यहां 11 दिन तक लगता है शहीदों की याद में मेला, होते हैं कई कार्यक्रम Gorakhpur News
आजादी के अमर शहीदों की याद में गोरखपुर में हर साल लगने वाला 11 दिवसीय मेला अपने आप में अनूठा आयोजन होता है।
गोरखपुर, जेएनएन। आजादी के अमर शहीदों की याद में गोरखपुर में हर साल लगने वाला 11 दिवसीय मेला अपने आप में अनूठा आयोजन होता है। कभी कट्टर हिंदुवादी संगठन विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल में काम करने वाले (अब सामाजिक संगठन चलाने वाले) बृजेश राम त्रिपाठी नौ साल पहले इस मेले की शुरुआत की थी।
वर्ष 2011 में शुरू हुए इस मेले का दायरा शरुआती वर्षों में सीमित था लेकिन धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता रहा और अब इस मेले में 11 दिन तक कई कार्यक्रम होते हैं। शहर के दर्जनों स्कूलों के बच्चे इस मेले में भाग लेने आते हैं। 11 दिन तक मेले में कई प्रतियोगिताएं होती हैं जिसमें बच्चों के अलावा महिलाएं व अन्य लोग भी भाग लेते हैं।
15 से 25 दिसंबर तक लगता है यह मेला
जंग-ए-आज़ादी के सभी बलिदानियों, क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानियों की याद में काकोरी कांड के महानायकों को समर्पित यह मेला हर साल 15 दिसंबर से 25 दिसंबर तक लगता है।
इन लोगाें की रहती है सहभागिता
मेले में शहीदों के परिजनों, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, राजनीतिज्ञों, उद्यमियों, कला व संस्कृति कर्मी और खिलाड़ियों की सहभागिता होती है।
गुरूकृपा संस्थान द्वारा संचालित इस मेले में सामाजिक संगठनों, एनसीसी, एनएसएस स्वयं सेवकों, स्कूलों व कालेजों की छात्र-छात्राओं की भी भागीदारी रहती है।
इन खेल प्रतियोगिताओं का होगा आयोजन
मेले में हॉकी, कुश्ती, कबड्डी, जिम्नास्टिक जैसे खेल होंगे। मेले में शहीदों के दुर्लभ चित्रों की प्रदर्शनी, गायन, वादन, नृत्य, रंगोली, वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन होता है। इसके अलावा हर साल स्मारिका का विमोचन भी होता है।
कई हस्तियां कर चुकी हैं शिरकत
मेले में कई विशिष्ट लोग शिरकत कर चुके हैं। इसमें उत्तर प्रदेश विधान सभा के सभापति व कई विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल हैं।
ऐसे पड़ी इस आयोजन की नींव
मेले के आयोजक गुरु कृपा संस्थान के सचिव बृजेश राम त्रिपाठी बताते हैं कि इस तरह के मेले का आयोजन करने की इच्छा बचपन से ही थी लेकिन यह 2011 में मूर्त रूप ले पाया। वह बताते हैं कि 15 अगस्त, 26 जनवरी को नारे तो लगते हैं लेकिन शहीदों के बारे में विस्तार से नहीं बताया जाता है। भावी पीढ़ी को क्रांतिकारियों की गाथा से अवगत कराने में यह मेला महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।