ARTO की गिरफ्तारी : डायरी में लिखा है किसको कितना मिलता था हिस्सा ? Gorakhpur News
ट्रकों की ओवरलोडिंग में कौन-कौन कितनी रिश्वत लेता था उनका नाम पता रजिस्टर में दर्ज कर संबंधित जिले के अधिकारियों के पास वाट्सएप के जरिए मैसेज भेजाा जाता था।
गोरखपुर, जेएनएन। ओवरलोड वाहनों को पास कराने वाले गिरोह से जुड़े एआरटीओ व सिपाहियों के खिलाफ एसआइटी को पर्याप्त साक्ष्य मिला है। मंगलवार को बस्ती और संतकबीरनगर के कार्यवाहक एआरटीओ की गिरफ्तारी के बाद से विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मचा है। एसआइटी की जांच में पता चला कि मधुबन होटल में काम करने वाला श्रवण गौड़ ओवरलोड गाड़ी पास कराने का टोकन बनाता था। रुपये देने वाले लोगों का नाम, पता रजिस्टर में दर्ज कर संबंधित जिले के अधिकारियों के पास वाट्सएप के जरिए मैसेज भेजता था। मधुबन होटल व सिब्बू ढाबा के मालिक ट्रांसपोर्टरों से रुपये रुपये कैश के साथ खाते में भी लेते थे। अधिकारियों को उनके हिस्से की रकम कैश में ही दी जाती थी।
चार से पांच हजार रुपये प्रति गाड़ी देते थे ट्रांसपोर्टर
ओवरलोड गाड़ी पास कराने के लिए ट्रांसपोर्टर प्रति गाड़ी चार से पांच हजार रुपये देते थे। जिसमें से एक हजार रुपये होटल व ढाबा मालिक अपने पास रखते थे, शेष रकम अधिकारियों तक पहुंचा देते थे।
टोकन लेने वाले का ट्रक पकड़े जाने पर गैंग सरगना भरता था जुर्माना
एसआइटी की जांच में सामने आया कि ओवरलोड ट्रक पास कराने के लिए रुपये देने वाले ट्रांसपोर्टर को टोकन मिलता था, जो एक माह तक चलता था। क्रास चेकिंग में अगर किसी आरटीओ या एआरटीओ ने ट्रक का चालान कर दिया तो मधुबन होटल का मालिक धर्मपाल व सिब्बू ढाला का संचालक मनीष जुर्माना राशि जमा करते थे।
अलग-अलग जिलों का अलग-अलग रेट
ओवरलोड ट्रक, कंटेनर को पास कराने का रेट हर जिले में अलग-अलग तय था। यह रकम अधिकारी तय करते थे। तय रकम में एक हजार अधिक जोड़कर धर्मपाल सिंह और मनीष वसूली करते थे। ओवरलोड वाहन जितने जिले से होकर गुजरता था ट्रांसपोर्टर को उसके हिसाब से रुपये देने पड़ते थे। सोनभद्र से गिट्टी और बालू लेकर आने वाले ट्रक से मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर, मऊ होते हुए गोरखपुर आने पर इन जिलों की एंट्री फीस ली जाती थी।
हर माह करोड़ों के राजस्व की क्षति कर भर रहे थे जेब
शासन की सख्ती के बावजूद पूर्वांचल के 21 जिलों में ओवरलोडिंग का खुला खेल चल रहा था। गिट्टी, बालू लदे ओवरलोड ट्रकों पर कार्रवाई करने की वजाय इस खेल में शामिल संभागीय परिवहन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी हर माह करोड़ों रुपये के राजस्व की चपत लगा अपनी जेब भर रहे थे। ऐसा तब है, जब ओवरलोडिंग रोकने के लिए टीमें गठित की गई हैं।
आंकड़े बताते हैं कि आरटीओ की यह टीमें ओवरलोडिंग की जांच के नाम पर खानापूरी के अलावा कुछ नहीं करतीं। मानक से दो या तीन गुना अधिक गिट्टी, बालू का परिवहन किया जा रहा था। सोनभद्र, झांसी व बांदा से रोजाना 500 से अधिक गिट्टी, बालू लदे ट्रक का परिवहन फैजाबाद, गोरखपुर, बस्ती व आसपास के इलाकों के लिए किया जाता है। मानक के अनुसार परमिट तो नौ घन मीटर गिट्टी या बालू एक ट्रक पर लादने का जारी किया जाता है, लेकिन 18, 22, 25 व 28 घन मीटर तक खनिज ट्रकों पर लादकर परिवहन किया जा रहा है। कार्रवाई न होने से हर माह करोड़ों रुपये की सरकारी राजस्व की क्षति होती है।