मां, मातृभाषा और मातृभूमि का हमेशा करें सम्मान : कुलाधिपति
कपिलवस्तु में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में राज्यपाल व कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि लड़कियां महिला सशक्ितकरण का उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं।
सिद्धार्थनगर, (जेएनएन)। कपिलवस्तु में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में राज्यपाल व कुलाधिपति राम नाईक ने कहा की छात्र-छात्राएं जीवन पर्यन्त अपनी माँ, मातृभाषा और मातृभूमि का सम्मान करें, सफलता आपके कदम चूमेंगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कपिलवस्तु के बारे में आपको बताना उतना ही हास्यास्पद होगा जितना काशी वालों को भोलेनाथ के बारे में बताना है।
उन्होंने कहा कि छात्रों के लिये दीक्षांत जीवन का पहला पड़ाव होता है। 54 प्रतिशत छत्राओं ने सफलता प्राप्त कर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत किया है। पदक में भी 61 प्रतिशत लड़कियों ने बाजी मारी है। लड़कियां बहुत गंभीरता से पढ़ाई करती हैं इसलिये वह आगे बढ़ रही हैं। लड़कों को इससे सीख लेनी चाहिये।
गंभीर होकर पढ़ाई करें
इस वर्ष 18 विश्वविद्यालय में 9 लाख उपाधियों में से 54 प्रतिशत लड़कियां शामिल हैं। ऐसा ही रहा तो लड़कों को आरक्षण मांगने की नौबत आ सकती है इसलिये लड़के भी गंभीर होकर पढ़ाई करें। पीएम नरेन्द्र मोदी की बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ अभियान सफल हो रहा है। कुलपति के उपदेश पर छात्रों ने जो प्रतिज्ञा लिया है उस पर छात्रों को चलना चाहिये। शपथ लेना आसान है किंतु उसे निभाना कठिन है। उन्होंने कहा कि मां का सम्मान, मातृभाषा का सम्मान और मातृभूमि का जीवन पर्यंत सम्मान करना चाहिये।
कठोर परिश्रम करें
दुनिया में कड़ी प्रतिस्पर्धा है ऐसे में कठोर परिश्रम करें। इसमें शार्टकट न खेजें। इससे जीवन की प्रगति रुक जाती है। गुणवत्ता से कार्य करें, कभी हार नहीं होगी। आज दुनिया में बहुत प्रगति हुई है। केंद्र और प्रदेश सरकार युवकों के कल्याण के लिये बहुत सी योजनाएं शुरू की हैं। प्रदेश सरकार फरवरी माह में एक इन्वेस्टर समिट कराया जिसमें 4.28 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव आए। इसमें 40 लाख युवकों को रोजगार मिलेगा। जीवन का शास्वत संदेश है कि चलते रहो, चलते रहो।
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन केंद्र के स्थापना की स्वीकृति मिली : कुलपति
कुलपति डा. सुरेन्द्र दुबे ने कुलाधिपति की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने कुलाधिपति की उपलब्धियों को अनुकरणीय बताया। विश्वविद्यालय में अनुशासन व शिक्षा को प्राथमिकता बताया। कहा कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय अच्छी शिक्षा के लिये कृत संकल्पित है। उपाधि प्रदान करते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है। विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध अध्ययन केंद्र के स्थापना की स्वीकृति मिल गयी है। भारत और नेपाल के सांस्कृतिक मूल्यों को जोड़ते हुए अध्ययन एवं अध्यापन का प्रयास होगा।