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ये हैं हमारे रोल माडल ; दिव्‍यांगों, HIV संक्रमित लोगों के लिए कर रहे रक्‍त और भोजन की व्‍यवस्‍था

महराजगंज जिले में जरूरतमंदों के दर्द से युवाओं के मन में उठी एक टीस ने सेवा भाव का ऐसा अलख जगाया कि आज इनकी टीम रोल माडल के रूप में खड़ी हो गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 03:35 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 03:35 PM (IST)
ये हैं हमारे रोल माडल ; दिव्‍यांगों, HIV संक्रमित लोगों के लिए कर रहे रक्‍त और भोजन की व्‍यवस्‍था
ये हैं हमारे रोल माडल ; दिव्‍यांगों, HIV संक्रमित लोगों के लिए कर रहे रक्‍त और भोजन की व्‍यवस्‍था

महराजगंज, जेएनएन। जरूरतमंदों के दर्द से युवाओं के मन में उठी एक टीस ने सेवा भाव का ऐसा अलख जगाया कि आज इनकी टीम रोल माडल के रूप में खड़ी हो गई है। इसमें शामिल महराजगंज जिले के 12 युवाओं ने अब तक 90 अनजान लोगों को रक्तदान कर, जान बचाने का कार्य किया है। दिव्यांगों, एचआइवी संक्रमितों का पेट भर कर उनका दर्द बांट रहे हैं। ये सारे कार्य आपसी आर्थिक सहयोग से कर रहे हैं।

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यहां से हुई सफर की शुरुआत

एक वर्ष पूर्व यह सभी युवा दोस्त एक साथ जिला मुख्यालय किसी कार्य से गए थे। यहां दिव्यांग कैंप लगा था। देखा कि दिव्यांगजन भूख से परेशान हैं, कोई इंतजाम नहीं है। यहीं से सबने सेवा के सफर की शुरुआत करने की ठानी। जिला मुख्यालय पर हर मंगलवार को लगने वाले दिव्यांग कैंप में दिव्यांगों को निश्शुल्क भोजन कराने की बात तय हुई। परिर्वतन थाली नाम से शुरू यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। अपना जन्मदिन भी यह दिव्यांग विद्यालय में ही मनाते हैं।

ये हैं टीम के सदस्य

दुर्गेश सिंह, आदित्य प्रताप सिंह, देवेश पांडेय, प्रदीप मिश्र, डा. हेमंत श्रीवास्तव, सतेंद्र मणि, अभय जायसवाल, तुषार राय आदि की टीम क्षेत्र में सराही जा रही है।

एचआइवी पीडि़तों के लिए अन्नदान

एचआइवी पीडि़तों की मदद के लिए भी टीम अन्नदान कार्यक्रम चला रही है। चौक-चौराहों पर स्टाल लगा खुद मदद की शुरुआत करते हैं तो आमजन भी हाथ बढ़ाते हैं। यहां जुटने वाले अन्न व फल को जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर पहुंचाते हैं। वहां से आवश्यकता अनुसार यह पात्रों तक पहुंच जाता है।

दिव्यांगों के लिए एडवांस एक्सलरेटेड कैंप

दिव्यांगों के लिए  टीम द्वारा एडवांस एक्सलरेटेड लर्निंग कैंप का भी आयोजन समय-समय पर किया जाता है। दिव्यांग स्कूल में सोलर वाटर हीटर भी लगवाया है।

ऐसे जुटती है मदद

टीम में शामिल सदस्यों में कुछ सरकारी व प्राइवेट नौकरी करते हैं तो कुछ खुद का रोजगार। अपनी आय का एक हिस्सा अपनी पाकेट मनी के लिए भी निकालते हैं। टीम लीडर दुर्गेश सिंह के अनुसार इसी में से सभी लोग कुछ अंश देते हैं। अभी प्रति सप्ताह हमको इस सेवा कार्य के लिए सात हजार रुपये की आवश्यकता है, यह आसानी से जुट जाता है। कोई सरकारी मदद नहीं ली जाती। सिर्फ सरकार की तरफ देखकर हम चुप नहीं रह सकते। आपसी सहयोग से भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। जरूरत पर छोटी-छोटी मदद लोगों के लिए आगे चलकर बड़ा बदलाव लाती है।


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