंट से ही चलाई जाएंगी। गोरखपुर जंक्शन का लोड कम तो होगा ही, ट्रेनों का विलंबन भी कम हो जाएगा। निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए आम बजट में मंत्रालय ने और एक करोड़ रुपये का प्राविधान किया है। पिछले वर्ष भी मंत्रालय ने साढ़े दस करोड़ आवंटित किया था।

स्टेशन पर तैयार हो रहीं पांच रेल लाइनें

स्टेशन पर पांच रेल लाइनें तैयार हो रही हैं। नए प्लेटफार्म, भवन, विश्रामालय के अलावा एक और फुट ओवरब्रिज (पैदल उपरिगामी पुल) बन रहा है। लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। कोच वाटरिंग सिस्टम के निर्माण व प्लेटफार्मों को दुरुस्त करने की प्रक्रिया चल रही है। गोरखपुर जंक्शन पर दस प्लेटफार्म बन जाने के बाद भी ट्रेनों को जगह नहीं मिल पा रही। ट्रेनें विलंबित होती हैं।

गोरखपुर रूट से होकर रोज चलती हैं 200 ट्रेनें

गोरखपुर रूट होकर प्रतिदिन लगभग प्रतिदिन लगभग 200 ट्रेनें चलती हैं, जिसमें 150 यात्री ट्रेनें शामिल हैं। जानकारों के अनुसार रेलवे प्रशासन ने स्टेशन के दक्षिण तरफ सड़क बनाने की कवायद भी शुरू कर दी है। रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजकर स्टेशन से दक्षिण तरफ सेना से आठ हजार वर्ग मीटर भूमि की मांग की गई है। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही भूमि पर भी आम सहमति बन जाएगी।

बजट में इन्हें भी आवंटित किए गए रुपये

रेल मंत्रालय ने कैंट स्टेशन के अलावा भटनी-पिवकाेल बाइपास रेल लाइन के लिए भी बजट में 2.20 करोड़ रुपये का आवंटन कर दिया है। निर्माण कार्य भी करीब 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इस वर्ष यह बाइपास रेल लाइन भी भटनी-औड़िहार दूसरी लाइन के साथ खुल जाएगी। बाइपास रेल लाइन बन जाने से छपरा-वाराणसी रूट की ट्रेनों को भटनी में इंजन की दिशा नहीं बदलनी पड़ेगी। ट्रेनें बाइपास रेलमार्ग से सीधे वाराणसी के लिए रवाना हो जाएंगी। बेवजह की लेटलतीफी और रेलवे के खर्चों में कमी आएगी।

Edited By: Pragati Chand