साक्षी प्रकरण के बहाने गोरखपुर के भाजपा विधायक ने कुछ यूं दी लोगों को नसीहत Gorakhpur News
बरेली के भाजपा विधायक की बेटी साक्षी के एक दलित युवक से शादी करने और शादी के बाद इसमें राजनीतिक साजिश का एंगल आने के बाद गोरखपुर के विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने नसीहत दी है।
प्रदीप श्रीवास्तव, गोरखपुर। बरेली के भाजपा विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी के एक दलित युवक से शादी करने और शादी के बाद इसमें राजनीतिक साजिश का एंगल आने के बाद गोरखपुर नगर से भाजपा विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने राजनीतिज्ञों को नसीहत दी है कि गलत लोगों को प्रश्रय न दें। विधायक राधा मोहन ने इस प्रकरण के बहाने यह बताया है कि गलत लाेगों का साथ न देने के कारण उन्हें अपने राजनीतिक जीवन क्या-क्या झेलना पड़ा और कैसी-कैसी साजिशों का उन्हें सामना करना पड़ा।
साक्षी प्रकरण में यह है नया एंगल
साक्षी प्रकरण में कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ चुके विधायक के करीबी से विधायक की खटपट होने के बाद यह साजिश रची गई। उक्त ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी को विधायक राजेश मिश्रा ने अपने घर से भगा दिया था। इसके बाद उक्त व्यक्ति ने पार्टी में विधायक राजेश मिश्रा से नाराज चल रहे दो कद्दावर नेताओं की मदद से विधायक को दूसरे तरीके से परेशान करने और उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने की साजिश रची गई। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टी के कुछ लोगों ने साजिश तक तहत साक्षी प्रकरण की पटकथा तैयार की, इसका परिणाम सामने हैं।
सादगी पसंद हैं राधा मोहन
भाजपा से लगातार चार बार विधायक चुने गए राधा मोहन दास अग्रवाल सादगी पसंद विधायक हैं। न तो सिक्योरिटी गार्ड, न बड़ी गाड़ी, न लाव-लश्कर और न ही घर पर कोई सुरक्षा व्यवस्था। शहर में आम आदमी की बीच घूमते हुए इन्हें कभी भी देखा जा सकता है। विधायक राधा मोहन मारुति 800 से चलते हैं और कार भी स्वयं चलाते हैं। कार भी एक दशक से अधिक पुरानी है। पेशे से चिकित्सक इन विधायक का आवास थोड़ा बड़ा है लेकिन उसके मुख्य द्वार पर कभी ताला नहीं लगता है। कोई भी व्यक्ति कभी भी, किसी भी समय गेट खोलकर विधायक के घर के अंदर घुस सकता है। कोई मरीज हो या विधान सभा क्षेत्र की कोई समस्या हो, बिना किसी अप्वाइंटमेंट के कभी भी विधायक से मिला जा सकता है।
इसलिए रहते हैं निशाने पर
आम लोगों के बीच रहने वाले गोरखपुर के यह विधायक अपने क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं लेकिन हमेशा संगठन के कुछ लोगों के निशाने पर रहते हैं। विधायक के करीबियों का कहना है कि विधायक लोगों की गलत पैरवी नहीं सुनते हैं और अधिकारियों पर गलत कार्यों के लिए दबाव नहीं डालते हैं इसलिए कुछ लोग इनके साजिश के तहत अफवाहें फैलाते रहते हैं।
यह है विधायक की पूरी पोस्ट
यही होता है जब अपनी ताकत गैरकानूनी तरीके से
बढ़ाने के लिए विधायक/सांसद दुष्ट मानसिकता के लोगों
का उपयोग करते हैं तो बाद में वही आगे दुश्मन बन जाते हैं।
ऐसे गन्दी सोच तथा आपराधिक वृति के लोगों के 1000
गलत काम करने के बाद भी संतुष्ट नहीं होते हैं और
जब भी मौका मिलता है भितरघात ही करते हैं।
इसीलिए हमनें तय किया कि
ऐसे लोग बाद में नाराज हो इससे बढिया है कि
इन्हें पहले दिन (वर्ष 2002) से ही नाराज कर दिया।
और जिसने गलत काम न होने पर हमारा साथ छोड़ दिया हमनें उन्हें मनाने की कोशिश नहीं की।
इन्हीं लोगों ने महानगर में हमारे बारे में
ढेरों अफवाहें फैलाई लेकिन न तो
हमने उनकी कोई भी चिन्ता की
और कुछ 'अतिबुद्धिमानों"
को छोड़कर किसी ने भी
भरोसा नहीं किया।
वैसे हम आपको बता दें कि,
हम वर्ष 1976 से ही बीएचयू में सीनियर रेजीडेन्ट थे
वर्ष 1981 से बी एच यू में एसिस्टेंट प्रोफेसर थे और
वर्ष 1968 से गोरखपुर के टाप-मोस्ट प्रेक्टिशनर हैं
हम गरीब नहीं हैं लेकिन सामान्य जीवन जीने का
(सफल/असफल) प्रयास करते रहते हैं ।
विश्वास रखिये,
1) हमारे पास लखनऊ में कोई आलीशान भवन नहीं है
2) हमारे पास लखनऊ में कोई फार्च्यूनर गाड़ी नही है ।
3) लखनऊ में जब हमारा एक्सिडेंट हुआ तो हम अपनी
दो पहिया ऐक्टिवा स्कूटर चला रहे थे,जिससे हम
विधानसभा की बैठक में भाग लेने जाते थे।
4) हम जब भी चाहते हैं हमारे शुभचिंतक हमें अपने
पारिवारिक इस्तेमाल के लिये बड़ी गाड़ियां दे देते हैं।
5) हमें नौषढ़ में जाकर गाड़ी बदलने की क्या जरूरत है।
6 ) गाजियाबाद में हमारा कोई नर्सिंग होम नहीं है।
भगवान,
अतिबुद्धिमानों की दुर्बुद्धि भगवान थोड़ा कम कर सकें,
गुरू पूर्णिमा पर ईश्वर से हमारी यही प्रार्थना है,
हालांकि हम जानते हैं कि ऐसा मुश्किल है।
क्योंकि महाकवि तुलसीदास ने
राम चरित मानस में स्पष्ट रूप से लिखा है:-
मै अपनी दिश कीन्ह निहोरा
तिन निज ओर न लाउब भोरा।
बायस पलिहई अति अनुरागा
होहि निरामिष कबहु कि कागा ।।