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यहां के 17 गांवों ने बदल दिया सिंचाई का परंपरागत तरीका, पानी का संकट खत्‍म Gorakhpur News

जब यहां का भूगर्भ जल स्तर नीचे खिसकने लगा तो जल संरक्षण के लिए किसान आगे आए। सबसे पहले उन्होंने खेतों की परंपरागत सिंचाई का तरीका बदला। अब मचान विधि से खेती कर रहे हैं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 09:50 AM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 03:43 PM (IST)
यहां के 17 गांवों ने बदल दिया सिंचाई का परंपरागत तरीका, पानी का संकट खत्‍म Gorakhpur News
यहां के 17 गांवों ने बदल दिया सिंचाई का परंपरागत तरीका, पानी का संकट खत्‍म Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। नीचे भागते भूगर्भ जल स्तर से पानी के टूटते रिश्ते को महराजगंज जिले के जंगल फरजंदअली गांव के किसानों के संकल्प ने अटूट बना दिया। वह भी ऐसा कि गांव जल संरक्षण की ठांव बनकर खड़ा हो गया। इससे प्रेरित होकर क्षेत्र के 17 और गांव भी इस ओर चल दिए हैं।

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मचान विधि का अपनाया तरीका

हुआ यूं कि जब यहां का भूगर्भ जल स्तर नीचे खिसकने लगा तो जल संरक्षण के लिए किसान आगे आए। सबसे पहले उन्होंने खेतों की परंपरागत सिंचाई का तरीका बदला। मचान विधि से खेती कर एक ही पानी से दो फसलें लेनी शुरू कीं। नीचे प्याज व मचान पर लौकी, नीचे हल्दी व ऊपर करैला की जैसी संयुक्त खेती कर रहे हैं। हर किसान ड्रिप विधि से सिंचाई कर रहा है। इसके पीछे महिला किसान चंद्रकली व राजेंद्र, कपिलदेव की भूमिका अहम है। उन्होंने बिना सरकारी मदद लिए किसानों को जागरूक कर जिम्मेदारी का अहसास करा, इसे कर दिखाया।

इन गांवों ने ली प्रेरणा

महराजगंज जिले के करमहा, अमरुतिया, सिसवा बाबू, गिदहा, कृतपिपरा, खेमपिपरा, सरडीहा, अहमदपुर, कांध, पिपरारसूलपुर, सिंहपुर, खुटहा, मुडि़ला, महदेवा, सिसवा नवीन व नेतासुरहुरवा गांवों के किसान प्रेरित हुए। जल संरक्षण के लिए पाइप से सिंचाई कर रहे हैं।

सौर ऊर्जा का भी प्रयोग

पानी बचाने के लिए सौर ऊर्जा का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकांश किसानों ने सोलर पंप भी खेतों में लगे रखे हैं। बारिश का पानी भी एकत्र कर  सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।

कम लागत में अधिक पैदावार

ड्रिप विधि से सिंचाई करने से जल संरक्षण को बल मिला है तो खेती की लागत घट गई। किसान राजेंद्र, उमाशंकर, दिनेश, शिवपूजन ने बताया कि खेत की सिंचाई में अधिक समय व धन व्यय होता था। अब कम लागत में ही अधिक पैदावार मिल रही है।

ड्रिप विधि से बचता है पानी

फसल             फीसद      

मेंथा                 40   

प्याज               39 

गन्ना              50    

मसूर               70  

धान                40

 गेहूं               20


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