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एक ऐसा गांव जहां पर आज भी नहीं है कोई विद्यालय

सांथा ब्लाक के गनवरियां ग्राम पंचायत में प्राथमिक विद्यालय न होने से यहां के बच्चों को चार किलोमीटर की दूरी तय करके निजी स्कूल या दूसरी ग्राम पंचायत में स्थित प्राथमिक विद्यालयों में जाना पड़ता है। यहां की आबादी करीब दो हजार है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Mon, 16 Aug 2021 05:55 PM (IST)Updated: Mon, 16 Aug 2021 05:55 PM (IST)
एक ऐसा गांव जहां पर आज भी नहीं है कोई विद्यालय
संतकबीर नगर के गनवरियां में आज भी नहीं है स्‍कूल। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : संतकबीर नगर जिले के सांथा ब्लाक के गनवरियां ग्राम पंचायत में प्राथमिक विद्यालय न होने से यहां के बच्चों को चार किलोमीटर की दूरी तय करके निजी स्कूल या दूसरी ग्राम पंचायत में स्थित प्राथमिक विद्यालयों में जाना पड़ता है। यहां की आबादी करीब दो हजार है। चार किमी की परिधि में न सरकारी और न ही निजी विद्यालय है। आजादी के 75 वर्ष बाद भी यहां शिक्षा की बुनियादी व्यवस्था न होने से सवाल खड़ हा रह हैं। अभी भी गांव की कुछ बच्चियां स्कूल न होने से पढ़ नहीं पा रही हैं।

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कई गांवों में प्राथमिक शिक्षा की हालत बेहतद खराब

शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के दावे तो बहुत किए जाते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी अनेकों गांव में प्राथमिक शिक्षा की हालत बेहद खराब है। लोग अपने बच्चों को पढ़ाना तो चाहते हैं लेकिन विद्यालय के न होने से उनके सपनों को पंख नहीं लग पा रहा है। कोरोना के कारण विगत एक वर्ष से विद्यालयों का संचालन बंद है, लेकिन अब विद्यालय खुलने के आसार नजर आ रहे हैं तो बच्चों के स्वजन को चिंता सता रही है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

गांव के यतींद्र नाथ चतुर्वेदी कहते हैं कि पढ़ने के लिए बच्चों को दूर जाना पड़ता है। इस समय तो कोरोना के कारण फिलहाल घर पर ही बच्चों की पढ़ाई चल रही है। वह कहते हैं कि बच्चे तो स्कूल जाते हैं लेकिन कुछ लड़कियां अभी भी अशिक्षित रह जा रहीं हैं। मोहम्मद अयूब ने कहा कि दूसरे ग्राम पंचायत में पढ़ने के लिए बच्चों को मुख्य सड़क से जाना पड़ता है, जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। बच्चों को पढ़ाना है, इसलिए विवशता है। गांव के सुखपाल कहते हैं कि स्कूल काफी दूर है जिससे बच्चों को सुबह जल्दी उठकर तैयारी में लग जाना पड़ता है। बच्चे जब तक वापस नहीं आ जाते तब तक चिंता बनी रहती है। बच्चों के इंतजार में ही पूरा दिन बीत जाता है।

गांव में स्‍कूल होता तो बच्‍चों की पढ़ाई में आसानी होती

गोमती यादव ने कहा कि अगर गांव में स्कूल होता तो बच्चों की पढ़ाई में आसानी होती, लेकिन अभी तक स्कूल नहीं बना। बाकी सभी गांवों में सरकारी स्कूल है। इसके लिए प्रयास भी किया गया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने कहा कि अधिकारी और जनप्रतिनिधि वर्षों से यहां विद्यालय बनवाने का आश्वासन देते हैं, लेकिन आजादी के बाद से ही यहां स्कूल नहीं बन पाया।

विद्यालय की स्थापना के लिए शिक्षा विभाग को लिखा जाएगा पत्र

एसडीएम अजय कुमार त्रिपाठी ने कहा कि गनवरियां ग्राम पंचायत में प्राथमिक विद्यालय नहीं है, इसकी जानकारी नहीं थी। जनप्रतिनिधियों से वार्ता करके शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर विद्यालय की स्थापना के लिए आवश्यक पहल किया जाएगा।


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