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बेंच न चहारदीवारी, आनलाइन खिल रही शिक्षा की फुलवारी

जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार ने कहा कि शिक्षक बच्चों के भविष्य के निर्माता होते हैं। उन्हें अपने दायित्वों को बड़े सजगता से निभाना चाहिए। क्योंकि माता-पिता भरोसे के साथ अपने बच्चों को उन्हें शिक्षा के लिए सौंपते हैं। शिक्षक प्रद्युम्न वनटांगिया गांव में बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं इनका कार्य प्रशंसनीय है। अन्य शिक्षकों को भी इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। अतिशीघ्र वनटांगिया गांव में विद्यालय भवन का निर्माण करा दिया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 06:05 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 05:07 AM (IST)
बेंच न चहारदीवारी, आनलाइन खिल रही शिक्षा की फुलवारी
बेंच न चहारदीवारी, आनलाइन खिल रही शिक्षा की फुलवारी

महराजगंज: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल फरेंदा के वनटांगिया गांव भारीवैसी के बच्चों के दिन बहुरने लगे हैं। कभी लकड़ी बीनकर इधर-उधर समय गुजारने वाले बच्चे अब ऑनलाइन पढ़ाई कर अपना भविष्य गढ़ रहे हैं। स्कूल में बेंच और चहारदीवारी का इंतजाम भले न हो पाया हो लेकिन बच्चों के लिए ई-लर्निंग की कवायद शुरू कर दी गई है। यह सब संभव हो सका है शिक्षक प्रद्युम्न कुमार सिंह की इच्छा शक्ति से। प्राइमरी विद्यालय भारी वैसी का संचालन वर्ष 2017 में जब शुरू किया गया, तो इसकी जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक प्रद्युम्न को सौंपी गई। विद्यालय के पास अपना भवन नहीं था। शिक्षक ने स्वयं की कोशिशों से सीमेंट का शेड बनवाकर स्कूल की शुरुआत की। गांव-गांव घूमकर बच्चों को एकत्रित किया। वर्तमान में यहां 225 बच्चे पंजीकृत हैं, इनमें अधिकांश कोरोना काल में मोबाइल पर आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं।

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विषयवार वीडियो भेजकर पढ़ा रहे शिक्षक प्रद्युम्न

कोरोना के कारण स्कूल बंद है। इसलिए यहां के अधिकांश बच्चे आनलाइन क्लास कर रहे हैं। शिक्षक प्रद्युम्न सिंह विषयवार बच्चों को वीडियो और पाठ्य सामग्री भेजते हैं और बच्चे उससे पढ़ाई करते हैं।

प्रत्येक वर्ष शिक्षक वेतन से खर्च करते हैं रकम

जनपद के फरेंदा क्षेत्र के पिपरावारी इंद्रपुर निवासी शिक्षक प्रद्युम्न ने बताया कि विद्यालय में जागरूकता के लिए स्लोगन लिखा गया है। स्कूल में फुलवारी के साथ किचन गार्डेन भी बनाया गया है। विद्यालय के विकास और बच्चों के मनोरंजन पर प्रत्येक वर्ष अपने वेतन से धन खर्च करता हूं।

पर्यावरण संरक्षण के साथ लघु उद्योग के लिए ग्रामीणों को करते हैं प्रेरित

जंगल में कुछ ग्रामीण व बच्चे जहां लकड़ी बीनने का काम करते हैं, वहीं पेड़ों को भी क्षति पहुंचाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए शिक्षक प्रद्युम्न गांव में लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करते हैं। साथ ही पशुपालन, खेती व लघु उद्योग के लिए प्रेरित करते हैं।

जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार ने कहा कि शिक्षक बच्चों के भविष्य के निर्माता होते हैं। उन्हें अपने दायित्वों को बड़े सजगता से निभाना चाहिए। क्योंकि माता-पिता भरोसे के साथ अपने बच्चों को उन्हें शिक्षा के लिए सौंपते हैं। शिक्षक प्रद्युम्न वनटांगिया गांव में बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, इनका कार्य प्रशंसनीय है। अन्य शिक्षकों को भी इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। अतिशीघ्र वनटांगिया गांव में विद्यालय भवन का निर्माण करा दिया जाएगा।


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