सात माह बाद गुरुवार से लीजिए बड़े पर्दे पर सिनेमा का मजा, सिनेमा हाल संचालकों ने शुरू की तैयारी Gorakhpur News
गोरखपुर शहर में चार मल्टीप्लेक्स और चार सिंगल स्क्रीन हाल है। लाकडाउन के पहले तक इन सिनेमाहालों में प्रतिदिन 55 से 60 शो चलते थे और तकरीबन 12 से 15 हजार लोग फिल्म का लुत्फ उठाने आते थे। गुरुवार को हाल खुलने जा रहा है
गोरखपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में सिनेमा, मल्टीप्लेक्स और थियेटर गुरुवार से खुलेंगे। मंगलवार को इसके लिए प्रदेश सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। करीब सात माह से बंद चल रहे सिनेमाहाल की रौनक गुरुवार से लौटने की उम्मीद थी, लेकिन नई फिल्मों के रिलीज न होने के कारण सिंगल स्क्रीन सिनेमा फिलहाल दर्शकों के लिए हाल खोलने काे तैयार नहीं हैं। दूसरी तरफ शहर के चारों मल्टीप्लेक्स में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। वहां कौन-कौन सी फिल्में लगेंगी इसका निर्णय बुधवार को होगा।
सिंगल की ना, मल्टी स्क्रीन सशर्त दिखाएंगे फिल्में
शहर में चार मल्टीप्लेक्स और चार सिंगल स्क्रीन हाल है। लाकडाउन के पहले तक इन सिनेमाहालों में प्रतिदिन 55 से 60 शो चलते थे और तकरीबन 12 से 15 हजार लोग फिल्म का लुत्फ उठाने आते थे। गुरुवार को हाल खुलने जा रहा है, लेकिन सिनेमहाल संचालन इसे लेकर उत्साहित नहीं हैं। खासकर सिंगल स्क्रीन पर फिल्म दिखाने को लेकर असंमजस की स्थिति है। विजय सिनेमा में एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) के तहत साफ-सफाई एवं सैनिटाइजेशन का काम चल रहा है, लेकिन फिलहाल हाल बंद ही रहेगा। विजय सिनेमा के मैनेजर बृजेश कुमार यादव के मुताबिक दीपावली से पहले कोई बड़ी फिल्म रिलीज नहीं होगी, ऐसे में पुरानी फिल्मों को ज्यादा दर्शक मिलने की उम्मीद कम ही है। इसलिए हाल खोलने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। आइनाक्स के प्रवक्ता पुनीत गुप्ता ने बताया कि 15 अक्टूबर से कौन-कौन सी फिल्में दिखाई जाएंगी इस पर बुधवार को निर्णय लिया जाएगा। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
कोरोना की मार, खेल से दूर हुए स्कूली खिलाड़ी
माध्यमिक विद्यालयों के खिलाड़ियों का इस साल राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में शामिल होने की मंशा पर पानी फिर गया है। स्कूली खेल व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन न होने व कोरोना के कारण इस बार खेल का सत्र शून्य कर दिया गया है। ऐसे में इंटर के छात्र इस बार बिना खेल के ही विदा हो जाएंगे। सत्र शून्य होने की जानकारी होने के बाद खेल में अपना भविष्य तलाशने वाले छात्र मायूस हो गए हैं। सरकार खेल के लिए प्रतिवर्ष सत्तर लाख रुपये का बजट देती है। खिलाड़ी स्कूली खर्चे पर ही विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते हैं। राज्य स्तरीय खेलों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को ही राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में शामिल होने का अवसर मिलता है। राज्य स्तरीय खेलने वाले सभी खिलाड़ियों को प्रमाण पत्र मिलता है, जिसका सीधा फायदा उन्हें अगली कक्षाओं में नामांकन के साथ ही नौकरी में मिलता है।
तीन तरह की होती हैं प्रतियोगिताएं
पढ़ाई के साथ-साथ खेल में रुचि रखने वाले छात्रों के चयन के लिए सरकार प्रतिवर्ष राज्य स्तरीय प्रतियोगिता कराती है। अंडर 14 में कक्षा आठ, अंडर 17 में कक्षा नौ व दस तथा अंडर 19 में कक्षा 11 व 12 के छात्र प्रतिभाग करते हैं। स्कूलों में छात्रों को चयनित करने के लिए विशेष खेल शिक्षक होते हैं, जो जनपद स्तर पर ट्रायल के जरिये अच्छे खिलाड़ियों का चयन करते हैं।