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गोरखपुर में मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदन बढ़े, तेजी से काम करने के बावजूद सौ से ज्यादा आवेदन लंबित Gorakhpur News

नगर निगम सीमा क्षेत्र में स्थित नर्सिंग होम या घर पर हुई मौत के मामले में नगर निगम प्रशासन मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करता है। नगर निगम के जन्म-मृत्यु कार्यालय में इसके लिए आवेदन करना होता है। तभी प्रमाण पत्र मिलता है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 09:45 AM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 09:45 AM (IST)
गोरखपुर में मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदन बढ़े, तेजी से काम करने के बावजूद सौ से ज्यादा आवेदन लंबित Gorakhpur News
नगर निगम भवन का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जेएनएन। शहर में कोरोना संक्रमण से मौत की सूचना बढ़ी तो नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन बढऩे लगे। सामान्य दिनों में जहां मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दो-चार आवेदन आते वहीं अब तीस से 40 आवेदन आ रहे हैं। अप्रैल महीने में 392 मृत्यु प्रमाण पत्र नगर निगम से जारी किए गए। 17 मई तक 254 प्रमाण पत्र जारी हो चुके हैं। अभी सौ से ज्यादा आवेदन लंबित हैं। इनकी जांच चल रही है। कई लोग महीनों बाद भी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते हैं।

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नगर निगम सीमा क्षेत्र में स्थित नर्सिंग होम या घर पर हुई मौत के मामले में नगर निगम प्रशासन मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करता है। नगर निगम के जन्म-मृत्यु कार्यालय में इसके लिए आवेदन करना होता है। नर्सिंग होम में मौत की स्थिति में जारी प्रमाण पत्र का सत्यापन कराया जाता है। घर पर मौत के मामले में संबंधित क्षेत्र के सुपरवाइजर से रिपोर्ट ली जाती है।

नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने कहा कि आवेदन के आधार पर जांच कर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं।

सरकारी अस्पताल खुद जारी करते प्रमाण पत्र

सरकारी अस्पतालों में जन्म या मृत्यु होने पर वहीं प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। भले ही सरकारी अस्पताल नगर निगम क्षेत्र में ही क्यों न हों।

इनकी भी होगी कोरोना से ग्रामीणों को बचाने की जिम्मेदारी

स्वच्‍छताग्राहियों पर भी ग्रामीणों को कोरोना से बचाने की जिम्मेदारी होगी। स्व'छताग्राहियों को उनके कार्यों को बताने के लिए वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया गया है। 1294 स्वच्‍छताग्राहियों को गोरखपुर के साथ ही लखनऊ के अफसर भी दायित्व निर्वहन के लिए प्रेरित करेंगे। बुधवार सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक बैठक हुई। दो घंटे तक चली इस कार्यशाला में यूनिसेफ से विषय विशेषज्ञ लखनऊ से जुड़ें रहे। जिला स्तर पर डीपीआरओ समेत 1294 स्वच्‍छताग्राही शामिल थे।


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