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गोरखपुर के कालेसर में पुल तैयार, जल्द शुरू होगा जंगल कौड़िया से सफर Gorakhpur News

गोरखपुर के कालेसर में पुल बनकर तैयार हो गया है। अब सिर्फ सड़क बनने को है। हालांकि सड़क निर्माण भी करीब-करीब पूरा है।

By Edited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 11:36 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 11:12 AM (IST)
गोरखपुर के कालेसर में पुल तैयार, जल्द शुरू होगा जंगल कौड़िया से सफर Gorakhpur News
गोरखपुर के कालेसर में पुल तैयार, जल्द शुरू होगा जंगल कौड़िया से सफर Gorakhpur News
गोरखपुर, जेएनएन। कालेसर जीरो प्वाइंट से लेकर जंगल कौड़िया तक बन रहे फोरलेन बाइपास पर जल्द ही सफर शुरू होने की उम्मीद है। कालेसर में पुल बनकर तैयार है और एप्रोच को जोड़ दिया गया है, जिससे दो पहिया वाहनों तथा पैदल यात्रियों का आवागमन शुरू हो गया है। सड़क से आवागमन शुरू होने से लोगों का सफर आसान हो जाएगा तथा राहत मिलने लगेगी।
केंद्र व प्रदेश सरकार की तरफ से आम लोगों को बेहतर आवागमन के लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। सहजनवां तहसील के कालेसर जीरो प्वाइंट से लेकर जंगल कौड़िया के बीच फोरलेन बाइपास का निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था मोंटी कार्लो को दी गई है। कालेसर के ग्रामीणों की आपत्ति के बाद निर्माण में देरी हुई, लेकिन कार्यदायी संस्था ने तेजी से कार्य करते हुए पुल का कार्य लगभग पूरा कर लिया। इसके अलावा जगतबेला की तरफ से सड़क भी बना दी गई और केवल अब ओवर ब्रिज से सड़क को जोड़ने की तैयारी चल रही है।
ग्रामीण राम प्रसाद व दीनानाथ ने कहा कि फोरलेन पर आवागमन चालू होते ही नदी के पूर्वी हिस्से में बसे गांवों के लोगों को सहूलियत मिलेगी। एनएचआइ के परियोजना प्रबंधक प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है।
एनएचआइ की गड़बड़ी से निर्माण में हुई देरी
कालेसर-जंगल कौड़िया बाइपास के लिए एनएचआइ की थोड़ी लापरवाही से पूरी योजना में देर हो गई। दरअसल एनएचआइ की तरफ से फोरलेन निर्माण के लिए किसानों की जमीनों का अधिग्रहण सही से नहीं किया गया। अधिग्रहित की गई जमीन पहले से तय नक्शे से काफी दूर थी, जिससे निर्माण में देरी तथा किसानों के साथ विवाद के हालात बने थे। हालांकि बाद में कार्यदायी संस्था की तरफ से पहल करके कमियों को दूर किया गया।
बांध भी अब पूरी तरह से सुरक्षित
कालेसर गांव के पास पुल बनाने के दौरान बांध काटने तथा मिट्टी भरने को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे। नदी के बीच सिल्ट से पानी का दबाव बांध पर रहता है, लेकिन सिल्ट निकल जाने से काफी राहत हो गई है। इसके अलावा बांध के किनारे ¨सचाई विभाग की तरफ से कराए जा रहे बोल्डर पिचिंग से भी बांध अब काफी सुरक्षित रहेगा।

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