इनकी यही पहचान, अल्लापुर में आरती, भगवानपुर में अजान Gorakhpur News
1500 की आबादी वाला भगवानपुर मुस्लिम बाहुल्य है तो 1600 की आबादी वाला अल्लापुर हिंदू बाहुल्य गांव है। गांव के लोगों में दोस्ती के कारण एक दूसरे के धर्म पर गांवों का नााामरख लिया।
गोरखपुर, जीतेन्द्र पाण्डेय। अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। वहीं सिद्धार्थनगर जिले का भगवानपुर व अल्लापुर गांव दशकों से सौहार्द का पैगाम दे रहा है। भगवानपुर से अजान गूंजती है तो अल्लापुर से आरती। 1500 की आबादी वाला भगवानपुर मुस्लिम बाहुल्य है तो 1600 की आबादी वाला अल्लापुर हिंदू बाहुल्य गांव है। दोनों गांव के लोगों में दोस्ती इतनी कि उन्होंने एक दूसरे के धर्म पर गांवों का नाम रख दिया।
अयोध्या से करीब 100 किमी की दूर बसे इन गांवों के लोग पूरी तरह से बेफिक्र हैं। उन्हें तो बस अपने गांव के लोगों की चिंता रहती है। भगवानपुर के रमजान चिंतित हैं कि इस बार अल्लापुर के रमई की फसल अच्छी नहीं हुई है। उनके बच्चों की पढ़ाई कहीं प्रभावित न हो। अखबार, टीवी चैनल व सोशल मीडिया के शोर में ऐसा भी नहीं कि इन्हें फैसला आने की की खबर न हो, पर बिल्कुल भी नहीं चाहते कि कोई निर्णय इनके भाईचारे में खलल डाले। सिद्धार्थनगर जिले के यह दोनों गांव डुमरियागंज तहसील का हिस्सा हैं। वर्षों से सौहार्द की मिसाल बने इन दोनों गांवों की नब्ज टटोलने की कोशिश की गई तो यह पता चला कि व्यस्तता व आम जरूरत को लेकर यहां लोगों की मुलाकातें कम होती हैं, पर रिश्ते अभी वही हैं। लोग आज भी एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं।
नई पीढ़ी कर रही पुरानी परंपरा का निर्वहन
पुरानी परंपरा को आज भी यहां की युवा पीढ़ी संभाल रही है। भगवानपुर के सहाबुद्दीन उर्फ महबूब(35) माह भर पूर्व सऊदी अरब से लौटे हैं। कहते हैं- इंसा अल्लाह हमारे गांव को किसी की भी नजर न लगेगी। कोर्ट का फैसला कुछ भी आए हम, उसका सम्मान करेंगे। वह कहते हैं कि अल्लापुर के मंटू तिवारी, बीरी प्रधान उनके बेहद करीबी हैं। देश में माहौल कुछ भी हो, हमारे गांव मोहब्बत का पैगाम देते रहे हैं और देते रहेंगे।
इसलिए रखा नाम
भगवानपुर के अब्दुल अजीज (50) गांव के पास ही एक दुकान चलाते हैं। कहते हैं कि दुकान आने वाले अधिकतर ग्राहक हिंदू हैं। कभी किसी बात को लेकर उनके बीच तफरका नहीं हुआ। कहते हैं कि उनके बुजुर्गों में इतना प्रेम था कि हिंदुओं ने आपसी सौहार्द को मजबूत करने के लिए अपने गांव का नाम अल्लापुर रखा और मुसलमानों ने भगवानपुर। ताकि हिंदू अपने गांव के बहाने अल्लाह का नाम ले और मुसलमान भगवान का।
पता ही नहीं चलता, कौन हिंदू कौन मुसलमान
अल्लापुर के बब्बू(60) भगवानपुर के पास ही पान की दुकान चलाते हैं। वह कहते हैं-दुनों गांव के मनई शुरू से एक संगरी उठत, बइठत हैं। बोलत, बतियात हैं। इहां केहु खुद से कोई न बतावे तो पता न चली के हिंदू होवे और के मुसलमान।