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बीटेक किसान का पैगाम, खेती में रोजगार का मुकाम

खेती में रोजगार का समृद्ध मुकाम है। जिले के अहिरौली गांव निवासी इस किसान ने नजीर पेश की है

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 11:33 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 11:33 PM (IST)
बीटेक किसान का पैगाम, खेती में रोजगार का मुकाम
बीटेक किसान का पैगाम, खेती में रोजगार का मुकाम

महराजगंज, जेएनएन: छह लाख सालाना पैकेज की नौकरी छोड़ खेती से प्रतिवर्ष 32 लाख रुपये कमाने वाले बीटेक किसान कुलदीप द्विवेदी ने बेरोजगारों को यह पैगाम दिया है कि खेती में रोजगार का समृद्ध मुकाम है। जिले के अहिरौली गांव निवासी इस किसान ने नजीर पेश की है कि हौसला, नई सोच और नवीन तकनीक का सम्मिश्रण खुद को तो स्वावलंबी बनाता ही औरों को भी रोजगार देने का कार्य करता है। बताया है कि कैसे खेत व खेती को गांव से बैठकर ही दूसरे देश व राज्यों से जोड़कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

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लीज पर 32 एकड़ खेत लेकर कुलदीप ने केले की आधुनिक ढंग से खेती की है। औसत रूप से प्रतिवर्ष 32 लाख रुपये मुनाफा कमा रहे हैं। 30 हजार रुपये एकड़ के हिसाब से लीज पर भूमि ली है। कुलदीप बताते हैं कि 2016 में केले की खेती करने का विचार जब मन में आया तो यह डर भी था, लेकिन बेहतर उत्पादन के साथ ऑनलाइन बाजार ने सफलता की शानदार इबारत लिखी। उत्पाद बेचने के लिए उनको कहीं जाना नहीं पड़ता है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व नेपाल से व्यापारी खेत से ही केला ले जाते हैं। फसल बेहतर हो इसके लिए पौधे महाराष्ट्र के जलगांव से मंगाते हैं। नई मशीन व आधुनिक विधा का करते हैं प्रयोग

- खेती के लिए कुलदीप नई मशीन (केमिकल स्प्रे करने आदि कार्य के लिए) व पानी की बचत के लिए टपक विधि से सिंचाई करते हैं। फसल के लिए होने वाले नए शोध व इसमें प्रयोग होने वाली खाद आदि की जानकारी के लिए ऑनलाइन कृषि विशेषज्ञों से जुड़ते हैं और उसका प्रयोग भी अपनी खेती में करते हैं। सवा लाख की लागत और एक लाख का मुनाफा

कुलदीप बताते हैं कि पौध, खाद, मजदूरी आदि मिलाकर प्रति एकड़ केले के उत्पादन में सवा लाख रुपये की लागत आती है और इसमें मुनाफा एक लाख रुपये होता है। तीन साल में एक खेत से दो बार फसल ली जाती है, इससे लागत काफी कम और मुनाफा काफी अधिक होता है। नौकरी से खेती की और ऐसे मुड़े कुलदीप

कुलदीप ने 2014 में पंजाब के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से बीटेक किया है। चंडीगढ़ व नोएडा की दो कंपनियों में छह लाख के पैकेज पर दो साल तक नौकरी की। पिता गिरीशचंद्र द्विवेदी खेती से जुड़े थे। आठ एकड़ भूमि पर धान, गेहूं, सरसों आदि की परंपरागत खेती करते थे। कुलदीप ने भी कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ने का निर्णय लिया। खाली खेत में उगाते हैं तरबूज व खरबूज

कुलदीप केले का पौधा कटने के बाद तरबूज व खरबूज की खेती भी करते हैं। बीते वर्ष इजराइल की एक कंपनी से बीज मंगाकर छह एकड़ खेत में तरबूज व खरबूज लगवाया। बताया कि यह खेती भी किसानों के लिए लाभदायक है। खेत भी खाली नहीं रहता है और महज तीन माह में अच्छी आय प्राप्त हो जाती है। सीमा सील होने से समस्या:

कुलदीप बताते हैं कि मार्च से भारत नेपाल सीमा सील होने के कारण पड़ोसी देश से व्यापारी यहां केला खरीदने के लिए नहीं आ पा रहे हैं। इससे केले के दाम में इस वर्ष गिरावट आई है।


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