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इस बगिया में तैयार हो रहे हैं फौजी, अब तक भर्ती हो चुके 32 युवक Gorakhpur News

अब इस ट्रैक पर करीब आठ किमी क्षेत्र के एक दर्जन गांवों के सौ से अधिक नौजवान हर दिन सुबह-शाम दौड़ लगाने के साथ अन्य कसरत करते हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 07:24 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 10:00 AM (IST)
इस बगिया में तैयार हो रहे हैं फौजी, अब तक भर्ती हो चुके 32 युवक Gorakhpur News
इस बगिया में तैयार हो रहे हैं फौजी, अब तक भर्ती हो चुके 32 युवक Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया जिले के भागलपुर ब्लाक के कसिली गांव में कोई सरकारी संसाधन नहीं हैं, यहां तक कोई खेल मैदान भी नहीं है लेकिन यहां देश के जांबाज तैयार हो रहे हैं। और इसकी पृष्ठभूमि तैयार की है खुद गांव के नौजवानों ने।

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फौज में भर्ती होने के लिए अभ्यास के लिए कोई जगह नहीं मिली तो एक ऐसी बाग की जमीन चुनी, जो वीरान हो चुकी थी। 2013 में उसे समतल बनाया और दौडऩे के लिए उस पर  200 मीटर का ट्रैक तैयार किया। अब इस ट्रैक पर करीब आठ किमी क्षेत्र के एक दर्जन गांवों के सौ से अधिक नौजवान हर दिन सुबह-शाम दौड़ लगाने के साथ अन्य कसरत करते हैं। उनकी कसरत का नतीजा निकला भी है। इस ट्रैक से पिछले पांच सालों में करीब 32 फौजी पैदा हुए हैं।

इन क्षेत्रों में तैनात हैं जवान

इनमें बीएसएफ, आइटीबीपी, सीआरपीएफ, आरपीएफ के जवानों के अलावा यूपी पुलिस, छत्तीसगढ़ भारत रक्षित वाहिनी के जवान शामिल हैं। आसपास के कसिली, सतरांव, देवबारी, डुमरिया चकरा, चकरा बाधा, चकरा गोसाई, चांदपलिया, भेडिय़ा, चेरो, परसिया, मगहरा, महथापार, सुकरौली, दोहनी, कल्याणी, अकुबा, बरठा गांवों के युवाओं के लिए बाग का यह मैदान और वहां बना देशी ट्रैक कर्मक्षेत्र बन गया है। खास बात यह है कि उनको तराशने वाला भी एक युवा ही है।

धावक जितेंद्र को युवा मानते हैं गुरु

कसिली गांव के राजभर टोला निवासी 21 वर्षीय धावक जितेंद्र राजभर की देखरेख में प्रशिक्षण चलता है। वह स्नातक अंतिम वर्ष के छात्र हैं और खुद नियमित अभ्यास भी करते हैं। उनकी इच्छा अंतर विश्वविद्यालयीय एथलेटिक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने की है। पिछले साल उन्होंने बंगलुरू में आयोजित अंतर विश्वविद्यालयीय एथलेटिक प्रतियोगिता में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया था। हालांकि उन्हें 21 किमी की स्पर्धा में 12वें स्थान से संतोष करना पड़ा था। चार साल पहले अंतर महाविद्यालयीय प्रतियोगिता में एक घंटा 10 मिनट दो सेकंड का बनाया रिकार्ड आज भी कायम है। क्षेत्र के युवा उन्हें अपना गुरू मानते हैं। वे कहते हैं कि खुद अच्छा एथलीट बनने के साथ उनकी इच्छा देश के लिए अधिक से अधिक फौजी तैयार करने की है।

हम सभी के लिए यह ट्रैक पूजनीय स्थल

नक्‍सली क्षेत्र में तैनात भारत रक्षित वाहिनी के जवान संतोष कुमार मिश्र का कहना है कि पहले सड़क पर अभ्यास करना पड़ता था। बहुत दिक्कत होती थी। 2013 में हम सबने मिलकर बाग में ट्रैक बनाया। सुविधा मिली तो गांव से फौजी तैयार होने लगे। हम सभी के लिए यह ट्रैक पूजनीय स्थल है।


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