Gorakhpur coronavirus update news: गोरखपुर के गाहासाड़ में एक माह के दौरान 60 लोगों की मौत, ग्रामीणों में दहशत
सहजनवां नगर पंचायत के वार्ड न. 3 12 तथा 15 गाहासाड़ में करीब 12 हजार की आबादी निवास करती है। गाहासाड़ के तीन वार्डों में सर्दी-जुखाम बुखार तथा सांस लेने के कारण एक माह के अंदर करीब 60 लोगों को असमय ही काल के गाल में समाना पड़ गया।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी में गांवों के अलावा कस्बों में भी मौत का तांडव जारी रहा। नगर पंचायत के गाहासाड़ के वार्ड नं. 3, 12 तथा 15 में सर्दी-जुखाम, बुखार तथा सांस लेने में दिक्कत के कारण एक माह के अंदर 60 लोगों की मौत से नागरिकों में दहशत का माहौल बन गया है। हर रोज वार्ड में दो मौतों के बाद भी स्वास्थ्य महकमे की नींद नहीं खुली और केवल नगर पंचायत के छिड़काव से जनता की जान बचाई जा रही है।
छिड़काव के अलावा वार्ड में आज तक नहीं पहुंची स्वास्थ्य टीम
सहजनवां नगर पंचायत के वार्ड न. 3, 12 तथा 15 गाहासाड़ में करीब 12 हजार की आबादी निवास करती है। गाहासाड़ के तीन वार्डों में सर्दी-जुखाम, बुखार तथा सांस लेने के कारण एक माह के अंदर करीब 60 लोगों को असमय ही काल के गाल में समाना पड़ गया। ग्रामीण नित्यानंद यादव ने कहा कि लगातार मौतों के बाद भी गांव में स्वास्थ्य टीम कभी जांच करने नहीं आई है। नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुमन ङ्क्षसह ने कहा कि नगर पंचायत के तरफ से हर दूसरे दिन वार्ड को सैनिटाइज किया जा रहा है। अभी भी सर्दी-जुखाम व बुखार से लोग पीडि़त हैं, जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग कैम्प लगाए। अधीक्षक डा. एसके ङ्क्षसह ने कहा कि वार्ड के लोग जांच कराने खुद सीएचसी आते हैं, जिससे टीम नहीं भेजी गई है।
योग-प्राणयाम से घर में ही दे दी कोरोना को मात
धैर्य व साहस हो तो घर में भी कोरोना को हराया जा सकता है। इसे साबित कर दिखाया है जिला महिला अस्पताल के हेल्प डेस्क मैनेजर अमरनाथ जायसवाल ने। एक मई को वह पाजिटिव आए तो होम आइसोलेट हो गए। लक्षण होने के बाद भी डाक्टर के परामर्श पर घर पर ही दवा कराने का निश्चय किया। योग-प्राणायाम करते रहे। दो समय भाप व गरारा करते थे। साथ में दवाओं, काढ़ा व हल्दी मिश्रित दूध का सेवन करते रहे। नौ मई को उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई। अमरनाथ ने बताया कि जब खांसी बढऩे लगी और दवा के बाद भी आराम नहीं मिला तो एक बार मुझे लगा कि अस्पताल जाना चाहिए। लेकिन परिवार के लोगों व सहयोगियों ने सलाह दी कि आप घर पर ही इलाज कराएं। मनोबल बनाए रखें। बहुत जल्दी आप ठीक हो जाएंगे। शुभङ्क्षचतक फोन पर मेरा हौसला बढ़ाते रहे। चार-पांच दिन बाद जब खांसी थोड़ी कम हुई तो लगा कि हम ठीक होने के करीब हैं। मुझे ठीक होने में दवाओं की जरूर भूमिका रही लेकिन परिवार व शुभङ्क्षचतकों के सहयोग से मुझे बड़ा मिला। मैं जब सुनता हूं कि कोई जानने वाला बीमार है तो उसे फोन कर उसका मनोबल बढ़ाता हूं। सभी को यह कार्य करना चाहिए। इस बीमारी में मानसिक सहयोग की बहुत जरूरत होती है।