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यूपी के 108 और 102 एंबुलेंस सेवा में बड़ा घोटाला, 53591 फेरों में हुई हेराफेरी, सभी जिलों में शुरू हुई जांच

Big Scam in 108 and 102 Ambulance Service उत्तर प्रदेश की 108 और 102 एंबुलेंस सेवा में बड़ा घोटाला सामने आया है। इन दोनो एंबुलेंस के 53591 फेरों में हेराफेरी की आशंका है। शासन स्तर से इसकी उच्च स्तरीय जांच शुरू हो गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 09:02 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 09:02 AM (IST)
यूपी के 108 और 102 एंबुलेंस सेवा में बड़ा घोटाला, 53591 फेरों में हुई हेराफेरी, सभी जिलों में शुरू हुई जांच
108 और 102 एंबुलेंस सेवा में बड़ा घोटाला सामने आया है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। फर्जी रोगियों को ढोने के मामले में जिले में 96 एंबुलेंसों के 53591 फेरों की जांच चल रही है। इसमें 108 नंबर के 18676 व 102 नंबर के 34915 फेरे शामिल हैं। इन एंबुलेंसों से फरवरी, मार्च व अप्रैल माह में इतने रोगी ढोए गए हैं। सभी ब्लाक स्तरीय प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को सत्यापन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनकी रिपोर्ट आने के बाद इन फेरों के 10 प्रतिशत का जिला स्तर से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद जांच करेंगे। इसके बाद पता चल सकेगा कि जिले में कितने फर्जी रोगियों को ढोया गया है।

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शासन ने शुरू कराई जांच

जांच में शामिल हैं 108 नंबर के 18676 व 102 नंबर के 34915 फेरेशासन को शिकायत मिली थी कि एंबुलेंस से काल्पनिक रोगियों को ढोया जा रहा है और फर्जी रोगियों के नाम पर शासन से भुगतान लिया जा रहा है। इसे गंभीरता से लेते हुए शासन ने प्रदेश के सभी जनपदों को तीन माह- फरवरी, मार्च व अप्रैल में एंबुलेंस से अस्पताल या अस्पताल से घर ले जाए गए रोगियों का सत्यापन करने का निर्देश दिया है। सीएमओ को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। उनके निर्देश पर सभी ब्लाकों में जांच शुरू हो गई है।

102 नंबर से ढोए गए रोगियों की संख्या में गड़बड़ी की आशंका

विशेषज्ञों के अनुसार 108 नंबर एंबुलेंस से रोगी को केवल अस्पताल पहुंचाया जाता है। 102 नंबर रोगियों को घर भी छोड़ती है। ज्यादा आशंका इस बात की है। 102 नंबर से घर छोड़ने के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया हो। क्योंकि रोगी को अस्पताल पहुंचाने के बाद उनके पास उसकी पूरी जानकारी रहती है। आशंका है कि वही जानकारी भरकर उनकी घर वापसी दिखाई गई हो। फिलहाज जांच के बाद सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।

जांच के बाद खुलेगी कलई

जांच रिपोर्ट आने के बाद फर्जीवाड़े की कलई खुल जाएगी। ब्लाक स्तर से होने वाली जांच का भी सत्यापन किया जाएगा, ताकि कहीं चूक न हो। शासन द्वारा भेजी गई रोगियों की सूची ब्लाक स्तरीय अधिकारियों को उपलबध करा दी गई है। उन पर मोबाइल नंबर व अस्पताल जाने की तिथि दर्ज हैं। उन नंबरों पर फोन कर पूछा जा रहा है कि आपने इस तिथि को एंबुलेंस सेवा ली थी या नहीं।

दूरी बढ़ाने में मदद करते हैं नियम

किसी गंभीर रोग से ग्रसित रोगी क्यों न हो, उसे सबसे पहले प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही ले जाने का नियम है। यह नियम एंबुलेंस की दूरी का लक्ष्य पूरा करने में मददगार साबित हो रहा है। इससे गंभीर रोगियों की जान को खतरा बना रहता है। उदाहरण के लिए कसिहार से एंबुलेंस ने रोगी को बैठाया तो सबसे पहले दक्षिण में लगभग आठ किमी दूर कौड़ीराम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएगी। वहां डाक्टर के रेफर करने पर वह पुन: कसिहार होते हुए जिला अस्पताल ले जाएगी। ऐसे में हार्ट अटैक, दुर्घटनाग्रस्त या लकवा आदि के रोगियों को उपचार मिलने में विलंब होता है। उनकी जान जाने का खतरा रहता है। यदि कसिहार से लेकर सीधे जिला अस्पताल पहुंचती तो लगभग एक घंटे का समय बच सकता था और दूरी भी लगभग 16 किमी कम तय करनी पड़ती।

एंबुलेंस के फेरों की जांच चल रही है। ब्लाक स्तरीय जांच की रिपोर्ट आने के बाद जिला स्तर से भी उसका सत्यापन किया जाएगा। जो भी गड़बड़ी मिलेगी, उसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी। रोगी को पहले प्राथमिक स्वास्थ्य पर ले जाने का सरकार का नियम है। - डा. आशुतोष कुमार दूबे, सीएमओ।


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