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BRD Medical College : टूट रही इलाज की उम्‍मीद, MRI और सीटी स्कैन के लिए 30 दिन की वेटिंग

BRD Medical College गोरखपुर में एमआरआइ और सीटी स्कैन के लिए 20 से 30 दिनों की लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 02:10 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 02:10 PM (IST)
BRD Medical College : टूट रही इलाज की उम्‍मीद, MRI और सीटी स्कैन के लिए 30 दिन की वेटिंग
BRD Medical College : टूट रही इलाज की उम्‍मीद, MRI और सीटी स्कैन के लिए 30 दिन की वेटिंग

गोरखपुर, जेएनएन। मर्ज की पहचान और सटीक इलाज की आस में मेडिकल कालेज आने वाले मरीज निराश हो जा रहे हैं। इसकी वजह एमआरआइ और सीटी स्कैन के लिए लग रही 20 से 30 दिनों की लंबी कतार है। ऐसे में मरीज मजबूर हैं कि वह अंदाज पर दवा खाएं या निजी सेंटर पर महंगी जांच कराएं।

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बिहार तक से आते हैं मरीज

बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में गोरखपुर-बस्ती मंडल ही नहीं नेपाल और बिहार से भी मरीज आते हैं। 1050 बेड वाले इस अस्पताल में एमआरआइ व सीटी स्कैन की सिर्फ एक-एक मशीन है। इस पर भी पांच घंटे (सुबह नौ से दोपहर दो बजे) ही जांच होती है। एक एमआरआइ में 45 मिनट लगने की वजह से अधिकतम छह-सात एमआरआइ ही एक दिन में हो पाती है। 15-16 मरीजों को रोजाना अगली तारीख दे दी जाती है। प्लेन सीटी स्कैन के लिए मरीजों को एक सप्ताह जबकि नान प्लेन (जटिल) के लिए एक माह का इंतजार करना पड़ रहा है।

नहीं हो पा रहा दांत का एक्सरे

दंत रोग विभाग में दो माह पूर्व आई आधुनिक आरवीजी मशीन सात जनवरी को लगा दी गई, लेकिन अभी ऑपरेशन वाले मरीजों का ही एक्सरे हो पा रहा है। विशेषज्ञ और प्रिंटर न होने से ओपीडी के मरीजों को बाहर एक्सरे कराना पड़ रहा है।

मेडिकल कॉलेज व बाहर के रेट

मेडिकल कॉलेज में एमआरआइ 2500 रुपये में होती है जबकि बाहर 4500 से 5500 रुपये लगते हैं। नान प्लेन (जटिल) सीटी स्कैन यहां 1500 व प्लेन सीटी स्कैन का 600 रुपये में होता है। बाहर इसकी कीमत क्रमश: 5000 व 1700 रुपये हैं। मेडिकल कालेज में दांत का एक्सरे 24 रुपये में होता है जबकि बाहर 100 रुपये लगते हैं।

स्टाफ की कमी के चलते एमआरआइ व सीटी स्कैन मशीन पांच घंटे ही चल पा रही है। रेडियोलॉजी में पीजी की पढ़ाई आगामी सत्र से शुरू हो जाएगी। तब डॉक्टर और टेक्नीशियन बढ़ जाएंगे। इसके बाद यहां भी 24 घंटे एमआरआइ व सीटी स्कैन होने लगेगा। - डॉ. गणेश कुमार, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

सीएचसी जंगल कौडिय़ा में चिकित्सक नहीं

उधर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जंगल कौडिय़ा में चिकित्सक के नहीं होने के कारण मरीज परेशान होते हैं। उन्हें इलाज के लिए करीब 30 किमी दूर जिला अस्पताल गोरखपुर में आना पड़ता है। विकास खंड जंगल कौडिय़ा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सन 2014 से संचालित है। इस स्वस्थ केंद्र से ब्लाक के 89 गांव के लोग अपना इलाज कराते हैं। स्वास्थ केंद्र पर केवल एक डा. अवधेश कुमार की तैनाती हुई है, जो जिले के सभी अस्पतालों में नसबंदी का काम देखते हैं। इसी वजह से वह अस्पताल नहीं आ पाते। अस्पताल में पांच चिकित्सकों का पद सृजित है। तीस बेड के अस्पताल में न तो एक्सरे मशीन है न ही कोई अन्य संसाधन। हर रोज चालीस से पचास मरीज आते हैं, जिनका इलाज फार्मासिस्ट आनंद मिश्र करते हैं। ब्लाक प्रमुख बृजेश यादव व प्रधान ओमप्रकाश भगत, अविनाश पांडेय प्रधान अशोक बीएन  सिंह, रामकेरे सिंह का कहना है कि चिकित्सकों की तैनाती के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से कई बार कहा गया मगर कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है।

माडल ईटीसी बना सीएचसी पिपराइच

वर्ष 2017- 18 में कायाकल्प अवार्ड से सम्मानित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिपराइच इंसेफ्लाइटिस पीडि़त मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। भारत सरकार ने रोगियों के पर्यवेक्षण का दायित्व संभाल रही अमेरिका की पार्थ संस्था पिपराइच को माडल ईटीसी (इंसेफ्लाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर) का दर्जा देते हुए इसे प्रदेश के दूसरे चिकित्सा केंद्रों के लिए नजीर के तौर पर विकसित करने का मन बनाया है। सीएचसी के ईटीसी केंद्र पर इंसेफ्लाइटिस मरीजों का 24 घंटे इलाज की व्यवस्था की गई है। पूर्णतया वातानुकूलित केंद्र पर विशेषज्ञ चिकित्सक, फर्मासिस्ट व वार्ड ब्वाय लगाए गए हैं। पार्थ की टीम डा. राहुल एवं डा. प्रवेश कुमार के नेतृत्व में मंगलवार को ईटीसी केंद्र का वीडियो ले गई। टीम ने इस कार्य में जिम्मेदारी निभा रहे सीएचसी के बाल रोग विशेषज्ञ डा. एके देवल व आशाकर्मियों की इस उपलब्धि को साझा किया।

बीते वर्ष में 300 मरीज किए गए थे भर्ती

पिपराइच : सीएचसी के बाल रोग विशेषज्ञ डा. एके देवल ने बताया तीन साल में सीएचसी पर बुखार के लगभग छह सौ मरीज तथा एईएस के 60 मरीज ठीक कर घर भेजे गए। वर्ष 2019 में करीब 300 मरीज बुखार और 15 मरीज इंसेफ्लाइटिस के भर्ती हुए और यहीं से ठीक होकर घर लौट गए।

ईटीसी केंद्र पर आने वाले मरीजों के लिए आक्सीजन, सक्शन मशीन, झटका रोकने के लिए जपोसोलिंम इंजेक्शन, तेज बुखार को नियंत्रित करने के लिए एजिथ्रोमाइन इंजेक्शन आदि दवाएं उपलब्ध हैं। - डा. नंद लाल लाल कुशवाहा, अधीक्षक, सीएचसी पिपराइच

मरीजों के सीधे अस्पताल आने से हुआ सुधार: सरकार द्वारा गांवों में चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के कारण अब तेज बुखार से पीडि़त मरीज इधर- उधर झोलाछाप केपास नहीं जाकर सीधे सीएचसी पर लाए जाने से इसमें काफी सुधार आया है। प्राय: आशा ऐसे मरीजों  को अस्पताल पहुंचा रही हैं। यही कारण है अधिकांश मरीज स्वस्थ होकर वापस लौट रहे हैं।


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