गोरखपुर के 14026 बुजुर्गों पर अपने ही ढा रहे सितम, पुलिस लगा रही मरहम Gorakhpur News
हर माह औसतन 20 शिकायतें आती है जहां बुजुर्ग मां-बाप को किसी और से नहीं बल्कि अपने पुत्र और बहू से ही शिकायत है। इन बुजुर्गों का दर्द सुन पुलिस मरहम लगा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। समय के साथ जिले के लोग भी बदल गए हैं। गैर से तो गलत व्यवहार करते ही हैं अपनों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। एसएसपी कार्यालय के शिकायत प्रकोष्ठ में इसकी हकीकत देखने को मिल रही है। हर माह औसतन 20 शिकायतें आती है, जहां बुजुर्ग मां-बाप को किसी और से नहीं बल्कि अपने पुत्र और बहू से ही शिकायत है। इन बुजुर्गों का दर्द सुन पुलिस मरहम लगा रही है। वहीं पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर अपनों से परेशन वृद्ध नियमित पंजीकरण करा रहे हैं।
वेरीफिकेशन कर रही पुलिस
पुलिस कार्यालय में स्थित शिकायत प्रकोष्ठ में हर माह करीब 20 बुजुर्ग अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं। उनके प्रार्थना पत्र को प्रकोष्ठ की ओर से संबंधित थाने में प्रेषित किया जाता है। इसके बाद थाना क्षेत्र की पुलिस जांच कर अपने स्तर से मदद करती है। इसके अलावा बुजुर्गों की मदद के लिए चल रही सवेरा योजना में भी बुजुर्ग रुचि ले रहे हैं। अब तक पुलिस कंट्रोल रूम में कॉल करके 14026 बुजुर्ग अपना पंजीकरण करा चुके हैं। अब पुलिस उनके घर जाकर वेरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी कर रही है। साथ ही अन्य बुजुर्गों को इसके बारे में जानकारी भी दी जा रही है।
किस क्षेत्र में कितने बुजुर्गों ने कराया पंजीकरण
गोरखपुर शहर के कोतवाली क्षेत्र से 508, राजघाट से 455, तिवारीपुर के 239, कैंट के 646, खोराबार के 514, शाहपुर के 641, गोरखनाथ के 484, चिलुआताल के 532, गुलरिहा के 732, चौरीचौरा के 514, झंगहा के 528, पिपराइच के 505, कैंपियरगंज के 744, पीपीगंज के 713, सहजनवां के 647, हरपुर बुदहट से 237, बांसगांव के 641, बेलीपार के 712, गगहा के 582, खजनी के 551, सिकरीगंज के 626, बेलघाट के 711, गोला के 606, बड़हलगंज के 484 और उरुवा के 465 बुजुर्गो ने पंजीकरण कराया है।
बुजुर्गो की मदद करने के लिए पुलिस तत्पर
इस संबंध में एसएसपी डा. सुनील गुप्त का कहना है कि परिजनों की उपेक्षा के शिकार बुजुर्गों की पुलिस अपने स्तर से मदद करती है। कार्यालय में शिकायत लेकर आने वाले लोगों की पूरी मदद होती है। इसके अलावा बुजुर्गों के पास पुलिस जाकर उनसे पुलिस कंट्रोल रूम में कॉल करके या यूपी कॉप एप से पंजीकरण कराने को प्रेरित कर रही है। पंजीकरण के दूसरे स्तर में अब स्थानीय थाने की पुलिस सत्यापन कर रही है। ताकि फोन करने पर उन्हें तत्काल मदद मिल सके।