Gorakhpur University: कला संकाय के नए पाठ्यक्रमों के प्रारूप पर मंथन Gorakhpur News
अधिष्ठाता ने कहा कि नई शिक्षा नीति के आलोक में कला संकाय के जितने भी पाठ्यक्रम प्रस्तावित हैं उनमें प्रवेश प्रक्रिया आरक्षण और सीटों के निर्धारण जैसे मामले में गोरखपुर विश्वविद्यालय की परिनियमावली का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।
गोरखपुर, जेएनएन। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कला संकाय के प्रस्तावित नए पाठ्यक्रमों के प्रारूप पर विचार-विमर्श के लिए बैठक की गई। अधिष्ठाता कला संकाय प्रो.नंदिता सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में संबंधित विभागों द्वारा नए पाठ्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई।
शुल्क निर्धारण के लिए वित्त समिति गठित
अधिष्ठाता ने कहा कि नई शिक्षा नीति के आलोक में कला संकाय के जितने भी पाठ्यक्रम प्रस्तावित हैं, उनमें प्रवेश प्रक्रिया, आरक्षण और सीटों के निर्धारण में विश्वविद्यालय की परिनियमावली का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। शुल्क निर्धारण के लिए वित्त अधिकारी की अध्यक्षता में वित्त समिति का गठन किया गया। यह समिति थ्योरी और प्रैक्टिकल पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखकर शुल्क का निर्धारण करेगी। उन्होंने कहा कि कला संकाय की ओर से जितने भी नए पाठ्यक्रमों का प्रस्ताव है, वह कार्यक्षमता को विकसित करने वाले और बाजारोन्मुखी हैं। यह पाठ्यक्रम पूर्वांचल की बेरोजगारी दूर करने में सहायक होंगे।
50 नए पाठ्यक्रमों की प्रस्तुति
बैठक में कला संकाय के सभी विभागों के अध्यक्षों और कला संकाय परिषद के सदस्यों ने हिस्सा लिया। उनकी ओर से संकाय से जुड़े 50 नए पाठ्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई। इनमें पीजी डिप्लोमा इन पब्लिक लीडरशिप, डिप्लोमा इन न्यू मीडिया, डिप्लोमा इन एडवरटाइजिंग एंड पब्लिक रिलेशन, डिप्लोमा इन फिल्म प्रोडक्शन, सर्टिफिकेट इन हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, सर्टिफिकेट इन इलेक्शन स्टडीज, डिप्लोमा इन आर्कियोलाजी एंड म्यूजियोलाजी, डिप्लोमा इन सोशल वर्क, डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड काउंसिलिंग जैसे पाठ्यक्रम शामिल रहे। अंत में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो.मुरली मनोहर पाठक ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।
शहर में बनेगा प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय
जल्द ही गोरखपुर में प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय की स्थापना की जाएगी। इसके लिए तीन एकड़ जमीन की तलाश चल रही है। मंडलायुक्त जयंत नार्लिकर, जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन एवं गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) उपाध्यक्ष अनुज सिंह ने बौद्ध संग्रहालय एवं चिडिय़ाघर के बीच तीन एकड़ जमीन का निरीक्षण किया। यह जमीन जीडीए की है। संग्रहालय बन जाने के बाद बच्चों को प्राकृतिक संपदा को समझने का अवसर मिलेगा। मंडलायुक्त ने संस्कृति विभाग के उप निदेशक को जमीन की पैमाइश कराने का निर्देश दिया।