तीसरी नजर- सबसे बड़ा रुपइया Gorakhpur News
पढ़ें- गोरखपुर से नवनीत प्रकाश त्रिपाठी का साप्ताहिक कालम-तीसरी नजर..
गोरखपुर, जेएनएन। शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए यातायात पुलिस ने जगह-जगह बूथ लगवा रखा है। इन बूथों का निर्माण निजी संस्थाओं के सहयोग से कराया गया है। पहले ही इस बात की सहमति बन गई थी कि इन बूथों पर निर्माण कराने वाली संस्था की छोटी सी होर्डिंग भी लगेगी। बूथ बन भी गए और जगह-जगह लग भी गए। यहां तक तो ठीक था, इसमें ट्वीस्ट तब आया, जब बूथों पर लगी होर्डिंगों पर नगर के निगम वाले साहब की नजर पड़ी। शहर में लगने वाली होर्डिंगों से किराया वसूलने वाले साहब ने मुफ्त में लगी इन होर्डिंगों को निगम के राजस्व की सीधे क्षति मानते हुए हटवाने का फरमान सुना दिया। पहले से तय शर्त और जाम से निजात का हवाला देने पर भी वह इन्हें हटवाने पर अड़े हैं। इस पर यातायात पुलिस के एक जवान की टिप्पणी थी कि साहब के लिए तो सबसे बड़ा रुपइया ही है।
जो होगा, बड़ा ही होगा
ओवरलोड ट्रकों को पार कराने वाले रैकेट का एसटीएफ के पर्दाफाश करने के बाद से आरटीओ विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में दर्ज मुकदमे में 16 जिलों के एआरटीओ और सिपाही आरोपित हैं। तफ्तीश में और भी अधिकारियों का नाम आना तय माना जा रहा है। इससे पहले जिले में शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े से सनसनी मची हुई थी। जिलाधिकारी कार्यालय कटघरे में खड़ा था। इस मामले में तीन असलहा बाबू सहित कई को जेल भी भेजा गया था। शासन के निर्देश पर हुई जांच में अब गोरखपुर से संचालित हो रहे ओवरलोड ट्रकों के रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। प्रदेश के अधिकतर जिलों के आरटीओ विभाग के आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे होने की बात सामने आई है। महकमे के अधिकारी कटघरे में हैं। दोनों मामलों की गंभीरता पर चल रही बातचीत के बीच एक अधिकारी ने टिप्पणी की, यह गोरखपुर है, जो होगा, बड़ा ही होगा।
आइ एम द बेस्ट पुलिस ऑफिसर
वर्दी वाले महकमे में अपराधियों की धर-पकड़ करने वाली टीम के मुखिया हैं। कम बोलते हैं, किसी से मिलते-जुलते नहीं। उनके अधीन काम करने वाले आपसी बातचीत में उन्हें मास्टर साहब कहकर संबोधित करते हैं। इसकी वजह भी है। साहब ठीक 10 बजे अपने चेंबर में पहुंच जाते हैं। मातहतों को इससे पहले ही दफ्तर पहुंचना होता है। उनके काम करने के लिए छोटे-छोटे कमरे बने हैं, लेकिन साहब उन्हें गलियारे में बिठाते हैं ताकि उनके काम-काज पर नजर रख सकें। एक दिन महकमे के कप्तान की गैर मौजूदगी में उनके दफ्तर में बैठकर साहब फरियाद सुन रहे थे। शहर के कुछ प्रतिष्ठित लोग समस्या लेकर पहुंचे। साहब उनकी नोटिस ही नहीं ले रहे थे। यह बात सभी को नागवार लगी। प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर साहब अपने ही मुंह मियां मिट्ठू बनने लगे। बोले, आप लोग समझ नहीं पा रहे हैं आई एम द बेस्ट पुलिस ऑफिसर इन सिटी।
जाम से निजात कब तक
अपने शहर में जाम की समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर रूप अख्तियार करती जा रही है। यदि दिन सोमवार का हो तो हालत बद से बदतर हो जाती है। कोई ऐसा चौराहा या सड़क नहीं, जिस पर लोग जाम में फंसकर छटपटा न रहे हों। इस समस्या से लोगों को निजात दिलाने की अब तक की सभी कोशिशें बेमानी ही साबित हुईं हैं। एसपी सिटी डॉ. कौस्तुभ ने पिछले दिनों शहर के 10 व्यस्ततम चौराहों का चयन कर उन्हें जाम से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया है। उनकी कोशिशों का नतीजा आना अभी बाकी है। यातायात निदेशालय से गोरखपुर डीआइजी बनाए गए राजेश मोदक ने भी शहर को जाम से निजात दिलाने का भरोसा दिया है। इस दिशा में जमीनी स्तर पर उन्होंने काम भी करना शुरू कर दिया है, लेकिन रोज जाम की समस्या से दो-चार होने वाले लोगों का सवाल अपनी जगह कायम है कि, जाम से निजात कब तक?