Gorakhpur Development Authority: लंबे समय बाद जीडीए के नाम दर्ज हुई 45.77 हेक्टेयर जमीन
जीडीए की ओर से अधिग्रहीत करीब 70.34 हेक्टेयर जमीन ऐसी थी जिसपर लंबे समय से जीडीए का नाम नहीं दर्ज किया गया था। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी की ओर से अधिग्रहण के बाद ही अमलदरामद के लिए प्रपत्र भेजे गए थे लेकिन जीडीए का नाम दर्ज नहीं हो पाया था।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। जमीन के अधिग्रहण के बाद लंबे समय से लंबित गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के पक्ष में नामांतरण की प्रक्रिया पूरी हो गई है। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी की ओर से नामांतरण के लिए भेजे गए 47.96 हेक्टेयर जमीन के प्रपत्र तहसील को भेजे गए थे। इसमें से 45.77 हेक्टेयर यानी करीब 113 एकड़ जमीन पर जीडीए का नाम दर्ज हो चुका है। जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने इस प्रक्रिया की मानीटरिंग करते हुए जल्द से जल्द नाम दर्ज करने का निर्देश दिया था। 2.19 हेक्टेयर जमीन रुस्तमपुर क्षेत्र से जुड़ी है और वहां की नई खतौनी खतौनी अपडेट न होने के कारण इस जमीन पर जीडीए का नाम दर्ज नहीं हो सका है।
शहर में जीडीए की ओर से अधिग्रहीत करीब 70.34 हेक्टेयर जमीन ऐसी थी जिसपर लंबे समय से जीडीए का नाम नहीं दर्ज किया गया था। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी की ओर से अधिग्रहण के बाद ही अमलदरामद (नाम दर्ज करने की प्रक्रिया) के लिए प्रपत्र भेजे गए थे लेकिन तहसील स्तर पर लापरवाही के कारण जीडीए का नाम दर्ज नहीं हो पाया था। इसका फायदा उठाकर कई स्थानों पर भू माफिया ने उसी जमीन को दोबारा बेच दिया। पिछले कुछ महीनों से जीडीए की ओर से नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया। जिलाधिकारी ने भी इस मामले में तेजी लाने के निर्देश दिए और नियमित रूप से समीक्षा भी की। गुरुवार को 45.77 हेक्टेयर जमीन पर नाम दर्ज हो गया। रुस्तमपुर के 2.19 हेक्टेयर जमीन के साथ ही करीब 23 हेक्टेयर जमीन अभी भी जीडीए के नाम दर्ज नहीं है। इसमें 14.26 हेक्टेयर जमीन विशेष भूमि अध्याप्ति कार्यालय से अमलदरामद के लिए नहीं भेजा गया है। इसके साथ ही जंगल सिकरी उर्फ खोराबार की 8.15 हेक्टेयर जमीन के प्रपत्र भी तैयार किए जा रहे हैं।
जीडीए की ओर से अधिग्रहीत की गई जमीन में से 45.77 हेक्टेयर पर प्राधिकरण का नाम दर्ज हो गया है। शेष जमीन पर भी जल्द ही नाम दर्ज हो जाएगा। इससे जमीन को लेकर फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा। - प्रेम रंजन सिंह, उपाध्यक्ष जीडीए।
कार्यालय नहीं गए, पैसा भी नहीं लगा, गदगद हुए वरिष्ठ नागरिक
बैंक से सेवानिवृत्त हुए राय बृजपत रे जीडीए की बदली कार्यप्रणाली से काफी गदगद हैं। तारामंडल क्षेत्र में उनके बेटे राय अंकित रे ने मानचित्र पास कराने के लिए जीडीए में आवेदन किया था। मानचित्र जमा करने के एक सप्ताह के भीतर ही पास कर दिया गया। बृजपत रे या उनके बेटे को इसके लिए एक बार भी कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ा। बृजपत रे बताते हैं कि जिस दिन मानचित्र जमा किया, उसके अगले दिन शुल्क जमा करने का मैसेज आ गया। व्यवस्था में दो से तीन दिन लगे, जैसे ही शुल्क जमा किया अगले ही दिन मानचित्र पास हो गया। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी कार्यालय में इस तरह की व्यवस्था उन्होंने पहली बार देखी है। उन्होंने कहा कि कभी इसी जीडीए के चक्कर में पड़कर उन्हें काफी परेशान होना पड़ा था। कार्यशैली में आए इस बदलाव के लिए उन्होंने जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंंह को मैसेज भेजकर धन्यवाद दिया है। जीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि उनका उद्देश्य है कि आम नागरिक को अपना काम कराने में कोई समस्या न हो।