गोरखपुर में दस साल पहले पकड़ी गई थी नक्सली महिला, पुलिस से मांगी गई रिपोर्ट Gorakhpur News
दस साल पहले गोरखपुर में नक्सली साहित्य के साथ पकड़ी गई महिला और उसके रिश्तेदार एवं करीबियों के बारे में एटीएस ने पुलिस से पूरी रिपोर्ट मांगी है।
गोरखपुर, जेएनएन। शाहपुर इलाके में 10 साल पहले गिरफ्तार की गई नक्सली महिला के बारे में एटीएस ने जनपद पुलिस से जानकारी मांगी है। इस बाबत भेजे गए गोपनीय पत्र में एटीएस ने महिला के बारे में जानकारी मिलने से लेकर उसकी गतिविधियों और उससे जुड़े लोगों के बारे में सारी सूचनाएं उपलब्ध कराने को कहा है। पत्र मिलने के बाद महिला की गिरफ्तारी से जुड़े अभिलेख पुलिस ने खोजना शुरू कर दिया है। हालांकि मामला एक दशक पुराना होने की वजह से इसमें काफी मुश्किल पेश आ रही है।
2010 में गिरफ्तार हुई थी आशा हीरमनी
शाहपुर पुलिस ने बड़ी मात्रा में नक्सली साहित्य के साथ एक महिला को रेलवे डेयरी कालोनी के पास से 7 फरवरी 2010 को गिरफ्तार किया था। उसकी पहचान छपरा, बिहार के एकमा थाना क्षेत्र में तिलकारा गांव निवासी आशा हीरमनी के रूप में हुई थी। आशा हीरामनी का बेटा शाहपुर इलाके के ही कृष्णानगर प्राइवेट कालोनी में किराये का कमरा लेकर रहता था। गिरफ्तारी के समय वह बेटे से मिलने उसके कमरे पर जा रही थी। रास्ते में डेयरी कालोनी से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। बाद में पूछताछ में आशा हीरामनी के नक्सली गतिविधियों में लिप्त होने के साथ ही बिहार और छत्तीसगढ़ के नक्सली संगठनों के महिला ङ्क्षवग की अहम पदाधिकारी होने का पता चला था। आशा का पति बलराज उर्फ बच्चालाल उर्फ बिलार उर्फ अरङ्क्षवद के भी नक्सली गतिविधियों में लिप्त होने तथा बिहार के नक्सली संगठन में प्रमुख पद पर होने का पता चला था।
रेलवे स्टेशन से महिला का रिश्तेदार भी हुआ था गिरफ्तार
आशा हीरामनी की गिरफ्तारी के कुछ माह बाद रेलवे स्टेशन रोड से उसके एक रिश्तेदार को भी नक्सल साहित्य के साथ गिरफ्तार किया गया था। बाद में आशा और उसके पति के संगठन से जुड़े कुछ लोग देवरिया जिले में भी गिरफ्तार किए गए थे।
पुलिस से मांगी गई यह जानकारी
आशा हीरामनी के बारे में मांगी गई जानकारी के संबंध में भेजे गए पत्र में एटीएस ने पूछा है कि पुलिस को उसके नक्सली गतिविधियों में लिप्त होने का कैसे पता चला था? गोरखपुर के युवाओं को नक्सली संगठन से जोडऩे की उसकी कोशिशों के बारे में छानबीन की गई थी की नहीं? गोरखपुर में रहने वाले आशा हीरामनी के बेटे की नक्सल गतिविधियों में शामिल होने की छानबीन की गई थी कि नहीं? यदि छानबीन की गई थी तो क्या तथ्य सामने आए थे? इस तरह की और भी कई जानकारी एटीएस ने यहां की पुलिस से मांगी है। हालांकि यह नहीं स्पष्ट हो सका है कि आशा हीरमनी के बारे में जानकारी मांगने के पीछे एटीएस का उद्देश्य क्या है? गोपनीय पत्र भेजकर जानकारी मांगे जाने की वजह से कोई अफसर भी आधिकारिक तौर पर इस संबंध में कुछ बोलने को तैयार नहीं है।