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शरीर की संरचना जानेंगे तभी तो अच्छे डाक्टर बनेंगे, कैडवर की कमी से जूझ रहे मेडिकल कालेज के छात्र Gorakhpur News

बीआरडी मेडिकल कालेज के 150 छात्र-छात्राएं छह की बजाय एक कैडवर से ही पढ़ रहे हैं। उन्‍हें इसकी सख्‍त जरूरत है। हम जिसे शव कहते हैं मेडिकल साइंस की भाषा में वह कैडवर है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 08:33 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 08:00 AM (IST)
शरीर की संरचना जानेंगे तभी तो अच्छे डाक्टर बनेंगे, कैडवर की कमी से जूझ रहे मेडिकल कालेज के छात्र Gorakhpur News
शरीर की संरचना जानेंगे तभी तो अच्छे डाक्टर बनेंगे, कैडवर की कमी से जूझ रहे मेडिकल कालेज के छात्र Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। हम जिसे शव कहते हैं मेडिकल साइंस की भाषा में वह कैडवर है। हड्डी, मांसपेशी, नस, गुर्दा, लीवर जैसी आतंरिक संरचना को पढऩे-पढ़ाने में इसकी जरूरत पड़ती है, जिसकी गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेल में जबरदस्त कमी है। आलम ये है कि बीआरडी मेडिकल कालेज के 150 छात्र-छात्राएं छह की बजाय एक कैडवर से ही पढ़ रहे हैं। यह स्थिति हालिया नहीं पांच सालों से है। इस अभाव को दूर करने की कोशिश हुई मगर इच्छाशक्ति की कमी से वह मुकाम तक नहीं पहुंची। देहदान के प्रति लोगों का रूझान न होना भी कारण है।

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लावारिश लाश पुलिस देना नहीं चाहती

सवाल यह है कि कैडवर मिलना कहां से चाहिए और क्यों मिल नहीं रहा। तो यह जरूरत देहदान से पूरी होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो पा रहा तो लावारिश लाशों से भी काम चलाया जा सकता है। पांच वर्षों में दान मिली सिर्फ दो देह बताती है कि सामाजिक मान्यताओं की बेडिय़ां अभी भी लोगों को जकड़े है, जो देहदान में रोड़ा है। लावारिश लाशों की बात करें तो उसका अधिकार पुलिस के पास होता है और वह उसे देना नहीं चाहती है।

डाक्टरों ने निवेदन किया, चिट्ठी भी लिखी

मेडिकल कालेज ने डेढ़ साल पहले एसएसपी को पत्र लिखा था। गुजारिश की थी कि लावारिश लाशें हमें दिला दें, हम डीप फ्रिजर में रखवा दें। 72 घंटे तक कोई नहीं आया तो हम उसका इस्तेमाल कर लेंगे। थानाध्यक्षों को निर्देश भी मिला, लेकिन काम नहीं बना। पुलिस वाले कानूनी अड़चन बताकर पल्ला झाड़ लिए।

अंतिम कैडवर का हो रहा इस्तेमाल

एमबीबीएस पहले वर्ष में 25 बच्चों पर एक कैडवर की जरूरत है। न मिलने पर संरक्षित अंगों से काम चलाया जाता है। वर्तमान में इस्तेमाल होने वाला कैडवर इस साल खराब हो जाएगा। अगले साल के लिए वह भी नहीं है।

कोई भी कर सकता है शरीर दान

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में-असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र सिंह का कहना है कि जिंदा रहते फार्म भरने की औपचारिक प्रक्रिया अगर कोई नहीं निभा सका है तो उसके परिजन भी शरीर का दान कर सकते हैं। वह सूचना दें शव हम मंगा लेंगे। जो खुद लेकर आएंगे उन्हें हम किराया दे देंगे।


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