Coronavirus Lockdown Day 3 : भारत-नेपाल सीमा पर फसे हैं 75 पर्यटक Gorakhpur News
नेपाल जाने के लिए जहां बंगलुरू और कानपुर से आए 33 लोग सीमा पर रोके गए हैं वहीं नेपाल से भारत आने के लिए 42 भारतीय पर्यटक अब भी नेपाल के बेलहिया कस्बे में फंसे हैं।
महराजगंज, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के चलते भारत-नेपाल सीमा पूरी तरह से सील है, जिसके चलते 75 पर्यटक भारत नेपाल की सोनौली सीमा पर फंसे हुए हैं। सीमा पर करीब 48 घंटों से फंसे पर्यटकों की कोई सुधि लेने वाला नहीं है। नो-मेंस लैंड पर शुक्रवार को भी पर्यटक मौजूद रहे। इस दौरान पर्यटकों ने नेपाल और भारत सरकार से अपने देश में प्रवेश करने की भी गुहार लगाई, लेकिन उन्हें सीमा में प्रवेश करने का आदेश नहीं मिल सका। नेपाल जाने के लिए जहां बंगलुरू और कानपुर से आए 33 लोग सीमा पर रोके गए हैं, वहीं नेपाल से भारत आने के लिए 42 भारतीय पर्यटक अब भी नेपाल के बेलहिया कस्बे में फंसे हैं। जिसमें अधिकतर तमिलनाडु के हैं। नेपाल पुलिस के एसपी हेम कुमार थापा का कहना है कि जो भी सीमा पर फंसे हैं। उनकी सूचना केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है। सरकार से निर्णय आने के बाद ही उन्हें सीमा में दाखिल कराया जाएगा। भारतीय पर्यटकों को वापस आने के मामले में एसएसबी के सहायक सेनानायक संजय प्रसाद का कहना है कि सरकार ने अभी किसी भी नागरिक के प्रवेश पर रोक लगा रखी है, इसलिए हम किसी भी दशा में भारत में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा।
सोनौली सीमा पर घंटों फंसा रहा मरीज
कोरोना वायरस को लेकर भारत नेपाल सीमा सील कर दी गई है। लेकिन इस दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में छूट होने के बावजूद भारत नेपाल सीमा पर एक मरीज को प्रवेश पाने के लिए घंटों अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ा। महराजगंज जिले के नौतनवा थाना क्षेत्र के अंतर्गत घोतिहवा गांव निवासी भुनेश्वर उपाध्याय का इलाज पहले से नेपाल के भैरहवा मेडिकल कालेज में चल रहा था, गुरुवार को अचानक उसके सीने में दर्द होने लगा। परिजन उसे लेकर नेपाल के भैरहवा मेडिकल कॉलेज ले जाने के लिए सोनौली सीमा पर पहुंचे। वहां तैनात नेपाली अधिकारियों ने उसे पहले तो प्रवेश करने से मना कर दिया। बाद में भारतीय प्रशासन ने हस्तक्षेप किया तब उसे जाने दिया गया। इससे पहले पूछताछ में घंटों लगा दिया। सोनौली सीमा पर मौजूद चौकी प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि नेपाल प्रशासन के अधिकारियों से बातचीत कर उन्हें नेपाल मेडिकल कालेज भेज दिया गया है , जहां उनका इलाज जारी है।
सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक कर भेजवाया अस्पताल
महाराजगंज के परतावल ब्लाक के धर्मपुर निवासी इंजीनियर सच्चिदानंद जायसवाल का जागरूकता अभियान चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करते हुए कहा था कि अगर 10 मार्च के बाद बाहर से कोई व्यक्ति धर्मपुर गांव में आया है तो प्रशासन की दिशा निर्देश के अनुसार वह अपनी जांच अवश्य करा लें। उनके इस पोस्ट को देख धर्मपुर गांव में मुंबई से आए दो युवा उनके पास पहुंचे। उन्होंने एंबुलेंस बुलाकर दोनों युवाओं को जांच के लिए सदर अस्पताल भेज दिया। इन दोनों युवाओं में जांच के दौरान कोरोना के कोई लक्षण नहीं मिला। इस अवसर पर पूर्व प्रधान सुग्रीव जायसवाल ,आजाद जयसवाल ,आजाद जयसवाल राम भवन यादव, अरुण जायसवाल, पंकज जायसवाल, आदि लोग मौजूद रहे। उन्होंने इंजीनियर सच्चिदानं जायसवाल के इस पहल की सराहना की है।
बेवजह घूमने वालों पर सख्ती, कान पकड़ कर बनाया मुर्गा
कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लाकडाउन का उल्लंघन करना अब महंगा पड़ा सकता है। बिना वजह के शहर में अगर घूमते पाए गए तो बीच चौराहे पर कान पकड़कर उठक-बैठक करनी पड़ सकती है। सबक सिखाने के लिए पुलिस की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है, ताकि लोग अधिक से अधिक समय तक वह अपने-अपने घरों में रहें। पुलिस ने सख्ती दिखाई और लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं लेने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए अभियान शुरू कर दिया। नगर तिराहे पर शहर कोतवाल सर्वेश सिंह के निर्देश पर जेल चौकी प्रभारी कंचन राय की टीम ने गोरखपुर की ओर से आने वाले वाहनों की जांच पड़ताल शुरू की। इस दौरान बेवजह कुछ लोग चौराहे की ओर घूमते पाए गए। कुछ ने जरूरत के सामान व दवा लेने की बात कही, लेकिन जो निरुत्तर मिले, पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। बीच चौराहे पर कान पकड़कर उठक-बैठक कराई। कई लोगों को मुर्गा भी बनाया गया। करीब दर्जन भर लोगों ने घर में रहने और कहीं बाहर नहीं निकलने का वादा किया।