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पं.दीनदयाल उपाध्‍याय की नजर में समाज के चार आधार स्तंभ Gorakhpur News

1966 में उनसे चर्चा के दौरान एक बार उन्होंने बताया कि जंजीर की ताकत बढ़ानी है तो उसकी सबसे कमजोर कड़ी को मजबूत कीजिए। आगे चलकर उन्होंने इसे अंत्योदय के विचार के रूप में रखा।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 01:46 PM (IST)
पं.दीनदयाल उपाध्‍याय की नजर में समाज के चार आधार स्तंभ Gorakhpur News
पं.दीनदयाल उपाध्‍याय की नजर में समाज के चार आधार स्तंभ Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। मैंने पं.दीनदयाल उपाध्याय को देखा है और कई बार चाय पिलाई है। 1966 में उनसे चर्चा के दौरान एक बार उन्होंने बताया कि जंजीर की ताकत बढ़ानी है तो उसकी सबसे कमजोर कड़ी को मजबूत कीजिए। आगे चलकर उन्होंने इसे अंत्योदय के विचार के रूप में रखा। उनकी पुण्यतिथि पर हमें सभी को उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है।

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यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष ने कही। वह विवि के संवाद भवन में पं.दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर वर्तमान समय में दीनदयाल जी के विचारों की प्रासंगिकता विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पं.दीनदयाल ने समाज के चार आधार स्तंभ बताए हैं। पहला शिक्षा, दूसरा शिक्षित व्यक्ति समाज का सेवा करेगा और उसे आगे बढ़ाकर ले जाएगा। तीसरा योगक्षेम व चौथा स्तंभ यज्ञ है। 

बतौर मुख्य वक्ता काशी हिंदू विवि के प्रो.राकेश कुमार उपाध्याय ने कहा कि पं.दीनदयाल ने ऐसे समय में अपना समाज दर्शन प्रस्तुत किया जब देश साम्यवाद और पूंजीवाद के बीच डोल रहा था। भारत अनेक ज्ञानियों और मनीषियों की भूमि रही है। हमारे वेद ऋषियों ने जो एकात्म मानववाद का स्वप्न देखा था उसे पंडित जी के विचारों ने चरितार्थ किया।  

अध्यक्षता करते हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.वीके सिंह ने कहा कि एकात्म मानववाद के प्रणेता दीनदयाल के विचार हमें आज भी प्रेरित करते हैं। हमारी संस्कृति पुरातन संस्कृति है जो वसुधैव कुटुंबकम के विचार से अनुप्राणित है। 

विशिष्ट अतिथि डा.अनिल यादव ने कहा कि पंडित जी ने अपना सर्वस्व जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि उनके बताए गए मार्ग पर चलकर ही दी जा सकती है। दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के निदेशक प्रो.संजीत गुप्ता ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी।

कार्यक्रम में डा. शैलेश सिंह के पं. दीनदयाल पर आधारित पुस्तक को भेंट किया। संचालन डा.रंजनलता व धन्यवाद ज्ञापन डा.महबूब हसन ने किया। 

इस अवसर पर प्रो. एसके सिंह, प्रो.विनोद सिंह, प्रो.डीएन यादव, प्रो.एमएम पाठक, प्रो.जितेंद्र मिश्र, प्रो.चंद्रशेखर, प्रो.शरद मिश्रा, डा.सर्वेश कुमार, डा.अमित उपाध्याय, डा.स्मिता मल्ल आदि मौजूद रहे।


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