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करतारपुर कॉरिडोर में गोरखपुर के इस युवक की भी है भूमिका, जानें- कैसे Gorakhpur News

डेरा बाबा नानक साहिब और गुरुद्वारा दरबार साहिब को जोडऩे वाले करतारपुर कॉरिडोर में इन दिनों गोरखपुर के कलाकार पवन भट्ट की कला चमक रही है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 11:14 AM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 03:44 PM (IST)
करतारपुर कॉरिडोर में गोरखपुर के इस युवक की भी है भूमिका, जानें- कैसे Gorakhpur News
करतारपुर कॉरिडोर में गोरखपुर के इस युवक की भी है भूमिका, जानें- कैसे Gorakhpur News

गोरखपुर, डॉ. राकेश राय। डेरा बाबा नानक साहिब और गुरुद्वारा दरबार साहिब को जोडऩे वाले करतारपुर कॉरिडोर में इन दिनों गोरखपुर के कलाकार पवन भट्ट की कला चमक रही है। कॉरिडोर में सजाई गई पंजाबी लोक कला और योद्धाओं की प्रतिमाओं को पवन ने ही तैयार किया है। कॉरिडोर में अब तक उनकी बनाई महाराणा रणजीत सिंह, जसा सिंह अहलुवालिया, हरी सिंह नलवा, बाबा बघेल सिंह की प्रतिमाएं सज चुकी हैं। अब वह अशोक की लाट तैयार करने में जुटे हैं।

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मात्र एक माह में कर दिखाया

सहजनवां के पुंडा गांव के रहने वाले पवन को कॉरिडोर सजाने की जिम्मेदारी महज एक माह पहले मिली। चुनौती कठिन थी लेकिन मामला देश से जुड़ा था, इसलिए उन्होंने जज्बे के साथ स्वीकार किया। अधिकतर कार्य तस समय से पहले ही पूरे कर दिए। पवन ने बताया कि प्रतिमाओं का निर्माण मेटल और पॉलीमर से किया है।

महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा 14 फीट ऊंची है, जबकि अन्य योद्धाओं और पंजाबी लोक कला से जुड़ी प्रतिमाएं 10-10 फीट की हैं। इसके अलावा कॉरिडोर में कुल पांच अशोक की लाट लगाई जानी हैं। तीन फीट ऊंचाई वाली चार लाट भारत-पाकिस्तान सीमा पर लगनी है जबकि एक सात फीट की लाट कॉरिडोर में स्थापित की जाएगी।

दिल्ली एयरपोर्ट और दुबई में दिखा चुके हैं प्रतिभा

दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 व 2 पर भी पवन भट्ट की भित्ति कला चमक बिखेर रही है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति को दर्शाने वाले उन भित्तिचित्रों से टर्मिनल को सजाने का कार्य पवन ने बीते वर्ष किया था। इसके अलावा दुबई में बने ताजमहल निर्माण में भी पवन का योगदान है।

कॉरिडोर तक यूं पहुंचा पवन का सफर

किसान पिता लालजी भट्ट के पुत्र पवन जब सहजनवां के मसकरा इंटर कॉलेज में पढ़ रहे थे, तभी उनकी प्रतिभा दिखने लगी थी। प्रतिभा निखारने के लिए घर वालें ने उन्हें लखनऊ आर्ट कॉलेज भेज दिया। इस बीच टास्क पूरा करने के दौरान उनकी मुलाकात मुंबई के आर्ट डायरेक्टर विजुनदास गुप्ता से हुई।

इसके बाद पवन ने मुंबई की राह पकड़ ली। वहां मिले प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पवन को जयपुर जाने का अवसर मिला। वहां माहौल भाया तो वहीं अपना कला केंद्र बना लिया। जयपुर से ही उन्हें एयरपोर्ट, दुबई, करतार कॉरिडोर में प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला।


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