गोरखपुर, जागरण संवाददाता : कोविड काल के बाद अनेक मरीजों में तंबाकू, गुटका व पान मसाला खाने की मात्रा चार गुना तक बढ़ गई है। संक्रमण काल के पहले जो चार-छह पुड़िया खाते थे, वह 15-20 खा रहे हैं। ऐसे अनेक युवाओं व महिलाओं को लेकर स्वजन जिला अस्पताल व बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अवसाद के कारण ही धूमपान व तंबाकू सेवन में तेजी आई है।

ओपीडी में आने वाले 90 फीसद मामले तनाव से संबंधित

पहले जिला अस्पताल के मानिसक रोग विभाग के ओपीडी में रोज लगभग 35-40 मरीज आते थे। इनमें से 25-30 मरीज तनाव व अवसाद से पीड़ित होते थे। अब यह संख्या बढ़कर 70-80 हो गई है। इसमें 90 फीसद तनाव व अवसाद के शिकार हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में भी तनाव व अवसाद के मरीजों की संख्या बढ़ी है। पिछले साल अप्रैल से सितंबर तक टेली मेडिसन के जरिए लगभग चार सौ मरीजों को परामर्श दिया गया, इस साल जुलाई से अब तक नौ हजार से अधिक मरीजों को सलाह दी गई है।

तंबाकू व धूमपान के नुकसान

-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

-फेफड़े कमजोर हो जाते हैं।

-मुंह व गले के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।

बड़ी संख्या में मरीज ज्यादा तंबाकू व गुटखा खाने वाले आ रहे

बीआरडी मेडिकल कालेज में मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष तपस कुमार आइच ने कहा कि इस समय बड़ी संख्या में मरीज ज्यादा तंबाकू व गुटका खाने वाले आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल के बाद इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसका मुख्य कारण तनाव व अवसाद है। हालांकि वे तेजी से स्वस्थ भी हो रहे हैं। थोड़े से साहस की जरूरत होती है और दवाओं के सहयोग से नशा छूट जाता है।

लोग ज्यादा करने लगे हैं गुटखे का सेवन

जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. अमित कुमार शाही ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के पहले जो मरीज दिन भर में चार-छह गुटखा खाते थे। अब 15-20 पुड़िया खा रहे हैं। इसमें युवाओं के अलावा महिलाएं भी शामिल हैं। कुछ मरीज तो ऐसे आए हैं, जिनकी कोरोना संक्रमित होने के बाद यह लत छूट गई थी, लेकिन ठीक होने के कुछ बाद ज्यादा खाने लगे हैं।

Edited By: Rahul Srivastava