विधानसभा अध्यक्ष ने कहा- जहां जिज्ञासा और सवाल है, वहीं विज्ञान
गोरक्षनाथ शोध पीठ में संगोष्ठी शुरू हो गई है। यह दो दिन तक चलेगी। इसमें प्राचीन भारत के वैज्ञनिकों के अवदान पर विमर्श किया जा रहा है।
By Edited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 07:37 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:00 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि भारत का ज्ञान कोष अतिसमृद्ध है। चरक, आर्यभट्ट, सुश्रुत, बाणभट्ट जैसे ऋषि दुनिया के ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने ब्रह्मांड से लेकर चिकित्सा जगत तक के क्षेत्र के तमाम सवालों का जवाब ढूंढे। इनमें जिज्ञासा थी, इनके मन में कुछ सवाल थे, जिसका हल तलाशने में इन्होंने अपने जीवन का उपयोग किया और इस तरह विज्ञान को गति मिली।
वास्तव में विज्ञान का आधार ही जिज्ञासा और सवाल हैं। विधानसभा अध्यक्ष बुधवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय के महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ में प्राचीन भारत के वैज्ञानिकों के अवदान पर चर्चा कर रहे थे। यहां पर गोरक्षनाथ शोध एवं उत्तर प्रदेश ¨हदी संस्थान के तत्वावधान में दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है।
बतौर मुख्य अतिथि विधानसभाध्यक्ष दीक्षित ने कहा कि ऋग्वेद दुनिया भर में उपलब्ध सभी विधाओं के विज्ञान व दर्शन का ऐसा अद्भाुत ग्रंथ है,जिसमें खूब सवाल हैँ, ढेरों जिज्ञासाएं हैं। इसके पहले ही मंडल में ऋषियों ने कहा है कि चराचर जगत को चलाने वाला सर्वशक्तिमान ईश्वर है। यहा जिज्ञासा यह है कि उसे देखा किसने है। मनुष्य आज तक इन्हीं सवालों का हल तलाश रहा है। प्राचीन वैज्ञानिक ऋषियों के सवाल यजुर्वेद और सामवेद से होते हुए अथर्ववेद तक पहुंचते हैं।
संगोष्ठी में बतौर विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. सदानंद गुप्त ने तथ्यों के आधार पर दावा किया कि हमारे प्राचीन वैज्ञानिकों ने सबसे पहले ब्रह्माड के रहस्य खोजे। योग हो या उत्कृष्ट जीवनशैली के तत्व, भारत ने ही दुनिया को रास्ता दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. वीके सिंह ने कहा कि कणादि ऋषि ने सबसे पहले कण की खोज की, दुनिया उसी के सहारे आज एटामिक एनर्जी की बातें कर रही है।
वास्तव में विज्ञान का आधार ही जिज्ञासा और सवाल हैं। विधानसभा अध्यक्ष बुधवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय के महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ में प्राचीन भारत के वैज्ञानिकों के अवदान पर चर्चा कर रहे थे। यहां पर गोरक्षनाथ शोध एवं उत्तर प्रदेश ¨हदी संस्थान के तत्वावधान में दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है।
बतौर मुख्य अतिथि विधानसभाध्यक्ष दीक्षित ने कहा कि ऋग्वेद दुनिया भर में उपलब्ध सभी विधाओं के विज्ञान व दर्शन का ऐसा अद्भाुत ग्रंथ है,जिसमें खूब सवाल हैँ, ढेरों जिज्ञासाएं हैं। इसके पहले ही मंडल में ऋषियों ने कहा है कि चराचर जगत को चलाने वाला सर्वशक्तिमान ईश्वर है। यहा जिज्ञासा यह है कि उसे देखा किसने है। मनुष्य आज तक इन्हीं सवालों का हल तलाश रहा है। प्राचीन वैज्ञानिक ऋषियों के सवाल यजुर्वेद और सामवेद से होते हुए अथर्ववेद तक पहुंचते हैं।
संगोष्ठी में बतौर विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. सदानंद गुप्त ने तथ्यों के आधार पर दावा किया कि हमारे प्राचीन वैज्ञानिकों ने सबसे पहले ब्रह्माड के रहस्य खोजे। योग हो या उत्कृष्ट जीवनशैली के तत्व, भारत ने ही दुनिया को रास्ता दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. वीके सिंह ने कहा कि कणादि ऋषि ने सबसे पहले कण की खोज की, दुनिया उसी के सहारे आज एटामिक एनर्जी की बातें कर रही है।
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