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हिजबुल कमांडर के समर्थक को जमानत मिलने पर अधिवक्‍ताओं ने कहा- आतंकी का समर्थन करना भी राष्ट्रद्रोह Gorakhpur News

हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर रियाज नायकू का समर्थन करने वाले की जमानत मिलने अधिवक्‍ताओं ने पुलिस पर सवाल खड़े किए हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 14 May 2020 12:34 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2020 03:21 PM (IST)
हिजबुल कमांडर के समर्थक को जमानत मिलने पर अधिवक्‍ताओं ने कहा- आतंकी का समर्थन करना भी राष्ट्रद्रोह  Gorakhpur News
हिजबुल कमांडर के समर्थक को जमानत मिलने पर अधिवक्‍ताओं ने कहा- आतंकी का समर्थन करना भी राष्ट्रद्रोह Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कश्मीर में सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर रियाज नायकू के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने के आरोपित के प्रति पुलिस के उदार रवैये पर अधिवक्ताओं ने सवाल गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका मानना है कि किसी आतंकी का समर्थन करना भी राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है। ऐसा करने वाला राष्ट्रद्रोही है। ऐसे लोगों की जगह सिर्फ जेल है। आतंकी के समर्थन में पोस्ट डालने वाले के विरुद्ध पुलिस ने राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज किया होता, तो उसे इतनी आसानी से जमानत नहीं मिलती।

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कोर्ट से मिल गई थी जमानत

मुंबई के थाणे जिला स्थित मुंब्रा अपार्टमेंट निवासी अहमद उस्मानी को बांसगांव पुलिस ने यहां बभनौली गांव से बीते रविवार को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि ट्वीटर और इंस्टाग्राम पर उसने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर रियाज नायकू के समर्थन में पोस्ट डाली थी। समुदाय विशेष के लोगों को देश के विरुद्ध भड़काने का प्रयास भी किया था। बभनौली गांव में अहमद उस्मानी की खाला का घर है। वह खाला के घर आया था और लॉकडाउन के चलते वापस नहीं जा सका था। बांसगांव पुलिस ने राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल टिप्पणी और आइटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर सोमवार को उसे रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। रिमांड मजिस्ट्रेट ने उसे जेल भेजने का आदेश दिया, लेकिन सात साल से कम सजा वाली धारा में मुकदमा दर्ज होने के कारण जेल से उसे उसी दिन निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। इस मामले में कई अधिवक्ताओं ने कमजोर कार्रवाई को लेकर पुलिस को कठघरे में खड़ा किया है।

रियाज नायकू जैसे अलगाववादियों व देशद्रोहियों के समर्थन में सोशल मीडिया पर विद्वेषपूर्ण टिप्पणी करना तथा देश के विरुद्ध इस तरह का विचार व्यक्त करना सीधे-सीधे देशद्रोह की श्रेणी में आने वाला गंभीर अपराध है। इस तरह का कृत्य देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने वाला है। राष्ट्रहित में ऐसा करने वालों को कानूनी शिकंजे में कसना आवश्यक है। यह तभी संभव है, जब पुलिस इनके विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करे। - राजेश पाण्डेय, अधिवक्ता

सोशल मीडिया पर अहमद उस्मानी की टिप्पणी आतंकी रियाज नायकू को महिमामंडित करने तथा आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने वाली है। पोस्ट के माध्यम से एक वर्ग विशेष को उकसाने का भी प्रयास किया गया है। स्पष्ट रूप से यह राष्ट्र विरोधी कृत्य है, इसलिए आरोपित के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह के आरोप में मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। मुकदमे में राष्ट्रद्रोह की धारा बढ़ाकर पुलिस अपनी गलती सुधार सकती है। - बीडी सिंह, अधिवक्ता

देश के विरुद्ध युद्ध छेडऩे वाले आतंकी के समर्थन में पोस्ट डालने का मतलब है वैचारिक रूप से उसके साथ खड़ा होना। आतंकवादी का समर्थन करने का मतलब होता है देश के विरोध में खड़ा होना। ऐसा करने वाला कोई भी हो वह राष्ट्रद्रोही है। अहमद उस्मानी की पोस्ट इसी श्रेणी का अपराध है। उस पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज न कर बांसगांव पुलिस ने बड़ी चूक की है। इस वजह से उसे आसानी से जमानत मिल गई। इस गलती में सुधार की अभी गुंजाइश है। अधिकारियों को इसके लिए प्रयास करना चाहिए। - शक्तिप्रकाश श्रीवास्तव, अधिवक्ता

किसी आतंकी के पक्ष में खड़ा होना या किसी भी तरह से उसका समर्थन करना राष्ट्र के विरुद्ध किया गया अपराध है। सोशल मीडिया पर हिजबुल कमांडर के समर्थन में पोस्ट डालकर अहमद उस्मानी ने ऐसा ही अपराध किया है। उसके पोस्ट की भाषा एक बड़े वर्ग को देश के प्रति भड़काने वाली भी है। इस तरह की हरकत सीधे-सीधे राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आती है। बांसगांव पुलिस ने राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज न कर गलती की है। मुकदमे में धारा बढ़ाकर इस गलती में सुधार करने के साथ ही आरोपित को कानून के शिकंजे में कसने की जरूरत है। - कृष्ण कुमार त्रिपाठी, अधिवक्ता 


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