घर-घर जाकर करेंगे चूहों का एनकाउंटर, लगाए गए 144 से ज्यादा कर्मचारी Gorakhpur News
चूहा मारने के लिए हर एक गांव के लिए एक कर्मचारी को नियुक्त कर दिया गया है। विशेष अभियान के लिए 144 गांवों में एक-एक कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। कृषि विभाग को एक बार फिर चूहों की चुनौती मिली है। इस बार 144 गांवों में विशेष व 3448 गांवों में सामान्य अभियान चलाना है। इस बार विभाग के पास चूहों को मारने वाली दवा नहीं है। ऐसे में वह गांव-गांव जाकर प्रत्येक ग्रामीणों को जागरूक करेंगे कि वह चूहों को खत्म करें।
इंसेफ्लाइटिस के वाहक हैं चूहे
चूहे जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) व एक्युट इंसेफेलाइटिस सिंंड्रोम (एईएस) के प्रमुख संवाहक हैं। इसे लेकर बीते वित्तीय वर्ष में जिले के 144 गांवों में अभियान चलाकर चूहे मारे गए थे। चालू वित्तीय वर्ष में ये गांव विशेष अभियान के तहत चयनित हैं। इन गांवों में खेतों के चूहों को मारना और शेष में आबादी के बीच रह रहे चूहों को मारने के लिए लोगों को जागरूक करना है।
पिछले साल 1855 चूहे मारे गए
पिछले साल 1855 चूहे मृत पाए गए थे। दर असल में इसके लिए 28605 घरों में रसायन रखे गए थे।जनपद में कुल 16230 चूहे के बिल हैं। चूहे मारने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया गया। बैठकें हुई थीं और गाेष्ठियों का आयोजन किया गया था। मतलब कुल 2771 कार्यक्रम किए गए थे। तब जाकर 1855 चूहे मृत पाए गए।
चूहा माने के लिए इसका होगा प्रयोग
इस साल चूहा मारने के लिए 31.250 किलो जिंक फास्फाइड -80, 21.33 किलो एल्युमूनियम फास्फाइड और कुल मूषकनाशी रसायन 52.58 किलो प्रयोग किया जाएगा।
प्रत्येक गांव के लिए एक कर्मचारी तैनात
चूहा मारने के लिए हर एक गांव के लिए एक कर्मचारी को नियुक्त कर दिया गया है। विशेष अभियान के लिए 144 गांवों में एक-एक कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा इन कर्मचारियों को जिले के सभी गांवों में किसानों को जागरूक करने के लिए लगाया गया है। इसके अलावा कृषि रक्षा इकाई के 13 प्रभारी, 12 प्राविधिक सहायक, 19 की संख्या में सहायक विकास अधिकारी कृषि और क्षेत्रीय मृदा परीक्षण के पांच कर्मचारी भी लगाए गए हैं।
फसल को भी पहुंचाते हैं नुकसान
फसल की कुल क्षति का करीब 10 फीसद नुकसान चूहों द्वारा किया जाता है।
31 मार्च तक चलेगा अभियान
चूहा नियंत्रण अभियान गत एक मार्च से शुरू हुआ है। यह 31 मार्च तक चलेगा।
चूहे भी चुनते हैं अगुवा
चूहे के एक बिल में उनका परिवार रहता है। कृषि विभाग एक बिल में रहने वाले चूहों की संख्या औसतन चार मानता है। चूहे जिस समूह में रहते हैं, वहां एक सबल चूहे को अगुवा चुनते हैं। समूह के सभी चूहे उसकी बात मानते हैं। जिला कृषि रक्षा अधिकारी का कहना है कोई भी खाद्य पदार्थ सर्वप्रथम अगुवा चखता है। सभी करीब सात से आठ घंटे प्रतीक्षा करते हैं, उसके बाद असर देख अन्य चूहे उसे खाते हैं। इस दौरान परिणाम ठीक नहीं रहने पर चूहे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं और प्रजनन पर जोर देकर अपनी संख्या बढ़ाते हैं।
जानिए कैसे दिया जाता है चूहों को रसायन
मूषकनाशी रसायन देने के लिए विभाग एक रणनीति तैयार करता है। चूहों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थ को प्रलोभन चारा कहा जाता है। प्रथम दिन बिल में भूना भूना हुआ चना बिना रसायन के सरसों के तेल के साथ मिलाएं। दूसरे दिन भी वही प्रक्रिया अपनाएं। तीसरे दिन 10 ग्राम मूषकनाशी रसायन एक ग्राम सरसों का तेल व 48 ग्राम भुने चने को मिलाएं और फिर उसे चूहे के बिल के पास रखें।
विभाग के पास रसायन नहीं
इस संबंध में जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा. संजय यादव का कहना है कि इस बार विभाग के पास रसायन नहीं है। रसायन महंगा नहीं है। किसान इसे आसानी से खरीद सकता है। विभाग किसानों को जागरूक करके चूहों का खत्म करेगा। किसानों को सावधानी यह अपनानी है कि रसायन हर हाल में ब'चों की पहुंच से दूर रहे।