Coronavirus के कारण सदियों पुरानी परंपरा टूटी, अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा स्थगित Gorakhpur News
Coronavirus के कारण अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा इस वर्ष स्थगित कर दी गई है। यह परिक्रमा बुधवार पूर्णिमा के दिन से शुरू होनी थी।
बस्ती, जेएनएन। कोरोना का ग्रहण धार्मिक आयोजनों व अनुष्ठान पर भी लगा है प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा के दिन मखौड़ा धाम में मनवर के पवित्र जल में स्नान के पश्चात यही से शुरू होने वाली परंपरागत 84 कोसी परिक्रमा इस वर्ष स्थगित कर दी गई है। यह परिक्रमा आगामी बुधवार पूर्णिमा के दिन से शुरू होनी थी। अयोध्या चित्रकूट प्रयागराज नैमिषारण्य काशी मथुरा बिहार के गया एवं अन्य प्रदेशों के साधु संत व गृहस्थ तथा पड़ोसी देश नेपाल से आने वाला परिक्रमार्थियों का जत्था मखौड़ा धाम के लिए नही पहुंच रहा है।
इस बार सूनी है मखौड़ा
यू तो पूर्णिमा से पहले ही मख धाम साधु संतों से गुलजार होने के साथ पंडाल व विभिन्न दुकानों की सजावट से बृहद मेले का रूप ले लेता है पर इस बार मखौड़ा सूनी है। अयोध्या धाम के गया मंदिर के संत गयादास ने कहा कि समाज है तो धर्म है जिनका सुरक्षित होना ही सबसे बड़ा धर्म है परिक्रमा स्थगित कर हम साधु संत हवन पूजन से जगत कल्याण के लिए आराध्य से प्रार्थना करेंगे।विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है विहिप कार्यकर्ता लॉक डाउन के चलते पीड़ित लोगों की सेवा में लगे हैं।विहिप के संगठन मंत्री सुरेंद्र सिंह ने कहा जब पूरा विश्व महामारी से जूझ रहा है तो राष्ट्र व समाज हित मे परिक्रमा स्थगित करना ही उचित है।।मखौड़ा धाम श्रीराम मंदिर पश्चिमी के महंत सिद्धू दास ने कहा कि चैत्र पूर्णिमा पर इस बार 21 दिनों तक केवल भजन कीर्तन चलेगा मेला आयोजन भी स्थागित है।
ये है परिक्रमा की महत्ता
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अवध धाम की सांस्कृतिक सीमा 84 कोस में फैली है। मान्यता है कि अवध प्रान्त के 84 कोस में फैले अयोध्या बस्ती गोंडा अम्बेडकर नगर बाराबंकी जिलों के 21 दिन की पैदल यात्रा में करीब 250 धार्मिक स्थलों की परिक्रमा करने से प्राणी 84 लाख यौनियो में जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।योगिनी नृत्य से देवी को प्रसन्न करने तथा लिट्टी चोखा प्रसाद अमृत तुल्य माना गया है।
यहां भी परेशानी : मंडी में प्रवेश वर्जित होने से कारोबार ठप
बस्ती के नवीन मंडी परिसर वीरान हो चला है। कुछ थोक कारोबारी परिस्थितियों को देख घर बैठ गए तो कुछ मंडी व्यवसायी प्रशासन का पास लटकाए किस्मत को कोस रहे हैं। यहां खरीदारों की संख्या नहीं के बराबर है। लाकडाउन के बाद छोटे कारोबारियों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। मंडी के दोनों गेट पर ताला लटका है। सिर्फ एक गेट खोला गया है। इससे स्टाफ और पास होल्डर कारोबारी ही प्रवेश पा रहे हैं। फलों और सब्जियों की खरीद फरोख्त लगभग बंद है। कारोबारियों का भंडार आलू-प्याज, लौकी, कद्दू से भरा हुआ है। बिक्री न होने से यह सब्जियां खराब हो रही है। रविवार को जागरण टीम ने मंडी समिति की पड़ताल की तो हकीकत सामने आई।
शाहजहांपुर और महाराष्ट्र से आई दो गाडिय़ां
मंडी में प्याज से लदी दो ट्रकें खड़ी थी। एक महाराष्ट्र और दूसरी शाहजहांपुर से आई थी। चालक शत्रुधन यादव ने बताया कि तीन दिन आए हो गए मंडी के थोक कारोबारी बिक्री न होने से गाड़ी खाली नहीं करा रहे हैं। खाने-पीने का भी संकट है। मंडी कारोबारी अब्दुल मजीद के यहां टमाटर, प्याज, लौकी, कद्दू, मिर्चा अधिक मात्रा में डंप है। खरीदार न आने से हरी सब्जियां खराब भी हो जा रही है। मजीद ने बताया कि अन्य जनपदों में एहतियात के साथ मंडी चल रही है। छोटे दुकानदारों का प्रवेश वर्जित होने से कारोबार ठप सा हो गया है। आंखों के सामने पूंजी बर्बाद हो रही है। सोशल डिस्टेंङ्क्षसग का पालन कराते हुए फुटकर विक्रेताओं को आने देना था। उतरौला से आए किसान सज्जन और अब्दुल सत्तार ने बताया कि कद्दू और लौकी की खेती उन्होंने की है। किसी तरह उत्पाद को बस्ती मंडी में ले आए। यहां कोई खरीदने वाला ही नहीं है।
भीड़ की वजह से लगा प्रतिबंध
मंडी में खरीदारी के नाम पर भीड़ ज्यादा हो रही थी। इसलिए प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अब पास होल्डर ही यहां आ सकते हैं। - राजितराम वर्मा, सचिव, मंडी समिति।