स्टैच्यू ऑफ यूनिटी : गोरखपुर के जांबाजों ने बड़ोदरा में किया था तीन दिन तक अभ्यास
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के लिए गोरखपुर वायुसेना का आठ सदस्यीय टीम गई थी। यह टीम फलाई पास्ट के लिए तीन दिनों तक अभया की थी।
गोरखपुर, जेएनएन। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का फ्लाई पास्ट आसान नहीं था। प्रतिमा के दोनों तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियां इसकी बड़ी वजह थी। गोरखपुर वायुसेना स्टेशन के जांबाजों ने न केवल इस चुनौती को स्वीकार किया बल्कि तीन दिन के अथक अभ्यास से इस काम को आसान भी बना दिया। गोरखपुर लौटने के बाद मीडिया से बातचीत में इन जवानों ने अपने अनुभव को साझा किया।
विंग कमांडर एनएस पन्नू ने बताया कि आठ सदस्यीय टीम व चार 'पी किरण मार्क-टू एयरक्राफ्ट' के साथ 26 अक्टूबर को वह वड़ोदरा पहुंचे थे। कार्यक्रम स्थल एयरफोर्स स्टेशन से 80 किलोमीटर दूर था। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा) के दोनों तरफ ऊंची पहाड़ी होने के कारण फ्लाई पास्ट कर तिरंगे की आकृति बनना चुनौतीपूर्ण था, उन्होंने इसे बखूबी अंजाम दिया।
उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर बांध के किनारे बने सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) को सलामी देना गौरव की बात है। टीम के अन्य सदस्यों ने कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि रक्षा मंत्रालय ने उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के सामने उन्हें आसमान में करतब दिखाने के लिए चुना। आगे भी वह ऐसे राष्ट्रीय स्तर के अभियानों में एयरफोर्स स्टेशन का नाम रोशन करने के इच्छुक हैं।
इन जांबाजों पर पूरे देश को है गर्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर को दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था। वायुसेना गोरखपुर के जांबाजों ने अपने हुनर व अदम्य साहस से कार्यक्रम को खास बना दिया। इस टीम में विंग कमांडर एनएस पन्नू के साथ स्क्वाड्रन लीडर बीएस रंधवा, विंग कमांडर पी कश्यप, विंग कमांडर विवेक सिंह, विंग कमांडर वी. अग्रवाल, विंग कमांडर एसके मिश्र, स्क्वाड्रन लीडर ममता, फ्लाइट लेफ्टीनेंट प्रतिभा शामिल रहे।