कुशीनगर में दूसरे ने बेचा गेहूं, झेल रहे नोटिस
कुशीनगर में मां-बेटा दो किसानों के पास मात्र आठ डिसमिल खेत है इनको पूर्ति विभाग ने तीन लाख रुपये का गेहूं बेचने का नोटिस थमा दिया है इनका कहना है कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है आशंका है कि बिचौलियों के खेल में दोनों फंस गए हैं।
कुशीनगर: जिले में गेहूं खरीद में चल रहे खेल में दो किसान फंस गए हैं। इसका खुलासा तब हुआ,जब गेहूं बिक्री के मामले में कसया ब्लाक के प्रेमवलिया निवासी मनेंद्र गोंड व उनकी माता कलावती देवी को नोटिस मिला, जिसमें पूर्ति कार्यालय ने खाद्य विपणन विभाग का हवाला देते हुए तीन लाख रुपये से अधिक का गेहूं बेचने की बात कही है।
जबकि मां-बेटे का कहना है कि हमारे पास आठ डिसमिल (दो कट्ठा) खेत है और खाते में पैसा भी नहीं आया। हम इसके बारे में कुछ जानते भी नहीं। सवाल यह उठता है कि आखिर इतने कम खेत से तीन लाख रुपये अधिक गेहूं की उपज कैसे हो गई और उसे बेच भी दिया। जाहिर सी बात है कि किसान आधारकार्ड के इस खेल में बिचौलियों के हाथों फंस गए हैं। माना जा रहा है कि इस मामले की व्यापक स्तर पर जांच कराई जाए, तो अभी और भी कई किसान बिचौलियों के चंगुल में फंसते नजर आएंगे।
बड़े किसानों के निरस्त होंगे राशन कार्ड
जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत कोटे की दुकान से खाद्यान्न लेने वाले 1004 कार्डधारक ऐसे हैं जो क्षेत्र के बड़े किसान हैं। यह वह कार्डधारक हैं, जिन्होंने वित्तीय 2021-22 में क्रय केंद्रों पर तीन लाख रुपये से अधिक मूल्य का गेहूं बेचा है। आधार कार्ड से पकड़ में आए इस मामले में शासन के निर्देश पर पूर्ति विभाग ने जांच की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए सभी पूर्ति निरीक्षकों को पत्र भेजा गया है कि संबंधित कार्डों की जांच गहनता से करें। यह भी देखें कि कहीं संबंधित किसान के आधार कार्ड का दुरुपयोग तो नहीं हुआ है।
ऐसे पकड़ में आया मामला
शासन स्तर पर पोर्टल पर हुई क्रास चेकिंग में मामला पकड़ में आया। राशन कार्ड व गेहूं की बिक्री में एक ही आधार नंबर का प्रयोग हुआ। राशन कार्ड पहले से ही आधार से जुड़े हैं, गेहूं खरीद के लिए आनलाइन पंजीकरण में भी आधार नंबर का इस्तेमाल होता है। ऐसे में माना जा रहा है कि तीन लाख रुपये से अधिक धनराशि का गेहूं बेचने वाले सरकारी योजना के तहत कोटे से अनाज लेने के दायरे में नहीं आ सकते हैं।
यह है कार्डधारक की पात्रता
पात्र गृहस्थी कार्ड के लिए नगरीय क्षेत्र में तीन लाख व ग्रामीण क्षेत्र में दो लाख रुपये तक की वार्षिक आय वालों की पात्रता होनी चाहिए, अंत्योदय के लिए भूमिहीन व निराश्रित होना आवश्यक है। ऐसे ही पात्रों का राशन कार्ड बनना है।
जनपद में कार्डधारकों की संख्या
जिले में कुल 1479 कोटे की दुकानें हैं। यहां कुल सात लाख 15 हजार आठ सौ 59 कार्डधारक हैं, जिसमें पांच लाख 98 हजार सात सौ 89 पात्र गृहस्थी व एक लाख 17 हजार 70 अंत्योदय कार्डधारक शामिल हैं।
जिलापूर्ति अधिकारी दिलीप कुमार ने कहा कि 1004 कार्डों की जांच कराई जा रही है। इसके लिए सभी तहसीलों के पूर्ति निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं। कार्डधारकों को नोटिस भेजा जा रहा है, जिसमें वह अपना पक्ष रखेंगे। सभी तथ्यों की जांच के बाद ही कार्ड निरस्त किए जाएंगे।